शास्त्रार्थ से कोई पंडित ज्ञानी सिद्ध नहीं हो सकता

एक प्रकांड पंडित एक दिन एक गाँव से गुजरे। चूँकि अत्याधिक थक गये थे सो एक पेड़ के नीचे सुस्ताने के लिए बैठ गये। धीरे धीरे करके गाँव के सभी लोग इकट्ठे हो गये और उनसे उनका परिचय माँगा। जब उन्होंने अपना नाम बताया सारे गाँव को लोग उनकी जय-जय कार करने लगे।
पंडित जी न केवल आश्चर्य चकित हुए, प्रसन्नता से चौड़े हो गए कि कितनी दूर दराज के गाँव के लोग भी उनका नाम जानते हैं। पंडित जी ने गाँव वालों से पूछा कि यदि इस गाँव में कोई विद्वान् है तो वह शास्त्रार्थ करना चाहते हैं।
गाँव के सभी लोग यह सुनकर परेशान हो गये, लेकिन बुधिया बोला, “हाँ है न ! लेकिन कल ही आपसे मुलाकात करवा पाएंगे।” पंडित जी और भी प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा ठीक है तो कल तक के लिए ठहर जाता हूँ मैं। गाँव के ही एक मंदिर में पंडित जी के ठहरने की व्यवस्था करवा दिया गया। तब तक सांझ हो चली थी तो गाँव के लोग सुबह मिलने का कहकर चले गए और पंडित जी आराम से पसर कर सो गए।
मंदिर से निकल कर गाँव के सभी लोग मुखिया के घर एकत्रित हुए और मुखिया से कहा कि इतने महान विद्वान् हमारे गाँव में पधारे हैं और हमारे गाँव में तो एक भी ऐसा विद्वान नहीं है जो उनसे कोई बात भी कर पाए ? यदि कल उन्हें पता चलेगा कि हमारे गाँव में कोई भी ज्ञानी नहीं है तो गाँव मान-मर्यादा मिटटी में मिल जायेगी। पंडित जी बाहर जाकर इस गाँव की कितनी हंसी उड़ायेंगे जरा सोचिये ?
सभी लोगों को बुधिया पर गुस्सा आ रहा था कि अपने बडबोलेपन के कारण आज यह मुसीबत खड़ी हो गयी। मुखिया ने भी बुधिया को फटकारा, “अरे कभी तो अक्ल का इस्तेमाल कर लिया करो ? अब तुम ही बताओ कैसे लायेंगे कल विद्वान शास्त्रार्थ करने के लिए ??
बुधिया लापरवाही से बोला, “अभी मुझे भूख लगी है और समस्या कल की है तो कल ही सोच पाउँगा। अभी की समस्या यह है कि मेरे घर में खाने को कुछ नहीं है और बहुत भूख लगी है।” मुखिया ने कहा कि पहले यह बता कि कल की समस्या को सुलझाने की जिम्मेदारी ले रहा है तू तो ठीक है खाना तो तुझे मैं खिला दूंगा। लेकिन यदि कल गाँव की बेइज्जती हुई तो तुझे गाँव से निकाल दूंगा। बोलो मंजूर ?
बुधिया ने हाँ में सर हिला दिया। मुखिया ने उसे बढ़िया खिलाया पिलाया और घर के बाहर बरामदे में ही सोने की व्यवस्था भी करवा दिया और उसकी निगरानी के लिए दो लठैत भी तैनात कर दिए कि कहीं भाग न जाए।
सुबह सभी बुधिया को लेकर पंडित जी के पास पहुँचे और बोले कि यही है हमारे गाँव का सबसे विद्वान् व्यक्ति जो आपसे शास्त्रार्थ कर सकता है। पंडित जी ने बुधिया को ऊपर से नीचे तक देखा और कहा, अरे तुम ही तो थे जो कल कह रहे थे कि गाँव में कोई विद्वान् है….”
“जी हाँ मैंने ही कहा था। बुधिया पंडित जी की बात को बीच में ही काटते हुए बोला। “असल में आज उन्हें जब लेने गया तो उन्होंने कहा कि यदि आप मुझे हरा देंगे तभी वह आपसे शास्त्रार्थ करने आयेंगे।” बुधिया रोनी सूरत बनाते हुए बोला।
पंडित जी ने जोर का ठहाका लगाया और बोले, ”ठीक है, ,मुझे कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन किस विषय में शास्त्रार्थ करेंगे बुधिया जी ?”
बुधिया बोला, “पंडित जी आप तो परम ज्ञानी हैं, आप को तो सभी विषयों का ज्ञान है इसलिए शास्त्रार्थ तो आप हमारे गाँव के विद्वान् से ही करियेगा। हम प्रश्नोत्तरी करते हैं, दस प्रश्न आप पूछिये मुझसे और मैं आपसे दस प्रश्न पूछूँगा। जो सबसे ज्यादा प्रश्नों के सही उत्तर देगा वही विजेता माना जाएगा।”
पंडित जी सहर्ष तैयार हो गए। मुखिया और सभी गाँव वाले उन्हें घेर कर बैठ गए और दोनों के बीच प्रश्नोत्तरी शुरू हुई। पंडित जी ने पूछा, “पहला प्रश्न ! बताओ, कुल कितने वेद हैं ?”
“नहीं पता।” बुधिया ने सर झुका कर कहा।
“कोई बात नहीं। प्रश्न दो रावण के कितने सर थे ? पंडित जी ने दूसरा प्रश्न किया।
“जी पता नहीं।” बुधिया ने फिर सर झुका कर कहा। इस प्रकार पंडित जी के सभी प्रश्नों के उत्तर जब बुधिया ने न में दिया तो पंडित जी ने जोर से ठहाका लगाया और बोला जाइए मुखिया जी और अपने गाँव के विद्वान को लेकर आइये। मुखिया जी और गाँव वाले भी सर झुका कर बैठे रहे। उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब किस मुंह से कहें कि उनके गाँव में कोई विद्वान् है ही नहीं।
तभी बुधिया बोला, “अरे पंडित जी, यह तो गलत बात है ! अभी तो मेरे प्रश्नों का उत्तर आपने नहीं दिया तो कैसे आपने तय कर लिया कि आप विजेता हो गए ?”
पंडित जी बोले, “चलिए पूछ लीजिये आप भी, और किसी भी विषय में पूछिये मुझे सारे शास्त्र व पुराण कंठस्थ हैं। एक भी उत्तर गलत नहीं होगा।”
“पहला प्रश्न, हमारे तालाब में रोज कुल कितनी भैंस नहाती हैं ?” बुधिया ने पहला प्रश्न किया।
पंडित जी बोले, “यह कैसे प्रश्न हैं ? प्रश्न वह पूछो जो शास्त्रों में लिखा हो या जो अधिकाँश लोग जानते हों ?”
“आपको पता है या नहीं ?” बुधिया ने पूछा।
“नहीं।” पंडित जी बोले।
बुधिया ने भीड़ में से एक बच्चे को बुलाया और पूछा, “रे लल्लू ! अपने तालाब में रोज कितनी भैंस नहाती है ?”
“२० भैस।” लल्लू बोला।
अब बुधिया पंडित जी से बोला कि देखा आपने यहाँ का बच्चा बच्चा जो बात जानता है वह आप नहीं जानते और आप चाहें तो आज देख लीजियेगा कि हम झूठ बोल रहें हैं या नहीं।
बुधिया अगल प्रश्न करता उससे पहले ही पंडित जी ने हाथ जोड़ लिए और कहा कि मैं समझ गया कि यदि कोई एक क्षेत्र में ज्ञानी है, इसका अर्थ यह नहीं कि सामने वाला अज्ञानी है। यदि कोई एक क्षेत्र में दक्षता रखता है तो दूसरा किसी और क्षेत्र में दक्षता रखता है। इसलिए किसी को भी किसी से तुलना नहीं करनी चाहिए। बल्कि हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
-विशुद्ध चैतन्य
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