गुरु बताते हैं कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है लेकिन स्वयं राजसत्ता से थर्राए रहते हैं
बचपन से मुझमें एक बुरी आदत रही है कि कभी भी उन गुरुओं के पास नहीं जाता था, जो अत्याधिक पढ़े-लिखे और ज्ञानी होते थे। क्योंकि बचपन में इतना समझ चुका था कि पढ़े-लिखे लोग दिमाग से पैदल होते हैं। उनके पास जो भी ज्ञान होता है, वह सब उधार का होता है व्यवहार का नहीं।
उदाहरण के लिए गुरु बताते हैं कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है, लेकिन स्वयं राजसत्ता से थर्राए रहते हैं। क्योंकि भीतर से वे भी जानते हैं कि राजसत्ता नाराज हो गयी तो ईश्वर भी बचाने नहीं आने वाला। और फिर जो ईश्वर स्वयं राजसत्ता की दया पर आश्रित है, ईश्वर का मकान यानि मंदिर, मस्जिद तक राजसत्ता तुड़वा देती है और ईश्वर कुछ नहीं कर पाता, तो ईश्वर से अधिक शक्तिमान तो राजसत्ता ही हुआ ना ?
गुरु लोग बताते हैं कि आयुर्वेद में बड़ी शक्ति है, मुर्दों को भी ज़िंदा कर सकती है। लेकिन स्वयं इंसुलिन का इंजेक्शन लिए चक्कर लगाते फिरते हैं डॉक्टर और अस्पतालों के। यह जानते हुए भी मधुमेह का कोई इलाज नहीं एलोपैथ में।
गुरु लोग बताते हैं कि ईश्वर का ध्यान करने से ईश्वर प्रसन्न हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। लेकिन स्वयं राजनैतिक पार्टियों, धन्ना सेठों के चरणों में नतमस्तक रहते हैं। उनके गलत को गलत कहने का भी साहस नहीं कर पाते क्योंकि दाना चुग्गा उन्हीं से मिलना है।
और फिर दुनिया में जितने भी गुरु आए, जागृत और चैतन्य पुरुष आए, उनके अनुयायी और शिष्य सिवाय स्तुति-वंदन, कीर्तन भजन और राजनैतिक पार्टियों, धन्ना सेठों के चापलूसी करने के और तो कुछ महान कार्य कर नहीं पाये।
कुछ नरपिशाच दुनिया की सारी मीडिया, सरकारें और राजनैतिक पार्टियों समेत धार्मिक, आध्यात्मिक गुरुओं और संगठनों, संस्थाओं को खरीद लेते हैं या डरा-धमका कर गुलाम बना लेते हैं। फिर बड़ी आसानी से फर्जी महामारी का आतंक फैलाकर फर्जी सुरक्षा कवच चेप देते हैं। ना ईश्वर आता है उन्हें रोकने और ना ही कोई अन्य दिव्य शक्ति प्राप्त गुरु, तांत्रिक, साधु-संत। और जो ईश्वर को सर्वशक्तिमान मान रहे होते हैं, वे सबसे पहले जाकर सुरक्षा कवच ले लेते हैं।
क्योंकि इन आस्तिकों धार्मिकों को भी भी पता है कि ईश्वर से अधिक शक्तिमान नरपिशाच और उनकी बनाई फर्जी सुरक्षा कवच है। ईश्वर भले न बचा पाये फर्जी महामारी से, लेकिन फर्जी सुरक्षा कवच अवश्य बचा लेगा।
और अब जब लोग टपक रहे हैं फर्जी सुरक्षा कवच लेकर, तो डायलोग चेप रहे हैं कि ईश्वर की मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता। ईश्वर जिसको बचाना चाहेगा उसे बचा ही लेगा।
सारांश यह कि किसी भी रेडीमेड मार्ग, पंथ, धर्म या सम्प्रदाय से जुडने से अच्छा है अपना मार्ग स्वयं खोजो। क्योंकि ये सब भी उसी प्रकार बिक चुके हैं, जैसे रेलवे और एयरलाइंस बिक चुकी हैं निजीकरण के नाम पर। जो रेडीमेड मार्ग हैं, उनपर माफ़ियों और नरपिशाचों का कब्जा हो रखा है। वे अब कभी भी अधर्म, अन्याय और शोषण का विरोध नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनकी रीढ़ की हड्डी ही तोड़ दी गयी है।
अब वे माफियाओं और नरपिशाचों पर आश्रित हैं, उनका विरोध करना तो दूर, आवाज भी नहीं निकाल सकते। अब वे केवल ईशिनिंदा, बेअदबी के नाम पर उत्पात मचा सकते हैं, किसी गरीब का घर जला सकते हैं, उसे बेमौत मार सकते हैं….लेकिन माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोल सकते।
सभी रेडीमेड मार्ग, पंथ, संप्रदाय और धर्म केवल अपने अपने धार्मिक ग्रंथो और गुरुओं द्वारा कहे गए वचनों का प्रचार-प्रसार कर अपना धंधा चमकाएंगे, लेकिन ना तो स्वयं कभी धार्मिक हो पाएंगे और न ही अपने दड़बों में कैद भेड़ों को धार्मिक बना पाएंगे।