विज्ञान के अंधभक्त नहीं जानते कि समोसा और जलेबी भी विज्ञान पर आधारित है

जैसे आज तक पढ़े-लिखे साइंटिफिक सोच के लोगों को धर्म ही नहीं समझ में आया, इसीलिए संप्रदायों, पंथों, मत मान्यताओं, कर्मकांड, पुजा-पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत उपवासों को धर्म मानकर जी रहे हैं। ठीक इसी आज तक नहीं जान पाये कि विज्ञान क्या है।
प्रोडक्ट को विज्ञान मानकर जीने वाले लोग बड़े इतराये फिरते हैं कि हम तो वैज्ञानिक सोच के लोग हैं।
यदि प्रोडक्ट को विज्ञान माना जाये, तो फिर पकोड़ा भी विज्ञान है, जलेबी भी विज्ञान है, समोसा भी विज्ञान है, बिरयानी, खीर, छोले-भटूरे, डोसा, इडली, दाल फ्राई, लच्छा पराँठा…..आदि सब विज्ञान हैं। और इन्हें बनाने वाले वैज्ञानिक या इंजीनियर माने जाने चाहिए….है कि नहीं ?
अब अवैज्ञानिक कौन हैं ?
वे लोग जो भोजन बनाना नहीं जानते इसीलिए दूध, फलाहार और सलादों पर निर्भर हैं।
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