घमंडी राजा और घमंड-मंत्री

कई हज़ार साल पहले की बात है। किसी राज्य में बहुत ही घमंडी राजा राज किया करता था उसका नाम था मूर्खानंद। उसका घमंड इतना था कि उन्हें स्वयं ही नहीं पता होता था कि उन्हें किस बात का घमंड है। उसने एक मंत्री इसी काम के लिए नियुक्त कर रखा था कि वह उसके घमंड का हिसाब किताब रखा करे उसे नाम दिया गया घमंड-मंत्री। जब भी राजा कोई ऐसी बात करता जो घमंड के अंतर्गत आता है, तो घमंड-मंत्री का काम होता था कि उसे याद दिला दिया करे कि अभी कौन सा घमंड कर रहें हैं और उससे पहले कौन सा घमंड था… आदि इत्यादि।
समय बीतता गया और राजा का यश भी बढ़ता गया। प्रजा सुखी थी चारों और सुख शान्ति थी। कहीं कोई चोरी नहीं होती थी कहीं कोई डकैती नहीं होती थी। राजा अक्सर विदेश से आये हुए अतिथियों को यह बात बताता तो वे कहते कि आप घमंडी हैं। राजा अपने मंत्री से पूछता कि यह घमंड आपने अपने लिस्ट में नोट कर रखा है ? मंत्री कहता नहीं महाराज यह घमंड नहीं है गौरव की बात है। राजा मंत्री से कहकर अपनी बात को घमंड वाले कॉलम में लिखवा देता। उनके घमंड की लिस्ट जितनी बड़ी होती जाती, उतना ही अधिक राजा प्रसन्न होता।
एक दिन राजा ने कहा कि वह देखना चाहते हैं कि कितने रजिस्टर उनके घमंड के भर गए हैं, तो घमंड-मंत्री उन्हें अपने साथ महल के एक गोदाम में ले गया। वहाँ एक बहुत ही बड़े हाल के में अनगिनत रजिस्टर रखे हुए थे।
राजा ने पूछा, “कि इनमें से घमंड वाले रजिस्टर कितने हैं ?”
मंत्री बोला, “महाराज सारे ही घमंड से भरे पड़े हैं।”
“क्या इतना घमंडी हूँ मैं ?” राजा ने आश्चर्य से पूछा।
“जी महाराज और मैंने अपने गुप्तचरों को भेज कर पता करवाया है कि इतना घमंडी दुनिया में कोई राजा तो क्या कोई भी प्राणी नहीं है।”
राजा ने जब यह सुना तो मंत्री को गले से लगा लिया और उसे मोतियों का हार उपहार में दिया। साथ ही मंत्री से बोला, “पुरे राज्य में आज मुनादी करवा दो कि उनका राजा दुनिया का सबसे घमंडी राजा होने के उपलक्ष्य में पुरे चालीस दिन का उत्सव मनाना चाहते हैं। इसलिए पुरे राज्य के किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलेगा और सभी के भोजन की व्यवस्था राजभवन में ही की जायेगी। जहाँ २४ घंटे भंडारा चलेगा। पुरे राज्य में नाच-गाना होगा और अद्वितीय घमंडी राजा के नाम से जयकारा लगाये जायेंगे। विश्व के कोने कोने में अपने दूत भेज कर सन्देश भिजवाये जाएँ कि जो भी यह सिद्ध कर देगा कि राजा मुर्खानंद में एक भी गुण ऐसा है जो घमंड के अंतर्गत नहीं आता है, उस व्यक्ति को उसके भार के बराबर स्वर्ण भेंट किया जाएगा।”
महाराज मुर्खानंद की उस घोषणा के बाद कई हजार वर्षों तक राज किया लेकिन कोई नहीं आया। उनकी मृत्यु से लेकर आज तक भी कोई नहीं आया जो कह सके कि राजा में एक भी गुण ऐसा था जो घमंड के अंतर्गत नहीं आता।
~विशुद्ध चैतन्य
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