सकारात्मकता (Positivity) की अत्याधुनिक परिभाषा

बचपन से ही नकारात्मक था, ऐसा नहीं है। बचपन में बहुत सकारात्मक था बिलकुल वैसे ही जैसे देश की 99% जनता। लेकिन ज्यों ज्यों बड़ा होता गया, नकारात्मक होता चला गया। और फिर एक दिन इतना नकारात्मक हो गया कि बिलकुल अकेला हो गया।
पहले मुझे समझ में ही नहीं आया था कि रिश्वतखोरी यदि अधर्म है, देश लूटना और बेचना यदि अधर्म है, प्रायोजित महामारी का आतंक फैलाकर पूरे विश्व को बंधक बनाकर जनता का सामूहिक बलात्कार करना यदि अधर्म है, तो फिर लोग ऐसा करने वालों के तलुए चाटकर स्वयं को धन्य क्यों समझते हैं ?
मस्त रहो मस्ती में, चाहे आग लगे बस्ती में
लेकिन जब बड़ा हुआ तो समझ में आया कि ये सब सकारात्मक लोग हैं। “मस्त रहो मस्ती में, चाहे आग लगे बस्ती में” वाली सकारात्मकता। बस्ती में आग लगी, या घर में आग लगी, या देश में आग लगी….बस यूँ समझो कि अच्छे के लिए ही हुआ है।
कोई आकर आपकी हत्या कर जाये, तो समझो कि अच्छे के लिए हुआ है। कोई आपके घर के बहू-बेटियों की इज्ज़त लूट जाये, तो समझो कि अच्छा हुआ है…..यानि सकारात्मक्ता ही जीवन है।
महँगाई बेतहाशा बढ़ रही है और महँगाई को डायन बताकर नाचने वाले हिन्दू-मुस्लिम खेलने में मस्त हैं। क्योंकि वे सब सकारात्मक लोग हैं।
बिलकुल सही कहते हैं लोग
कहते हैं लोग कि सभी को अपना धर्म महान और दूसरों का धर्म भी अधर्म नजर आता है।
तो इसमें गलत क्या है ?
आईए सकारात्मक हो जाएँ और कहें कि बिलकुल सही कहते हैं लोग क्योंकि सब का अपना-अपना धर्म, पंथ, किताबें और ईश्वर है।
किसी के लिए रिश्वतख़ोरी धर्म है, किसी के लिए हत्या और बलात्कार धर्म है, किसी के लिए देश व जनता को लूटना और लुटवाना धर्म है, किसी के लिए धर्म व जातियों के नाम पर दंगा-फसाद करवाना धर्म है। , किसी के लिए आगजनी करना और हत्याएँ करना और करवाना धर्म है।
और अपने-अपने धर्म की रक्षा के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं, किसी की भी हत्या कर सकते हैं।
ऐसे में जो भी इनके धर्म को धर्म न मानकर अधर्म मानेगा, वह तो कहेगा ही कि मेरा धर्म श्रेष्ठ है तुम्हारे धर्म से। और ये लोग कहेंगे कि इनका धर्म ही श्रेष्ठ है, क्योंकि दुनिया के बड़ी बड़ी राजनैतिक पार्टियां, राजनेता, सरकार और सरकारी संस्थाएं और अधिकारी इन्हीं के धर्म का अनुसरण करती हैं।
जिस देश में बिना 5G नेटवर्क के भी 5G फोन धड़ल्ले से बिक रहा हो, उस देश में 5G टावर का विरोध करने वालों को मूर्ख ही कहा जा सकता है। ठीक इसी प्रकार जिस देश में बड़े बड़े पढ़े-लिखे सरकारी अधिकारियों की भीड़ के सहयोग से सरकारें जनता को लूट-खसोट रहीं हों, उस देश में धार्मिक ग्रंथो को अपनी बरबादी का कारण मानकर विरोध करने वालों को मूर्ख कहा जा सकता है।
कुछ लोग आजीवन ब्राह्मण, क्षत्रिय, साधु-संन्यासी होने के भ्रम में जीते हैं, क्योंकि वे उन्हें पता ही नहीं कि वे जो कर्म कर रहे हैं, जिस मानसिकता को ढो रहे हैं, वह शूद्र कर्म और मानसिकता है।
कुछ लोग डिग्रियाँ बटोरकर आजीवन इस भ्रम में जीते हैं कि वे पढे-लिखे हैं, शिक्षित हैं, समझदार हैं। ऐसे लोग आजीवन यह नहीं देख पाते कि उन्हें लूटने, मूँडने वाला कोई ब्राह्मण, या क्षत्रिय नहीं, बल्कि वे लोग हैं, जिनकी गुलामी कर रहे हैं
अधर्म अर्थात: अन्याय, शोषण, अत्याचार, भ्रष्टाचार, देश व जनता को लूटना और लुटवाना, प्रायोजित सरकारी महामारी का आतंक फैला पूरे देश को बंधक बनाकर जनता का सामूहिक बलात्कार करना और करवाना।
और जो अधर्म व अधर्मियों का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से विरोध करता है, या विरोध करने वालों का हर सम्भव व्यवहारिक रूप से समर्थन व सहयोग करता है, वह धार्मिक है। बाकी गाल बजाने वाले, जयकारा लगाने वाले, स्तुतिवंदन करने वाले, पूजा-पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास करने वाले, मंदिर-मस्जिद, दरगाहों व अन्य तीर्थों के चक्कर लगाने वाले और गीता, क़ुरान, बाइबल व अन्य आसमानी, हवाई, ईश्वरीय किताबों का रट्टा लगाने और लगवाने वाले न तो कभी धार्मिक थे, न कभी हो सकते हैं।
भले साल में सौ बार गंगा स्नान करने, मक्का-मदीना के चक्कर लगा लें, या जम-जम के पानी के तालाब में समाधि ले लें, धार्मिक नहीं कहला सकते।
सकारात्मक ऊर्जा से स्वयं के साथ-साथ समाज व देश का उत्थान करें
आइए सकारात्मक हो जाएं और सकारात्मक ऊर्जा से स्वयं के साथ-साथ समाज व देश का उत्थान करें।
यदि आज तक आप मान रहे थे कि चोरी, हेरा-फेरी, बैंक घोटाले करने वाले, देश व जनता को लूटने वाले, प्रायोजित सरकारी महामारी का आतंक फैला पूरे विश्व को बंधक बना जनता का सामुहिक बलात्कर करने वाले नीच हैं, पापी हैं, अधर्मी हैं…तो आप नकारत्मकता से भरे हुए व्यक्ति हैं। आप जैसे लोगों की वजह से ही देश का कल्याण नहीं हो पा रहा। आपके नकारात्मक भाव की वजह से ही करोड़ों लोग बेरोजगारी और भुखमरी में जी रहे हैं।
बड़े बड़े आध्यत्मिक, धार्मिक गुरुओं ने कहा है, तुम दुनिया को नहीं बदल सकते, इसीलिए स्वयं को बदलो।
तो बदल लीजिये स्वयं को बाकी सकारत्मक लोगों की तरह देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों की चाकरी करिये, उनकी स्तुति वन्दन करिये। फिर देखिए कैसे आपके जीवन में महान परिवर्तन आएगा और आप भी सकारात्मक लोगों की तरह बैंकों में घोटाला कर विदेश में सेटल हो सकते हैं।
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