मौत की आहट सुन सकते हैं छह महीने पहले

यह तय है कि जिसे जीवन मिला है यानी शरीर प्राप्त हुआ है उसे अपने शरीर को छोड़कर एक न एक दिन जाना है। लेकिन मौत कब आएगी अगर इस चीज को पहले जान लें तो मौत का भय नहीं रहेगा। आप किसी तीर्थस्थल की यात्रा के लिए जिस प्रकार तैयार रहते हैं ठीक उसी तरह मौत के साथ विदा होने के लिए तैयार हो जाएंगे और मौत डरावनी चीज नहीं लगेगी।
गरूड़ पुराण में बताया गया है कि सामान्य स्थिति में जिनकी मृत्यु होती है वह छः महीने पहले मौत की आहट सुन सकते हैं। इसके लिए करना बस इतना होता है कि दोनों कानों को बंद करके आवज सुनने की कोशिश करें। अगर कोई शब्द या सनसनाहट नहीं सुन पा रहे हैं तो समझ लीजिए जाने का समय निकट आ रहा है।
जब मृत्यु का समय नजदीक आ जाता है तब ऐसा महसूस होने लगता है कि पूर्वक उनके आस-पास बैठे हुए हैं। कोई अनजान चेहरा आस-पास मौजूद होने का भी एहसास होता है। मृत्यु से दो दिन पहले सांस में उतार-चढ़ाव की गति बदल जाती है। आत्मा शरीर से छोड़ने के लिए तैयारी करने लगती है जिससे शरीर से एक अजब सी गंध आने लगती है जिसे मृत्यु गंध कहते हैं।
जब ऐसे स्थिति आ जाए तो अपनी मुक्ति का उपाय हर प्रकार से करना चाहिए। धीरे-धीरे संसार और परिवार से मोह-माया को हटाकर ईश्वर में ध्यान लगाना चाहिए और जीवन में आपने जो भी धन-संपत्ति अर्जित की है उसे मुक्त हाथों से जितना संभव हो जरूरतमंदों को दान देना चाहिए। जिनकी मृत्यु आने वाली है उनकी संतान को भी अपने पिता एवं माता की मुक्ति के लिए यथा संभव दान और पूजन करना चाहिए।
तुलसी के पौधे की नियमित सेवा-पूजन करें। तुलसी का पत्ता अपने सिरहाने रखकर सोना चाहिए। प्रतिदिन गंगाजल पीना चाहिए। इससे आत्मशुद्घि होती है और यम के दूत ऐसे व्यक्ति को अपने साथ नहीं ले जाते हैं। ऐसा मुक्ति यममार्ग में जाने से बच जाता है और उत्तम लोकों में जाकर सुख प्राप्त करता है।
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