क्या वास्तव में स्वप्न केवल स्वप्न होता है ?

अक्सर हम सुनते हैं कि स्वप्न महज मन की दबी हुई भावनाओं का प्रतिबिंब होते हैं। पढ़े-लिखे और भौतिक विज्ञान में विश्वास रखने वाले लोग अक्सर यही मानते हैं कि जो कुछ भी हम दिन में देखते, सोचते हैं, वही स्वप्न के रूप में हमारे मस्तिष्क में उभरता है। उनका मानना है कि स्वप्न केवल एक भ्रम हैं, जो सच प्रतीत तो होते हैं लेकिन असल में वास्तविक नहीं होते।
हालाँकि, कई बार स्वप्न हमें इस कदर वास्तविक लगते हैं कि हम नींद में डरकर जाग जाते हैं, घबराहट महसूस करते हैं, और अचानक यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि मानो वह घटना सच में घटित हुई हो। लेकिन थोड़ी देर में होश आने पर एहसास होता है कि वह तो मात्र एक स्वप्न था।
सामूहिक स्वप्न और समाज
स्वप्नों के इसी भ्रमित स्वभाव का कई बार सामाजिक और राजनीतिक तौर पर लाभ उठाया जाता है। नेता, धर्मों के ठेकेदार और अलग-अलग विचारधाराएं हमें अपने-अपने स्वप्न दिखाते हैं – कोई कहता है कि किसी खास धर्म या देश के कारण हमारा समाज खतरे में है, तो किसी को दूसरे समुदाय से असुरक्षा महसूस होने लगती है। लोग इन सामूहिक स्वप्नों में खो जाते हैं, एक दूसरे के प्रति दुर्भावना रखने लगते हैं और एक झुंड का हिस्सा बन जाते हैं।
स्वप्न की दुनिया बनाम वास्तविकता
ऐसे उदाहरण अनगिनत हैं जब नेताओं, पार्टियों, धर्मों के ठेकेदारों ने जनता को विकास, समृद्धि, और भाईचारे के सपने दिखाए, लेकिन वास्तविकता में समाज में विघटन, हिंसा, और स्वार्थपरता का बोलबाला हो गया। असल में, यह एक स्वप्न का ही रूप होता है, जिसे लोगों के समक्ष वास्तविकता की तरह प्रस्तुत किया जाता है।
जनता यह भी सपना देखने में व्यस्त रहती है कि बड़े-बड़े कानून, अदालतें और पुलिस व्यवस्था अपराधों को रोकने में सफल होंगी। परंतु जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है – भ्रष्टाचार, अपराध और अन्याय समाज में कहीं न कहीं बना ही रहता है।
व्यक्तिगत स्वप्न और पूर्वाभास
बेशक, यह सच है कि सभी स्वप्न महज कल्पनाएँ नहीं होते। कई बार ये हमारे जीवन में घटने वाली घटनाओं का पूर्वाभास भी होते हैं। उदाहरण के लिए, मैंने खुद कई बार स्वप्न में ऐसी घटनाएँ देखीं जो बाद में सच साबित हुईं। इन पूर्वाभासों को अनदेखा नहीं किया जा सकता और शायद यह प्रकृति का एक संकेत होता है जो हमें किसी आने वाले खतरे या घटना के लिए सचेत करने आता है।
स्वप्न केवल सोते हुए ही नहीं, जागते हुए भी देखे जाते हैं – चाहे वे व्यक्तिगत हों या सामूहिक। इनमें से कई हमें प्रेरणा देते हैं, तो कई हमें भ्रमित कर देते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम अपने सपनों का विश्लेषण करें और उन्हें समझने की कोशिश करें, ताकि हमें स्वप्न और वास्तविकता के बीच का अंतर स्पष्ट हो सके।
निष्कर्ष
स्वप्न हमें चेतना की एक अनदेखी दुनिया की ओर खींचते हैं। वे केवल कल्पना नहीं हैं; उनमें पूर्वाभास और सतर्कता के तत्व भी छुपे हो सकते हैं। इसीलिए, स्वप्नों को पूर्णतः नकारने के बजाय उनमें छिपे संदेशों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। स्वप्नों की दुनिया जटिल और रहस्यमयी है, जो हमें अपनी वास्तविकता से परे झाँकने की प्रेरणा देती है।
~ विशुद्ध चैतन्य
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