क्या दूसरों के उत्सवों में मट्ठा डालना ही हिन्दुत्व और सनातन धर्म है ?
जैसे ही कोई पश्चिमी त्योहार आता है, या पश्चिमी केलेण्डर का नववर्ष आता है, अचानक से सनातन धर्म नामक कवर में पैक संघी-बजरंगी छाप हिन्दुत्व के ठेकेदार सक्रिय हो जाते हैं। और विरोध शुरू हो जाता है बिलकुल वैसे ही जैसे चाइनीज़ झालरों का विरोध होता है, जैसे महंगाई और एफडीआई का विरोध होता है।
विरोध की यह नौटंकी पूरी तरह से राजनैतिक होती है और विरोध करने वाला विरोध भी कर रहा होता है उसी पश्चिम या चाइना के बनाए मोबाइल फोन से, पश्चिम के ही बनाए सोशल मीडिया पर। बिना यह सोचे कि विरोध करने से पहले अपना गिरेबान देख लेना चाहिए।
है क्या हिन्दुत्व और सनातन धर्म की पींपणी बजाने वालों के पास अपना कहने के लिए, सिवाय धर्म और जातियों के ठेकेदारों और उनके पालतू गुंडों, मवालियों के ?
ना तो अपने समाज को कम्प्युटर दे पाये, ना मोबाइल फोन, न इन्टरनेट, न सोशल मीडिया, न अपना बैंकिंग सिस्टम, ना रोजगार, ना स्वरोजगार, न दे पाये माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों का विरोध करने का साहस……लेकिन दूसरों की खुशियों में मट्ठा डालने निकल पड़ते हैं भारतीय संस्कार और संस्कृति की दुहाई देते हुए।
है क्या तुम्हारा हिन्दुत्व और सनातन सिवाय धूर्त, मक्कार भाजपा जैसी पार्टियों की चाटुकारिता और स्तुति वंदन के ?
और भाजपा अर्थात आरएसएस है फ्रीमेशन की गुलाम पार्टी, जिनके पास स्वदेशी कच्छा, बेल्ट, बूट और टोपी तक नहीं है।
ये हिन्दुत्व और सनातन धर्म के ठेकेदार स्वयं अपने बच्चों को विलायती स्कूलों, कोलेजस में पढ़ाएंगे, लेकिन संस्कृति और संस्कार सिखाने निकल पड़ेंगे उन्हें, जिनसे इनके अपने परिवार और समाज का कोई सम्बंध ही नहीं।
इनकी संताने जब विदेश में नौकरी पा जाएंगी, या किसी विदेशी नागरिक से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर लेंगे, तो शान से इतराते घूमेंगे। इनकी संताने किसी गैर हिन्दू से विवाह कर लेंगे तो खुशी के मारे बल्लियों उछलेंगे। लेकिन दूसरों को सिखाने निकल पड़ेंगे कि विदेशी संस्कृति और त्योहारों का बहिष्कार करो, गैर हिंदुओं से विवाह मत करो।
ना जाने क्यों रत्तीभर भी शर्म नहीं आती इन्हें यह सब करते हुए ?
विरोध कभी अधर्म, अन्याय, अत्याचार, माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों का करते देखा नहीं मैंने इन्हें, लेकिन नए वर्ष, क्रिसमस या किसी भी विदेशी त्योहार पर चाइनीज़ झालर विरोधी गेंग की तरह सक्रिय हो जाते हैं। जबकि इन्हीं के आराध्य माई-बाप चाइना के साथ गठबंधन बनाए अरबों, खरबों का व्यापार कर रहे होते हैं।
विरोध करना है तो माफियाओं और देश के लुटेरों का करिए, दूसरों की खुशियों में मट्ठा डालने से कहीं अधिक नेक व सार्थक होगा देश के लिए।