श्री कृष्ण ने कहा था: जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है !

श्री कृष्ण ने कहा था,
” जो हुआ अच्छा हुआ !
जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है !
और जो होगा वह अच्छा ही होगा !”
बचपन से ही यह सिखाया जाता रहा है कि सर झुकाकर जीना सीखो। अहंकार मुक्त हो जाओ। प्रश्न मत करो। गलत का विरोध मत करो। और सबसे महत्वपूर्ण यह कि मानव का जन्म नौकरी करने के लिए हुआ है, इसलिए अच्छे नस्ल का नौकर बनने की तैयारी करो।
ऐसी शिक्षा प्राप्त समाज और देश की जनता भेड़ों-बकरियों का जीवन जीने के लिए विवश हो जाती है। ऐसी शिक्षा प्राप्त जनता कभी भी देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के विरुद्ध आवाज नहीं उठा पाती। ऐसी जनता आजीवन शोषण, अत्याचार और सामूहिक बलात्कार सहने के लिए विवश हो जाती है। और उसे आजीवन नहीं पता चल पता कि उसका शोषण हो रहा है, उसका बलात्कार हो रहा है।
ऐसी जनता किसी एक व्यक्ति पर हुए शोषण, अत्याचार या बलात्कार के विरोध में सड़कों पर निकल आती है केंडिल मार्च करते हुए। लेकिन जब पूरे देश का ही बलात्कार हो रहा होता है, तब ताली-थाली और बर्तन बजाकर नाच रही होती है।
मैं आश्चर्य चकित रह जाता हूँ जब देखता हूँ कि सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन और समस्त समस्याओं का समाधान करने का दावा करने वाले विद्वानों को धर्म का अर्थ नहीं पता, देशभक्ति का अर्थ नहीं पता, स्वतन्त्रता का अर्थ नहीं पता, लेकिन सम्पूर्ण विश्व की समस्याओं का समाधान करने के लिए दुकाने सजाये बैठे हैं।
हर गली, नुककड़ में ऐसे विद्वान अपनी मंडली लिए बैठे मिलेंगे, जिन्हें पता है कि सारी दुनिया की समस्याओं का समाधान कैसे किया जाये। लेकिन यही विद्वान अपने मोहल्ले की समस्याओं का समाधान कर पाने में अक्षम हैं।
पाँच हज़ार से अधिक राजनैतिक पार्टियां हैं और चार लाख से अधिक सामाजिक संस्थाएं और संगठन। लेकिन समाज का पतन हुआ चला जा रहा है, देश का पतन हुआ चला जा रहा है तो क्यों ?
क्योंकि ये सब भी केवल धंधा जमाये बैठे हैं, केवल अपने-अपने बीवी बच्चे पाल रहे हैं। फिर चाहे देश व जनता को लूटने वालों के साथ हाथ मिलाना पड़ रहा हो, या फिर उनकी चाकरी और चाटुकारिता करनी पड़ रही हो।
बहुत से लोग तो ईडी, सीबीआई, इन्कम टैक्स जैसे सरकारी गुलामों से आतंकित हैं। अब भला ये आतंकित (भयभीत) लोग गलत का विरोध करना भी चाहें तो करेंगे कैसे ?
कॉंग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियों को ही देख लीजिये। आज सभी भीगी बिल्ली बने बैठे हैं। जनता अपने में मस्त है, किताबी धार्मिक लोग जपनाम में मस्त हैं।
बहुत से विद्वान मानते हैं कि डबल्यूएचओ, अमेरिका आदि कि गुलामी करना ही समस्त मानव जाति की नियति है। अपने देश के हितों के विषय में सोचना मूर्खता है। जब भी सोचो अमेरिका के हितों की सोचो, ब्रिटेन के हितों की सोचो, डबल्यूएचओ के हितों की सोचो, तभी विश्व का कल्याण होगा।
ऐसी मानसिकता का समाज यदि बर्बाद हो रहा है, तो क्या बुरा हो रहा है ?
जो समाज अपने देश के आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों पर मौन है, जो समाज प्रायोजित सरकारी महामारी के आतंकियों द्वारा अपने ही देश की जनता के सामूहिक बलात्कार पर खुश है, वह समाज यदि ध्वस्त हो जाये तो बुरा क्या है ?
यदि जबर्दस्ती फर्जी सुरक्षा कवच चेपकर जनता को मारा जा रहा है, तो बुरा क्या हो रहा है ?
ऐसी स्वार्थी जनता का मर जाना ही श्रेष्ठकर है। और इसीलिए ही श्री कृष्ण का कथन मुझे सही लगता है कि जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा वह अच्छा ही होगा।
~ विशुद्ध चैतन्य

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