विशुद्धचिंतन (Vishuddha-Chintan) is a blog-site based on Darshan and Philosophy to make you to Think, Observe and Understand the Reality of the Society, Government, Politics, Religion and so on….
विशुद्ध चिंतन: एक सकारात्मक सोच की ओर कदम
‘विशुद्ध चिंतन’ (www.vishuddhachintan.com) केवल एक ब्लॉग नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच है जहाँ हम जीवन को गहराई से समझने और बेहतर बनाने की प्रेरणा साझा करते हैं। हमारा उद्देश्य आत्म-विकास, स्वास्थ्य, संस्कृति और प्रेरणादायक विचारों के माध्यम से पाठकों को नई दिशा प्रदान करना है। Continue Reading
नवीनतम लेख
-
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी – क्या यही है ईश्वर ?
क्यों कोई कहता है — “ईश्वर है”, तो कोई कहता है — “नहीं है” ? इस प्रश्न का उत्तर शायद अब विज्ञान से मिलने लगा है — डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के रूप में। ईश्वर की तरह अदृश्य डार्क मैटर और डार्क एनर्जी — दोनों ही अदृश्य हैं।वे न हमें दिखाई देते हैं, न…
-
शिक्षा का उद्देश्य नौकरी नहीं, आत्मनिर्भरता है
आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहाँ शिक्षा को केवल डिग्री, नौकरी और तनख्वाह से जोड़कर देखा जाता है। बचपन से ही यह बात हमारे मन में बैठा दी जाती है कि अच्छे नंबर लाओगे, तो अच्छी नौकरी मिलेगी, और वही तुम्हारी सफलता होगी। परंतु क्या शिक्षा का यही उद्देश्य है? शिक्षा…
-
आँधियों में जलता विचार: विशुद्ध चिंतन की एक झलक
#grok के साथ जो चर्चा हुई थी हमारी, वह मैंने अपने ब्लॉग साइट पर पोस्ट कर दी…. #ग्रोक: बहुत अच्छा! मैंने आपके ब्लॉग पोस्ट को देखा। आपने हमारी चर्चा को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है। क्या आपको लगता है कि इसे और विस्तार देने या किसी और पहलू को जोड़ने की जरूरत है? अगर…
-
डिजिटल युग में मनुष्यता की खोज: निजता की परतों में छुपा अंधकार
यह उन दिनों की बात है, जब “प्रेस कार्ड” होना किसी गौरवचिह्न से कम नहीं था। यह सिर्फ एक पहचान पत्र नहीं, बल्कि एक भरोसे की मुहर हुआ करता था—एक ऐसा प्रमाण, जो समाज में आपको एक ज़िम्मेदार, सत्यनिष्ठ और विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित कर देता था। यह सम्मान उस समय के आधारकार्ड,…
-
विद्वता की सच्ची पहचान: गुलामी नहीं, स्वतंत्रता !
ऐसे किसी भी धार्मिक ग्रंथ को पढ़ने से क्या लाभ, जो न तो समाज को सुधार सके, न ही भ्रष्टाचार में डूबी सरकारों, नेताओं और पार्टियों को। अगर कोई ग्रंथ व्यक्ति को सच के मार्ग पर चलने की प्रेरणा नहीं देता, अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस नहीं देता, तो वह सिर्फ शब्दों का…