विशुद्धचिंतन (Vishuddha-Chintan) is a blog-site based on Darshan and Philosophy to make you to Think, Observe and Understand the Reality of the Society, Government, Politics, Religion and so on….
अपने ही देश की संस्कृति और समाज को ठुकरा कर हम विदेशी संस्कृति को महत्व देने लगे
हम जन्म से न तो हिन्दू हैं और न ही डॉक्टर या इंजीनियर, हम जन्म से मानव हैं और उसके बाद भारतीय। क्योंकि जन्म के समय जो शरीर हमें मिला वह मानव का है और जिस भुमि में हमने जन्म लिया वह भारत है। सबसे पहले हमने माँ को जाना और फिर पिता को जाना जब तक हम गोद में थे। फिर जाना पहली बार उस भूमि को जिसपर हमने चलना और खड़े होने सिखा, लेकिन तब तक हमारा परिचय नहीं हुआ था धर्म, वर्ण, जाति व सम्प्रदाय से। Continue Reading
नवीनतम लेख
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महाकुम्भ 2025: IIT, MBBS, Phd. बाबाओं का युग आरम्भ
भारत की पवित्र धरती पर महाकुंभ मेला हमेशा से अध्यात्म, साधना और भारतीय संस्कृति के भव्य प्रदर्शन का केंद्र रहा है। पारंपरिक साधु-संतों, अखाड़ों और शंकराचार्यों की उपस्थिति सदियों से इस आयोजन की पहचान रही है। लेकिन महाकुंभ 2025 ने इस पारंपरिक छवि को पूरी तरह बदल दिया है। इस बार की चर्चा साधु-संतों की…
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दृष्टिकोण (नज़रिया) बदल लो दुनिया बदल जाएगी
एक ऐसा व्यक्ति था जिसे समाज, सरकार, पुलिस, प्रशासन… किसी पर विश्वास नहीं रहा। उसे हर विभाग भ्रष्ट, हर अधिकारी बेईमान और हर व्यवस्था कमजोर लग रही थी। उसका मन इतना खिन्न हो गया था कि उसे हर तरफ अंधकार ही अंधकार दिखाई देता था। लोगों ने उससे कहा, “तुम्हारी आँखें खराब हो गई हैं।…
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दृष्टिकोण सही-गलत के परे
श्लोक, किताब और प्रवचन से कुछ समझ में आना होता, तो पढ़े-लिखे विद्वानों को धर्म समझ में आ गया होता। यदि किसी को कुछ समझाना है, तो स्थानीय भाषाओं का ही प्रयोग करना चाहिए। हुआ यह कि हमारे देश में विलायती भाषाओं के माध्यम से ज्ञान बाँटना शिक्षित होने की निशानी है। स्थानीय भाषाओं के…
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राजनीति और मानवता: एक विरोधाभासी संबंध
राजनीति और मानवता, ये दोनों सदैव विपरीत ध्रुव प्रतीत होते रहे हैं। जबकि आदर्श स्थिति यह होनी चाहिए थी कि राजनीति में वही व्यक्ति सक्रिय हों, जो मानवीय गुणों से परिपूर्ण और मानवता के प्रति समर्पित हों। परंतु विडंबना यह है कि राजनीति में सफलता उन्हीं को मिलती है, जिनमें मानवता का ह्रास हो चुका…
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ऑटोफैगी (Autophagy): शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया
“जब मानव शरीर भूखा होता है, तो यह स्वयं को खाता है। यह एक सफाई प्रक्रिया करता है, जिसमें बीमार कोशिकाओं, कैंसर, उम्र बढ़ने वाली कोशिकाओं और अल्जाइमर को हटा देता है।” –योशिनोरी ओसुमी (नोबल पुरस्कार 2016 से सम्मानित) ऑटोफैगी (Autophagy), एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है, जिसमें मानव शरीर अपने अंदर की पुरानी, क्षतिग्रस्त और…
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वर्ण-व्यवस्था और जाति-व्यवस्था में क्या अंतर है ?
वर्ण-व्यवस्था कब और कैसे जाति-व्यवस्था में रूपांतरित हो गयी और कब जाति-व्यवस्था जाति-वाद में रूपांतरित हो गयी यह बता पाना कठिन है। लेकिन वर्ण-व्यवस्था की आलोचना करने वाले विद्वान ब्राह्मणों को दोषी ठहराते हैं जाति-वाद फैलाने का। उनका मानना है कि वर्ण व्यवस्था नहीं होती, तो जातिवाद भी नहीं होता। और यही लोग राजनैतिक/सरकारी जाति…