जैसी आपकी ऑरा होगी, वैसे ही मित्र व सहयोगी मिलेंगे

साथ देने वाले कभी हालात नहीं देखते।
और हालात देखने वाले कभी साथ नहीं देते।
इसीलिए साथी मत खोजो, बल्कि वह करो जो तुम्हें मानसिक व आर्थिक रूप से शान्ति व समृद्धि प्रदान करता है। जितना अधिक अपनी रुचि के कार्यों में व्यस्त रहेंगे, उतना ही अधिक सकारात्मक औरा अपने आसपास निर्मित होता पाओगे। और जैसी ऑरा आपके आसपास निर्मित होगी, वैसे ही लोग आपसे जुड़ने लगेंगे।
यदि आप दूसरों का अहित करने में व्यस्त हैं, तो आपके साथ वैसे ही लोग जुड़ेंगे जो साम्प्रदायिक द्वेष व घृणा से भरे हुए हैं। जो धर्म व जाति के ठेकेदार बने हुए हैं, जो, दूसरों को पीड़ा या कष्ट पहुंचाकर प्रसन्न होते हैं, जो बिके हुए नेताओं, पार्टियों की भक्ति में धुत्त रहते हैं, जो देश व जनता को लूटने लुटवाने वालों की चाटुकारिता करके स्वयं को धन्य मानते हैं।
लेकिन यदि आप देशभक्त हैं, देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के विरुद्ध हैं, साम्प्रदायिक द्वेष व घृणा से मुक्त हैं। तो आपके आसपास बनने वाली ऑरा ऐसे लोगों को आकृष्ट करेगी, जो करुणामय होंगे, जो निःस्वार्थ बिना किसी शर्त आपके सहयोगी बनेंगे। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या पहले ही बहुत कम थी, अब प्रायोजित महामारी का प्रायोजित फर्जी सुरक्षा कवच लेने के बाद तो लुप्त होने के कागार पर पहुँच चुके हैं। इसीलिए हो सकता है कि आपको एक भी सहयोगी न मिले।
सदैव स्मरण रखें; दुष्टात्माओं से घिरे रहने से अधिक श्रेष्ठ है एकाँकी रहना।
~ विशुद्ध चैतन्य
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