आत्महत्या की आवश्यकता नहीं संन्यास लो !

किसी ने ओशो से कहा कि वह जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या करना चाहता है, इस पर ओशो बोले- तुम आत्महत्या क्यों करना चाहते हो? शायद तुम जैसा चाहते थे, लाइफ वैसी नहीं चल रही है? लेकिन तुम ज़िन्दगी पर अपना तरीका, अपनी इच्छा थोपने वाले होते कौन हो ?
हो सकता है कि तुम्हारी इच्छाएं पूरी न हुई हों ?
तो खुद को क्यों खत्म करते हो, अपनी इच्छाओं को खत्म करो ?
हो सकता है तुम्हारी उम्मीदें पूरी न हुई हों और तुम परेशान महसूस कर रहे हो ?
जब इंसान परेशानी में होता है तो वह सब कुछ बर्बाद करना चाहता है। ऐसे में सिर्फ दो संभावनाएं होती हैं, या तो किसी और को मारो या खुद को। किसी और को मारना खतरनाक है और कानून का डर भी है। इसलिए, लोग खुद को मारने का सोचने लगते हैं। लेकिन यह भी तो एक मर्डर है। तो क्यों न ज़िन्दगी को खत्म करने के बजाए उसे बदल दें ?
संन्यास ले लो फिर तुम्हें आत्महत्या करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि संन्यास लेने से बढ़कर कोई आत्महत्या नहीं है और किसी को आत्महत्या क्यों करनी चाहिए ?
मौत तो खुद-ब-खुद आ रही है, तुम इतनी जल्दी में क्यों हो ?
मैं तुम्हे असली आत्महत्या सिखाऊंगा
मौत आएगी, वह हमेशा आती है। तुम्हारे न चाहते हुए भी वह आती है। तुम्हें उससे जाकर मिलने की जरूरत नहीं है, वह अपने आप आ जाती है, लेकिन विश्वास करो तुम अपने जीवन को बुरी तरह से मिस करोगे। तुम गुस्से या चिंता की वजह से सूइसाइड करना चाहते हो। मैं तुम्हे असली आत्महत्या सिखाऊंगा। बस संन्यासी बन जाओ। वैसे भी साधारण आत्महत्या करने से कुछ ख़ास होने वाला भी नहीं है।
आप फौरन ही किसी दूसरे की कोख में कहीं और पैदा हो जाएंगे। इस शरीर से निकलने से पहले ही तुम किसी और जाल में फंस जाओगे और एक बार फिर तुम्हें स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी जाना पड़ेगा, जरा इसके बारे में सोचो। उन सभी कष्ट भरे अनुभवों के बारे में सोचो। यह सब तुम्हे सूइसाइड करने से रोकेगा।
दुनिया में बहुत से लोग आत्महत्या करते हैं और साइकोएनालिस्ट कहते हैं कि बहुत कम लोग होते हैं, जो ऐसा करने का नहीं सोचते। दरअसल, एक आदमी ने इन्वेस्टिगेट करके कुछ डाटा इकठ्ठा किया, जिसके अनुसार हर इंसान जीवन में कम से कम चार बार आत्महत्या करने की सोचता है, लेकिन यह पश्चिमी देशों की बात है, पूरब में चूंकि लोग पुनर्जन्म को मानते हैं, इसलिए कोई आत्महत्या नहीं करना चाहता है।
क्या फायदा, तुम एक दरवाज़े से निकलते हो और किसी दूसरे दरवाजे से फिर अंदर आ जाते हो। तुम इतनी आसानी से नहीं जा सकते। मैं तुम्हें असली आत्महत्या करना सिखाऊंगा, तुम हमेशा के लिए जा सकते हो। हमेशा के लिए जाना ही तो बुद्ध बन जाना है।
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