नेताओं, सरकारों के पीछे भागना बंद करिए, क्योंकि वे सब माफियाओं के दलाल हैं

आदिकाल से आसमानी, हवाई, ईश्वरीय किताबों, धर्म और नैतिकता को आधार बनाकर जनता को मवेशियों की तरह गुलाम बनाकर शोषण किया जाता रहा। फिर जातियों के ठेकेदारों को पैदा किया गया यह समझाने के लिए तुम्हारा शोषण दूसरी जाति, पंथ या रिलीजन वाले कर रहे हैं।
नीचे दी जा रही छायाचित्र में इंका साम्राज्य की 500 वर्ष पहले धर्म के नाम पर बलि दी गयी एक लड़की की ममी दिखाई गयी है। बेचारी को धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणो की आहुती देनी पड़ी थी। उस धर्म की रक्षा के नाम पर, जिसे आधार बनाकर दुनिया भर के शासक और धर्म व जातियों के ठेकेदार जनता का शोषण करते आ रहे हैं। लेकिन वे स्वयं ना कभी धर्म को समझ पाये, न कभी धार्मिक हो पाये।

Inca Child Sacrifice Victims Were Drugged
Weird and gross but true this 15-year-old girl lived in the Inca empire and was sacrificed 500 years ago as an offering to the gods.
She is preserved this well because she was frozen during sleep and kept in a dry cold condition at more than 6000 meters above sea level all this time. No other treatment was necessary.
Found in 1999 near the top of the Llullaillaco volcano, in northwestern Argentina, she was an archaeological revolution for being one of the best preserved mummies, since there was even blood in her body and her internal organs remained.
BY NATIONAL GEOGRAPHIC STAFF
PUBLISHED SEPTEMBER 11, 2007
फिर जातियों के आधार पर संगठन बने, राजनैतिक पार्टियां बने नए नए जातिवादी नेता पैदा हुए….लेकिन ना तो जातिगत शोषण बंद हुआ, न मानव जाति का और ना ही वनवासियों का शोषण बंद हुआ।
ना तो प्राकृतिक संसाधनों की लूट और दुरुपयोग बंद हुआ और न ही जनता को लूटना-खसोटना बंद हुआ।
आश्चर्य तो इस बात का है मुझे कि बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ बटोर लेने के बाद भी इंसान अपनी गुलाम मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया। उसमें इतनी भी समझ विकसित नहीं हो पायी कि जिस भूमि को बेचकर वह डिग्रियाँ और नौकरियाँ खरीद रहा है, वह भूमि फिर वह आजीवन नहीं खरीद पाएगा। और खरीद भी लिया तो केवल शेयर मार्किट में पैसा लगाने जैसा ही उपयोग कर पाएगा। अर्थात अधिक कीमत मिलने पर बेच देगा।
पढ़ा-लिखा समाज भी आज तक नहीं समझ पाया कि मुखिया चाहे देश का हो, चाहे राज्य का, चाहे गाँव का, होता वह दलाल ही है। वह भूमि बेच देगा,, न कि निवासियों के हितों के लिए सदुपयोग करेगा। मेरे अपने आसपास के गांवों के मुखियाओं ने यही किया। गोचर भूमि तक बेच डाली, और गाँव के लोगों ने कोई विरोध नहीं किया। सब मेरे भरोसे बैठे रहे कि मैं विरोध करूँ, कोई कार्यवाही करवाऊँ।
और जब गाँव के लोग ही अपने गाँव को बचाना नहीं चाहते, तो फिर सोचिए कि देश की बाकी गुलाम मानसिकता वाली जनता की मनोस्थिति कितनी गिरी हुई होगी ?
मेरे जैसे कुछ लोग विरोध करते भी है, तो कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि समाज हमारे साथ नहीं, सरकारें हमारे साथ नहीं, यहाँ तक कि हमारा अपना परिवार, अपने लोग हमारे साथ नहीं।
खैर मेरा काम है जागरण अभियान चलाये रखना, इसलिए लिखता रहता हूँ। कोई जागे या न जागे, अब कोई फर्क नहीं पड़ता। और जो मेरे अभियान में मेरा साथ देना चाहते हैं, वे मुझे कोई नेता या आदर्श मानकर ना जुड़ें। क्योंकि मैं किसी को कुछ करके दिखाने नहीं आया।
पहले भी कई लोग आए थे और आज भी बहुत से लोग हैं, जो अपनी भूमि का सदुपयोग करके दिखा रहे हैं, उन्हें अपना नेता बनाइये और उनकी नकल करिए। मैं कोई संस्था या संगठन बनाने नहीं आया हूँ। मैं तो केवल यह सिखाने आया हूँ कि दूसरों की नकल मत करिए, दूसरों को आदर्श बनाकर जय-जय करते मत डोलिए। बल्कि स्वयं को ही स्वयं का आदर्श बना लीजिये और प्रयोग करिए अपनी भूमि पर। प्रयोग करके सीखिये कि कैसे बिना किसी बिल्डर को अपनी भूमि बेचे, बिना देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों की गुलामी किए, अपनी ही भूमि से अपने परिवार के लिए आवश्यक भोजन व सुख सुविधाएं प्राप्त की जा सकती है।
पढे-लिखे हैं, बुद्धि का प्रयोग करना जानते हैं, तो अवश्य आप सफल होंगे। और यदि डिग्रियाँ केवल गुलामी करने के लिए बटोरी है, तो फिर मेरे लेख मत पढ़िये। क्योंकि गुलाम मानसिकता के लोगों, ज़ोम्बियों, राजनेताओं और राजनैतिक पार्टियों के पास अपनी विवेक बुद्धि गिरवी रख चुके भक्तों और दुमछल्लों को मेरे विचार और लेख आजीवन समझ में नहीं आने वाले।
~ विशुद्ध चैतन्य
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