ईशनिन्दा कानून का औचित्य क्या है ?

किसी के ईष्ट या आराध्य की निंदा करना ईशनिन्दा है और ईशनिन्दा के अंतर्गत कड़ी सजा का प्रावधान है। तो केवल पैगंबर की निंदा करने पर ही ईशनिन्दा क्यों लागू होती है ?
फिर तो माँ-बहन की गाली देने वालों पर भी ईशनिन्दा कानून लागू होना चाहिए। क्योंकि किसी के लिए माँ ही ईश्वर है तो किसी के लिए बहन ईश्वर है। कोई अपनी माँ को पूजता है, तो कोई अपनी बहन को पूजता है।
भारतीय पत्नियों के लिए उनका पति ही परमेश्वर है। तो फिर उनके पतियों को गालियां देने वाले, धरना-प्रदर्शन में उन स्त्रियों के पतियों पर लाठीचार्ज करने और करवाने वालों पर भी ईशनिन्दा कानून के अंतर्गत कार्यवाही होनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने पत्नियों के परमेश्वर का अपमान किया है ?
फिर तो देश को लूटने और लुटवाने वालों पर भी ईशनिन्दा कानून लागू होना चाहिए। क्योंकि किसी के लिए देश ही उसका आराध्य है, वह देश की मिट्टी को चूमता है, उसे पूजता है ?
फिर तो आदिवासियों, किसानों की भूमि हथियाने वाले भूमाफ़ियों पर भी ईशनिन्दा कानून लागू होना चाहिए, क्योंकि आदिवासियों, किसानों के लिए जननी और जन्म भूमि दोनों ही पूजनीय हैं, आराध्य हैं।
ईशनिन्दा कानून अभिशाप है भारत जैसे सनातन धर्मी देश के लिए
कल्पना करिए कि भारत में ईशनिन्दा कानून लागू हो जाए, तब क्या होगा ?
ये जो लोग आए दिन हिन्दू देवी देवताओं को गरियाते रहते हैं, वे सब फाँसी पर ऐसे ही लटके मिलेंगे, जैसे इस पुतले को लटकाया गया है।
भारत में बहुत से लोग साँप को पूजते हैं, कुत्ते को पूजते हैं, बंदर को पूजते हैं, यहाँ तक कि पेड़ पौधो को पूजते हैं। तब इन्हें पत्थर मारने वालों पर भी ईशनिन्दा कानून के अंतर्गत कार्यवाही होगी और सभी फाँसी में लटके नजर आएंगे।
इसीलिए ईशनिंदा के नाम पर उत्पात मचाने से पहले यह भी सोच लीजिये कि आप सनातन धर्मी भारत में हैं, किसी आदिकालीन, कबीलाई कूपमंडूकों के देश में नहीं।
और यहाँ आराध्यों की संख्या इतनी है कि कहीं भी पत्थर उछालोगे, किसी न किसी के आराध्य को लगेगी। और यदि वह भी इस्लामिक मानसिकता का हुआ, तो फिर सोचिए कि क्या होगा ?
यह ठीक है कि किसी के आराध्य का अपमान नहीं करना चाहिए, लेकिन यह भी सही है कि यह भारत है और यहाँ बड़े से बड़े आराध्य पर चर्चा होती है, आलोचनाएँ होती हैं। यही भारत की संस्कृति है और यह संस्कृति किसी भी इस्लामिक देश में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
आप सौभाग्यशाली हैं कि आप भारत में हैं, इसलिए यहाँ मनुस्मृति को जला सकते हैं, देवी-देवताओं को गरिया सकते हैं और कोई फाँसी नहीं देता, ना सर कलम करता है और न ही संगसार करता है। और यदि ऐसा कोई करता है, तो सबसे पहले हम भारतीय ही विरोध करने के लिए खड़े होते हैं, भले हमारे ही आराध्यों को गाली दी गयी हों।
भारत को सनातन धर्मी भारत ही रहने दें, इस्लामिक कूपमंडूकों का देश न बनाएँ ईशनिन्दा कानून थोप कर।
सदैव स्मरण रखें, कुछ बुरे लोगों की करतूतों की वजह से ना तो पूरी कौम को गलत कहा जा सकता है और ना ही कुछ भले लोगों की भलाई की वजह से पूरी कौम को भला कहा जा सकता है।
अब तय आप लोगो को करना है कि बुरे और भले लोगों को हटा दिया जाये, तो आपकी कौम के लोग हैं कैसे ?
~ विशुद्ध चैतन्य
मुस्लिम देशः कहां क्या है ईशनिंदा क़ानून
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