अंधविश्वास


दुनिया का कोई भी किताबी मजहब या धर्म अन्धविश्वास के विरुद्ध नहीं है । क्योंकि सभी धर्मों, मजहबों में एक अंधविश्वास बहुत प्रभावी है और वह है निराकार की उपासना । उस काल्पनिक ईश्वर की उपासना करना जिसे न किसी ने देखा, न जाना, न समझा…बस किसी ने कहा और मान लिया और लगे पूजने उसे ।
ऐसे धार्मिकों से तो आदिवासी भले हैं जो कम से कम वृक्षों को पूजते हैं, उनकी हिफाजत करते हैं । वे किसान बेहतर हैं जो खेतों को पूजते हैं उनकी देखरेख करते हैं और अन्न उपजा कर दुनिया को भूख से मरने से बचाते हैं । उनसे अच्छे तो वे धार्मिक अच्छे हैं जो सूरज, चाँद को पूजते हैं, सूर्य के उगने से पहले नहा धो लेते हैं, सूर्योदय के समय ध्यान करते हैं, योगासन करते हैं, या जोगिंग करते हैं ।
~विशुद्ध चैतन्य
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