जमीनी क्रांतिकारियों को चाहिए कि सोशल मीडिया अकाउंट बंद करदें

देखा है बहुत से आधुनिक क्रांतिकारियों को, जो फेसबुक पर आकर कहते हैं कि फेसबुक पर क्रान्ति करने से कुछ नहीं होता, जमीन पर उतरो।
बिलकुल सही कहते हैं ये लोग। लेकिन इन्हें यह बातें ज़मीन पर ही कहनी चाहिए फेसबुक पर नहीं। बल्कि इन्हें चाहिए कि फेसबुक और ट्विटर अकाउंट स्थायी रूप से बंद कर दें, ताकि जमीनी क्रान्ति में किसी प्रकार की बाधा ना आए।
यदि सोशल मीडिया पर लिख रहे मेरे जैसे लोगों से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा होता, तो एक एक फेसबुक अकाउंट पर इतनी बारीकी से नजर ना रखी जा रही होती आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के माध्यम् से।
यदि हम जैसे लोगों के लिखने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा होता, बार बार हमारे अकाउंट सस्पेंड न होते और न ही हमारे अकाउंट की रीच घटाई जा रही होती।
यदि हमारे लिखने से कोई फर्क नहीं पड़ रहा होता, हमें धमकियाँ न मिल रही होती और देश व जनता के लुटेरों के भक्त हमारे विरुद्ध रिपोर्ट न कर रहे होते।
सत्य तो यह है कि मोदीसरकार कभी भी सत्ता में नहीं आ सकती थी यदि सोशल मीडिया न होता।
और आज स्थिति यह है कि जिस भी पार्टी की पकड़ सोशल मीडिया में पर नहीं, उसके जीतने की संभावना बहुत कम हो जाती है राष्ट्रिय स्तर के चुनावों में।
सदैव स्मरण रखें: यदि आप देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के विरुद्ध लिखेंगे, आप फार्मा माफियाओं के विरुद्ध लिखेंगे, आप प्रायोजित महामारी के आतंकियों के विरुद्ध लिखेंगे, आप देश की जनता को बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार करने वालों के विरुद्ध लिखेंगे, तो आपके अकाउंट सस्पेंड होंगे, रीच घटा दी जाएगी।
लेकिन यदि आप चुटुकुले सुनाएँगे, आप पकवानों की विधियाँ बताएँगे, आप लोगों का मनोरंजन करेंगे या ऐसा कुछ भी करेंगे, जिससे जनता का ध्यान मुख्य समस्याओं से भटकाया जा सके, तो फेसबुक और ट्विटर स्वयं आपको प्रोमोट करेगा। जनता भी धड़ल्ले से शेयर करेगी। क्योंकि न जनता को रुचि है देश की समस्यों को सुलझाने में और नहीं नेताओं, सरकारों और न्यू वर्ल्ड ऑर्डर के सूत्रधारों को।
~ विशुद्ध चैतन्य
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