सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में बहुत अंतर है
सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा अंतर यह कि सनातन धर्म ईश्वरीय है, प्राकृतिक है, सार्वभौमिक है।
जबकि हिन्दू धर्म इस्लाम के विरुद्ध इस्लाम की नकल पर आधारित एक किताबी रिलीजन यानी सम्प्रदाय मात्र है।
सनातन धर्म किसी किताब पर आधारित धर्म नहीं है, इसलिए इसका अनुसरण समस्त ब्रह्माण्ड के जीव जन्तु, ग्रह-नक्षत्र कर पाते हैं। जबकि हिन्दू धर्म का अनुसरण केवल साम्प्रदायिक द्वेष और घृणा से भरे हुए राजनैतिक उत्पाती करते हैं।
किताबी धर्मों को समझने के लिए किताबें पढ़नी पड़ती हैं। फिर उन किताबों को समझने के लिए दूसरी किताबें पढ़नी पड़ेंगी। फिर भी किताबी धर्म नहीं समझ में आएगा, इसीलिए उन किताबी धर्मों के आचार्यों के पास जाना होगा समझने के लिए। फिर भी समझ में नहीं आएगा, क्योंकि उन किताबी धर्मों के आचार्यों के पास जो ज्ञान है वह उसी किताब का ज्ञान है, जो किसी की समझ में नहीं आया। और यही कारण है की किताबी धार्मिक आजीवन धार्मिक ग्रंथ पढ़ते रहते हैं इस उम्मीद में कि शायद किसी दिन धर्म समझ में आ जाए, तब तक रट्टा लगाए चले जाते हैं धार्मिक कहलाने के लिए।
किताबी धार्मिकों से जब भी धर्म के विषय पर पुछेंगे, वे आपको यही कहेंगे कि हमारी किताबें पढ़ लो, हमें नहीं पता कि धर्म क्या है।
लेकिन सनातन धर्म को समझने के लिए किसी भी धर्म ग्रंथ या आसमानी, हवाई किताबों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। केवल प्रकृति के गोद में चले जाइए धर्म समझ में आने लगेगा। किसी पशु या पक्षी को किसी दूसरे पशु या पक्षी की सहायता करते देख समझ में आ जाएगा सनातन धर्म क्या है।
तो सनातन धर्मी होना कोई किताबी धार्मिक होने जैसा आसान नहीं है। क्योंकि सनातन धर्मी होने के लिए विवेक बुद्धि का होना अनिवार्य शर्त है।
जबकि हिन्दू होने के लिए विवेक बुद्धि की अनिवार्यता नहीं है। केवल राजनैतिक पार्टियों, राजनेताओं और धर्म व जातियों के ठेकेदारों का दुमछल्ला होना, जयकारे लगाने और चापलूसी करने की लत होना, दंगा-फसाद, आगजनी में पारंगत होना पर्याप्त है।
इसीलिये मैं हिन्दू नहीं, सनातनी हूँ। मेरा धर्म किताबी नहीं, व्यवहारिक है।
Chal hut.
We don’t Christian preecher to teach us