गरीब क्यों रह जाते हैं गरीब जब कि अमीर और अमीर होते जाते हैं ?

इसका प्रमुख कारण है गरीब के मन में बचपन से बैठा दी गयी यह बात कि वह गरीब है, और उसे अमीर होने का अधिकार नहीं। उसे सपने में भी नहीं सोचना चाहिए कि वह अमीर हो सकता है।
चेतन भगत का एक भाषण सुन रहा था अभी दो तीन दिन पहले। उसमें बहुत ही अच्छी बात कही उन्होंने कि भारत में एक शब्द प्रचलित है ‘औकात’ ! आम बोलचाल में सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला शब्द है यह शायद। अक्सर कहा जाता है कि अपनी औकात में रहो, या अपनी औकात देखकर बात करो….आदि। और यही औकात ऐसी हद बना दी गयी है कि कोई उससे ऊपर उठने की सोच भी नहीं सकता। और यदि किसी ने उठने की कोशिश की तो उसे औकात बता दी जाती है।
जिस दिन भी व्यक्ति अपनी औकात से ऊपर सोचने की क्षमता विकसित कर लेता है, फिर वह सीमाओं में नहीं बंधा रहता फिर वह ऊँचाइयों को छूने लगता है। दुनिया में कई गरीब ऐसे भी रहे, जो देश के राष्ट्राध्यक्ष बन गये। कई गरीब ऐसे भी रहे, जो बड़े बड़े बिजनेसमेन बन गये। क्योंकि वे औकात की सीमा से बाहर निकलने में समर्थ हुए।
दूसरा प्रमुख कारण है गरीब की सहायता करने जाने का मतलब यह हो जाता है कि उन्हें बैठे बिठाए खिलाते रहो। उदाहरण के लिए मैंने गाँव के लोगों को बुलाया और कहा कि हम सब एक आपसी सहयोग योजना बनाते हैं और सब मिलकर किसी एक घर की सहायता करते हैं। उसके बाद दुसरे घर की और फिर तीसरे घर की। हर महीने सब लोग मिलकर कुछ न कुछ रूपये जोड़ेंगे और फिर किसी एक घर की सहायता करने की कोशिश करेंगे…..मैंने देखा कि किसी को भी मेरी बात रास नहीं आयी। वे सब एक ही रट लगाये हुए थे कि सरकार से हमें पेंशन दिलवा दो, बेटी की शादी के लिए अनुदान दिलवा दो…..मैंने सबको विदा किया और दोबारा फिर कभी ग्रामीणों को सलाह देने की कोशिश नहीं की।
आप देखेंगे कि दुनिया में जितने भी लोग अमीर हुए हैं, जितने भी लोग समृद्ध हुए हैं, वे गरीबों की चिंता में नहीं घुल रहे होते। वे केवल उन लोगों के साथ उठना बैठना पसंद करते हैं जो समृद्ध हैं और दुखड़ा रोते नहीं फिरते। बड़े बड़े साधू-संत हों या व्यापारी या राजनेता, सभी गरीबों से दूरी ही बनाये रहते हैं। क्योंकि गरीब के पास जाने के मतलब ही होता है जो कुछ कमाया है वह सब उनमें बाँट दो….गरीब इसी आस में आपसे मिलता है कि आपके पास तो बहुत है, हमें कुछ दे दो। गरीब कभी भी यह नहीं सोचता कि उसे स्वयं ऊपर उठने की कोशिश करनी है। जो आज अमीर हैं वे भी कभी गरीब थे, उनके पुरखे कभी गरीब थे लेकिन अपनी मेहनत व लगन से वे अमीर हुए। इसलिए नहीं कि अपनी कमाई गरीबों में बाँटते फिरें।
मैं स्वयं अनुभव करता हूँ कि गरीब को चमत्कारी बाबाओं, देवताओं से ही संतुष्टि मिलती है। उन्हें जागरूक करने का प्रयत्न करने वाला साधू संत रास नहीं आता। ओशो ने भी एक समय बाद गरीबों से हमेशा के लिए दूरी बना ली थी। क्योंकि उन्हें भी समझ में आ गया था कि आध्यत्मिक ज्ञान इनकी समझ में नहीं आएगा। इनकी समझ में रोटी और पैसा देने दिलाने वाला बाबा या भगवान् ही समझ में आएगा। और जब तक गरीब खुद को आत्मनिर्भर करने की योजना पर काम नहीं शुरू करता, जब तक वह झूठे आश्वासन और दिलासा देने वाले नेताओं, बाबाओं के चरणों में पड़ा रहता है, तब तक उसका उद्धार असंभव है।
~विशुद्ध चैतन्य
“The Only Cure I Had To Sadness Was To Keep On Working”
“उदासी का एक ही इलाज था मेरे पास और वह था निरंतर काम करते रहना ”
-शाहरुख़ खान
आइये कुछ ऐसे लोगों के विषय में जानते हैं जो कभी गरीब थे।
स्टीव जॉब्स
Apple कंपनी की स्थापना करने वाले Steve Jobs को ने अपनी जिंदगी में कोई कम दुःख नहीं देखा, Jobs ने अपनी पढाई कैलिफ़ोर्निया में की, और उस वक्त उनके पास में पढाई के लिए पैसे नहीं होते थे तब वो गर्मियों की छुट्टियो में काम किया करते थे.
उनके जिंदगी में ऐसा वक्त भी आया है जब उन्हें अपने दोस्त के रूम में जमीन पर सोना पड़ता था, और अपने खाने के लिए कोक की बोतल बेच कर अपना पेट भरते थे. Jobs कृष्णा मंदिर में मुफ्त भोजन भी किया करते थे.
फिर Jobs ने एक दिन Apple company शुरू की और बहुत success हुए और एक समय के आने के बाद Jobs के पास 5 अरब डॉलर की संपत्ति हो गई थी जिसके साथ वो अमेरिका के सबसे अमीर व्यक्ति में से एक व्यक्ति बन गए थे. हालाँकि Jobs आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन पूरी दुनिया में माना जाता है कि अब तक Steve Jobs जैसा marketer/entrepreneur कोई नहीं आया है.
कर्नल सेंडर्स
आपको KFC का चिकन पसंद है या नहीं लेकिन KFC के success के पीछे कर्नल सैंडर्स की story आपको जरुर पसंद आएगी।
कर्नल केवल 5 वर्ष के थे अब उनके पापा की मृतु हो गई थी, फिर उनकी माँ ने दूसरी शादी लार ली लेकिन कर्नल अपने सोतेले पापा से तंग आकर घर छोड़ दिया तब वो केवल 10 साल के थे, उसके बाद वे कई वक्त तक बेघर रहे और कई नौकरिया की और जीवन में परेशानियों का सामना किया.
एक बार किसी कारण से कर्नल सैंडर्स का चलता हुआ बिज़नस बंद हो गया। उस वक्त उनकी उम्र 65 हो चुकी थी और हाल यह था की खोने के लिए अब उनके पास में कुछ भी नहीं बचा था।
उनको अपने चिकन प्रयोग पर बहुत भरोसा था, वो मसाले और प्रेसर कुकर लेकर अपनी चिकन बनाने का प्रयोग की मार्केटिंग करने निकल पड़े। उन्होंने अलग-अलग रेस्टोरेंट से मिलना शुरू किया। और सब उनको रिजेक्ट करते गये।
लेकिन कर्नल सैंडर्स भी अड़े रहे, लगे रहे, सीखते रहे और चलते रहे। और करते-करते एक हजार नौ (1009) लोगो ने उनको रिजेक्ट कर दिया फिर जाकर उनको मिली उनकी पहली हाँ।
हाँ अपने सही पढ़ा है, एक हजार नौ बार रिजेक्ट होने के बाद, एक हजार नौ बार ना सुनने के बाद उनको उनकी पहली हाँ मिली।
सोचो 65 की उम्र में, एक एसी उम्र जब लोग रिटायर हो जाते है, एक इस उम्र में जब लोग दुबारा उठने से हार मान लेते है। उस उम्र में उन्होंने अपने चिकन प्रयोग के साथ एक ऐसा बिज़नस खड़ा कर दिया जो आज 120 देश में है, 18000 से ज्यादा KFC के रेस्टोरेंट्स (Restaurants) है और 20 अरब डॉलर से ज्यादा उनका एक साल की कमाई है।
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