क्षत्रिय विहीन आधुनिक भारत !

कहते हैं परशुराम ने पृथ्वी को 21बार क्षत्रिय विहीन कर दिया था। तो इसका अर्थ यह कि आज जो स्व्यं को क्षत्रिय कहकर इतराते फिर रहे हैं, वे क्षत्रिय हैं ही नहीं ?
अब शायद दुनिया को समझ में आ जाये कि केवल वैश्य और शूद्र ही हों, ब्राह्मण और क्षत्रिय न हों तो देश ही नहीं, समस्त विश्व बंधक बन जाता है माफियाओं, लुटेरों और नरपिशाचों का।
आज बहुत से लोग ब्राह्मण और क्षत्रिय होने का ढोंग करते हैं, लेकिन वास्तव में वे सब या तो वैश्य होते हैं या शूद्र।
वैश्य कभी भी देश व जनता को लूटने वालों का विरोध नहीं कर सकता, क्योंकि उसे अपने मुनाफे में रुचि है। शूद्र विरोध कर नहीं सकता, क्योंकि उसकी नौकरी चली जाएगी और नौकरी चली गयी तो बीवी बच्चे भूखे मर जाएँगे।
बहुत से लोग सोचते हैं कि मंदिरों में बैठे पंडित-पुजारी ब्राह्मण होते हैं। जबकि वे भी या तो वैश्य होते हैं या शूद्र। इसीलिए कभी भी पंडित-पुरोहितों को आप नहीं देखेंगे देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का विरोध करते हुए।
बहुत से लोग समझते हैं कि भगवाधारी साधु संत ब्राह्मण होते हैं, जबकि उन्हें भी आप देश व जनता को लूटने वालों की चाटुकारिता करते ही देखेंगे। क्योंकि वे भी वैश्य या शूद्र ही होते हैं।
स्मरण रखें:
कर्म और जाति से कोई न तो ब्राह्मण हो सकता है और ना ही क्षत्रिय। ब्राह्मण और वैश्य पूर्वजन्मों के संस्कारों से ही हो सकता है।
यदि पूर्व जन्मों में किसी ने अधर्म, अन्याय, अत्याचार के विरुद्ध लड़ा हो, देश को स्वतंत्र करवाने के लिए लड़ा हो, आदिवासियों और ग्रामीणों को लुटेरों से बचाने के लिए लड़ा हो, वही ब्राह्मण हो सकता है या क्षत्रिय। बाकी सब केवल ढोंग कर सकते हैं, अधर्मियों के विरुद्ध आवाज़ तक नहीं निकलेगी इनकी।
और शायद यही कारण है कि आधुनिक क्षत्रिय कभी भी विरोध करते दिखाई नहीं देते देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का, देश की जनता पर अत्याचार करने वालों का। और शायद यही कारण है कि आधुनिक क्षत्रिय अत्याचारियों का विरोध करने की बजाय, वर्षभर बैठकर फिल्में देखकर तय करते हैं कि किस फिल्म का विरोध करना है, किस फिल्म के डायरेक्टर को पीटना है।
आधुनिक क्षत्रिय किसानों, गरीबों, आदिवासियों पर अत्याचार करने वाले माफियाओं का विरोध करने की बजाय, मुसलमानों का विरोध करते फिरते हैं और क्षत्रियों के वंशनाशी, स्व-मातृहंता परशुराम को पूजते हैं।
यदि परशुराम ने पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन न किया होता, तो आज अधर्मियों और देश व जनता को लूटने, लुटवाने वालों का साम्राज्य न होता।
आज कट्टा, तमंचा, तलवार और फरसा लेकर दंगा-फसाद न कर रहे होते शूद्र।
आज प्रायोजित महामारी का आतंक फैलाकर पूरी दुनिया को बंधक बनाकर न रखे होते फिरंगियों की नाजायज़ औलादों ने।
आज हमारा देश न बेच रहे होते फिरंगियों के दलाल हमारी ही आँखों के सामने और खुद को क्षत्रिय कहने वाले शूद्र थाली-ताली बजाकर न नाच रहे होते।
परशुराम ने न केवल हमारे देश को भारी क्षति पहुँचाई, बल्कि पूरे विश्व की जनता को भेड़ों, बकरियों का जीवन जीने के लिए विवश कर दिया। इसलिए परशुराम मेरा आदर्श नहीं।
~ विशुद्ध चैतन्य
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