और यही परम सत्य है !
यदि आपके पास इतना धन है कि आप पुलिस, अदालत, ईडी, सीबीआई और सरकारों को खरीद सकें, तो यमराज भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ईश्वर भी आपके सामने नतमस्त्क हो जाएगा क्योंकि ईश्वर/अल्लाह के घर यानि मंदिर, मस्जिद, तीर्थ आदि सब इन्हीं की दया और कृपा पर टिके हैं। जब चाहें ईश्वर/अल्लाह हो बेघर कर सकते हैं।
पिछले कुछ ही वर्षों में यह सत्य जाना कि इंसान चाहे किसी भी पंथ, मजहब, रिलीजन के अंतर्गत हो, अनुसरण सभी उसी पंथ का करना चाहते हैं, जिस पंथ का अनुसरण करके विजय माल्या, नीरव मोदी, चौकसी विदेशों में सेटल हुए। सभी चाहते हैं कि अदानी की तरह बैंकों से कर्जा लेकर दुनिया का सबसे अमीर बन जाएँ। लेकिन कर्जा वापस न लौटाना पड़े, भले बैंक बिक जाये, बर्बाद हो जाये।
अब तो नया ट्रेंड शुरू हो गया है और वह यह कि जिस बैंक को खरीदना हो, उसी से कर्जा ले लो। खरीदने के बाद कर्जा लौटाना भी नहीं पड़ेगा।
सारांश यह कि दुनिया का कोई भी पंथ/सम्प्रदाय ऐसा नहीं है, जो देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का विरोधी हो। सभी पंथ केवल जय-जय करना सिखाते हैं, स्तुतिवंदन करना सिखाते हैं और मैं सुखी तो जग सुखी के सिद्धान्त पर जीना सिखाते हैं।
केवल कुछ व्यक्ति ही होते हैं, जो विरोध कर रहे होते हैं। जबकि बड़े-बड़े समाज/सम्प्रदाय, संगठन, संस्थाएं विरोध करते कहीं नजर नहीं आते।
राजनैतिक पार्टियों द्वारा किए जा रहे विरोधों का कोई महत्व नहीं, क्योंकि ये सब नौटंकीबाज होते हैं। सत्ता मिलने से पहले महंगाई, एफडीआई को डायन बताएँगे और सत्ता मिलने के बाद विकास की मौसी।