भारत संभवतः एकमात्र ऐसा देश है जिसमें भारतीय नहीं पाये जाते
भारत आज तक आत्मनिर्भर क्यों नहीं हो पाया ?
क्यों निर्भर है भारत विदेशियों के गुलाम राजनेताओं, राजनैतिक पार्टियों और सरकारों पर ?
क्यों भारतीयों के पास अपनी पुलिस व्यवस्था नहीं है, अपनी सेना नहीं हैं, अपने सरकारी अधिकारी और कर्मचारी नहीं हैं ?
जो प्राथमिक कारण नजर आ रहे हैं मुझे, वे हैं धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु, मैं सुखी तो जग सुखी के सिद्धान्त पर जीने की शिक्षाएं और विश्वबंधुत्व के नाम पर विदेशियों की गुलामी और चाटुकारिता की लत।
मैंने अभी तक जितने भी संप्रदायों के विषय में जाना या सुना है, उन सभी में एक ही बात कॉमन नजर आती है और वह यह कि सभी कायरता, धर्मभीरुता, कूपमंडूकता के साथ-साथ यही सिखाती हैं कि देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का विरोध करने की बजाय धार्मिक ग्रन्थों को पढ़ो, गुरुओं की स्तुति-वंदन करो, मंदिर बनवाओ, मस्जिद बनाओ, चढ़ावा चढ़ाओ और जयकारा लगाओ।
क्योंकि ईश्वर ने मानव रूप में जन्म केवल इसलिए दिया है कि ईश्वर की स्तुति वंदन करो, जय जय करो, शादी करो, बच्चे पैदा करो, ईशनिन्दा के नाम पर उत्पात मचाओ, हत्याएँ करो, दंगा करो, आगजनी करो, लेकिन देश व जनता के लुटेरों का विरोध मर करो, फर्जी महामारी और फर्जी सुरक्षा कवच का विरोध मत करो। बल्कि लुटेरों और माफ़ियों के सामने नतमस्त्क हो जाओ, क्योंकि यही पालनहार हैं सभी धर्मों के, ईश्वर/अल्लाह के, धर्म और जातियों के ठेकेदारों के।
भारत संभवतः एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें भारतीय और देशभक्त नहीं पाये जाते। और जो मूर्ख देशभक्ति के नाम पर शहीद भी होते हैं, तो वे भी देश के लिए नहीं, राजनैतिक पार्टियों के षडयंत्रों के शिकार हो जाते हैं। कुछ लोगों को देशभक्ति के नाम पर मरवाकर राजनैतिक पार्टियाँ अपनी सत्ता और कुर्सी बचा ले लेती हैं।
दूसरा प्रमुख कारण जो नजर आता है मुझे वह है भारतीय शिक्षा पद्धति जिसमें यह नहीं सिखाया जाता कि देशभक्ति का अर्थ क्या होता है, भारतीय होने का अर्थ क्या है और साम्प्रदायिक होने का अर्थ क्या है। जिसमें बच्चों को केवल एक ही बात सिखाई जाती है और वह यह कि डिग्रियाँ बटोरने का एक ही उद्देश्य है और वह है नौकरी करना।
जो भी स्कूल, कॉलेज में दाखिला लेता है, वह मानसिक रूप स्वीकार चुका होता है कि उसका जन्म गुलामी करने के लिए ही हुआ है। और गुलाम कभी भी देशभक्त नहीं हो सकता। क्योंकि गुलाम केवल अपने मालिकों का भक्त होता है और उसका मालिक ही उसका देश होता है, उसका आराध्य ईश्वर होता है।