आज भी हम फिरंगियों के ही गुलाम

#amazonprime पर Forgotten Army नामक एक डॉक्यूमेंटरी वेब सिरीज़ देखी थी, जिसमें सिंगापूर गयी भारतीय सेना को यह एहसास तक नहीं था कि वे गुलाम देश के सैनिक हैं। उन्हें पता ही नहीं था कि ब्रिटिश भारत पर कब्जा जमाये बैठे हैं, न कि वे भारतीय हैं।
वे तो इसी भ्रम में जी रहे थे कि वे भारतीय सेना की शान हैं, भारत की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुती देने निकले हैं। लेकिन जब सुभाषचंद्र बोस ने विदेशी भूमि से भारत स्वतन्त्रता अभियान छेड़ा, तब सिंगापूर निवासी माया नाम की एक फोटो पत्रकार भी सुभाषचंद्र बोस के स्वतन्त्रता अभियान का हिस्सा बन गयी। और जब माया की भेंट भारतीय सेना के कप्तान यानि फिल्म के हीरो से हुई, तब पहली बार कप्तान को पता चला कि वह गुलाम देश का गुलाम सिपाही है।
जब माया ने उसे समझाया कि सुभाषचंद्र बोस की सेना भारतीय है, न कि जिनके अधीन तुम काम कर रहे हो, वह भारतीय है, तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ। उसका कहना था कि मेरे दादा-पड़दादा सभी गोरों के सिपाही रहे हैं, तो फिर गोरे विदेशी कैसे हो गए ? क्या तुम रंगभेद के आधार पर उन्हें विदेशी बता रही हो ?
वह मानने को तैयार ही नहीं था कि वह देश की नहीं, विदेशियों की सेवा कर रहा है और विदेशियों के लिए ही अपने प्राणो की आहुति दे रहा है।
उसे समझ में तब आयी, जब जापानी सेना को घुटनो पर ला देने के बाद भी ब्रिटिश सरकार ने उनसे कहा कि हथियार उन्हें सौंप दो और आत्मसमर्पण कर दो। यानि जीती हुई बाजी जानबूझकर हार जाओ और अपने आप को दुश्मनों के हवाले कर दो।
इस अपमान ने उसकी आँखें खोल दी और वह आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर नए शामिल हुए देशभक्तों को सेना की ट्रेनिंग देने लगा।
क्या आज भी कुछ बदला है ?
नहीं आज भी कुछ नहीं बदला और आज भी हम विदेशियों के ही गुलाम हैं। ना तो हमारे पास अपनी कोई राजनैतिक पार्टी है, न ही अपनी कोई सरकार। जो भी यहाँ देशभक्ति की पीपणी बजाते घूम रहे नेता दिख रहे हैं, सभी विदेशियों के ही पपेट हैं। राजनैतिक पार्टियां भी विदेशियों की ही गुलाम हैं। जैसा वे लोग कहेंगे, वैसा ही ये सब करेंगे, भले इन्हें अपने ही देश की जनता को मौत के मुँह पर धकेलना पड़े, इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। बात बिगड़ती दिखी, तो भाग कर अपने आकाओं के पास विदेश पहुँच जाएंगे माल्या, नीरव, चौकसी की तरह।
यदि प्रायोजित महामारी के नाम पर झूठ फैलाकर पूरी दुनिया को बंधक न बनाया गया होता, यदि दुनिया की सभी मीडिया को गुलाम बनाकर जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास न किया गया होता, तो शायद दुनिया यह कभी नहीं जान पाती कि उनकी अपनी सरकार ही उनकी अपनी नहीं है। सभी उनकी गुलाम हैं, जो दुनिया की सभी बैंकों का मालिक है। और वह मालिक पूरे विश्व को अपना गुलाम बनाना चाहता है।
लेकिन देश की सरकारें झूठी देशभक्ति का ढोंग करके सेना, पुलिस और पूरी जनता को मूर्ख बनाती रहती है। एक एक करके सारा देश नीलाम हुआ चला जा रहा है न्यू वर्ल्ड ऑर्डर के नाम पर, और जनता भक्ति के नशे में धुत्त बेहोश पड़ी हुई है।
~ विशुद्ध चैतन्य
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