ब्राह्मण और क्षत्रिय अपना आस्तित्व बचाएं तो बचाएं कैसे ?

समस्त विश्व से ऋषि लुप्त हो गए और ब्राह्मण और क्षत्रिय लुप्त होने के कागार पर पहुँच गए।
जानते हैं क्यों ?
बरसों तक ग़ुलामी में जीने के कारण अधर्मियों, अत्याचारियों, माफियाओं, देश व जनता को लूटने वाली पार्टियों, सरकारों का विरोध करने की क्षमता खो चुके समाज ने ग़ुलामी को ही अपनी नियति मान ली। पिंजरे को अपने स्वप्नों का महल मान लिया। परिणाम यह निकला कि समाज ब्राह्मणों और क्षत्रियों को जन्म दे पाने में अक्षम हो गया।
और यदि गलती से किसी के घर ब्राह्मण या क्षत्रिय जन्म ले भी ले, तो परिवार अपना माथा पीटने लगता है। क्योंकि वर्तमान समाज में या तो व्यक्ति को वैश्य होना चाहिए, या फिर शूद्र।
वैश्य हुआ तो सरकारों को खरीद सकता है, बैंकों को चूना लगाकर विदेशों में सेटल हो सकता है। और यदि शूद्र हुआ तो, माफियाओं, लुटेरों, सरकारों या विदेशों की चाकरी करके परिवार और समाज का नाम रोशन करेगा। जबकि ब्राह्मण और क्षत्रिय माफियाओं और लुटेरी सरकारों का विरोध करके खुद तो मुसीबत में पड़ेंगे, परिवार को भी मुसीबत में डाल देंगे।
वर्तमान समाज अच्छी तरह से जानता है कि सरकारें भ्रष्ट होती हैं, माफियाओं की गुलाम होती हैं, लेकिन फिर भी विरोध नहीं करतीं। उल्टे अपने बच्चों को महंगी-महंगी डिग्रियाँ दिलाकर इनकी ग़ुलामी के लिए भेजते हैं। फिर शान से बताते हैं कि हमारा बच्चा तो सरकारी अधिकारी है। अपने ही देश को लूटने और बर्बाद करने में सरकार का सहयोगी है।
अब आप बताइए ऐसे समाज में, ऐसी दुनिया में ब्राह्मण और क्षत्रिय अपना आस्तित्व बचाएं तो बचाएं कैसे ?
~ विशुद्ध चैतन्य
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