ढोंगी-पाखण्डी हैं समाज, सरकार और सरकारी तंत्र

क्या आप ढोंग-पाखण्ड के विरोधी हैं ?
तो क्या कभी आपने देश सेवा, समाज सेवा के नाम पर सदियों से चला आ रहा माफियाओं और वैश्यों के गिरोहों अर्थात सरकार और सरकारी नौकरों के पाखण्ड का विरोध किया ?
शायद नहीं, क्योंकि आपमें से अधिकांश के पारिवारिक सदस्य आज भी सरकारी नौकरी कर करके देशसेवा का पाखण्ड कर रहे होंगे। बहुतों के पारिवारिक सदस्य राजनेता होंगे या राजनैतिक पार्टियों के सदस्य होंगे और देश व जनता की सेवा नामक पाखण्ड कर रहे होगे।
कितने आश्चर्य की बात है कि जिन्हें ढोंगी, पाखंडी बाबाओं से नफरत है, जो उन्हें अंधविश्वास फैलाने वाला बताकर उनके विरुद्ध आंदोलन चलाये हुए हैं, उन्हें कोई शिकायत नहीं उनसे जो देश सेवा और समाज सेवा के नाम पर अंधविश्वास फैलाकर युवाओं को सरकारी या गैर सरकारी नौकरी करने के लिए उकसाते हैं।
देश की जनता को फर्जी महामारी से आतंकित कर बंधक बनाकर लूटने और लुटवाने वाले सरकार, सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, डॉक्टर्स और मीडिया पर कोई आरोप नहीं लगाता कि वे अंधविश्वास फैला रहे है।
क्यों ?
बड़े गर्व से कहते हैं कि हम सेना में है देश की सेवा कर रहे हैं।
बड़े गर्व से कहते हैं कि हम पुलिस में हैं, और देश की सेवा कर रहे हैं।
बड़े गर्व से कहते हैं कि हम सीबीआई, ईडी, आईटी में हैं और देश की सेवा कर रहे हैं।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि आप सभी देशभक्त नहीं, माफियाओ के गुलाम हैं और उन्हीं की भक्ति और सेवा कर रहे हैं।
आपके सामने देश नीलाम हो जाता है और आपको भनक तक नहीं लगती।
आपके सामने शत्रु देशों के साथ अरबों-खरबों का व्यापार हो रहा है और आपको भनक तक नहीं लगती।
आपके ही देश के बैंकों में रखे जनता के धन को लूटकर लुटेरे विदेशों में सेटल हो जाते हैं या फिर दुनिया के टॉप अमीरों की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं और आपको भनक तक नहीं लगती।
लेकिन देश की सेवा और सुरक्षा करने के भ्रम में जी रहे हैं।
आप लोगों की स्थित किसी माफिया या डॉन के गुर्गों से अलग नहीं है। वे भी अपने मालिकों के लिए वैसे ही अपने प्राणों का बलिदान देते हैं, जैसे आप लोग देते हैं।
वे भी अपने मालिक को सुरक्षा देने के लिए, मालिक के शत्रुओं को नष्ट करने के लिए दिन रात एक कर देते हैं जैसे आप लोग करते हैं।
ना तो डॉन या माफिया देशभक्त होता है, न ही देश की सरकारें और राजनैतिक पार्टियां। लेकिन इनकी सेवा और सुरक्षा करने वाले स्वयं को देशभक्त मानकर अकड़ कर चलते हैं।
जानते हैं क्यों ?
क्योंकि देशभक्ति होती क्या है यह ना तो धार्मिक ग्रन्थों के ज्ञाताओं को ज्ञात है, ना ही स्कूल/कॉलेज के शिक्षकों को, न ही सरकारी अधिकारियों, नेताओं मंत्रियों को और ना ही देश की जनता क जनता को । इसीलिए सभी माफियाओं और लुटेरों की भक्ति के नशे में धुत्त रहते हैं क्योंकि वे आपके परिवार को पालते हैं, दो वक्त की रोटी देते हैं….बिलकुल वैसे ही जैसे माफिया और डॉन अपने गुर्गों को पालते हैं।
यदि आप या आपका पारिवारिक सदस्य किसी राजनैतिक पार्टी से संबन्धित हैं, सरकारी या किसी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी कर रहे हैं, और स्वयं को देशभक्त, समाज सेवक मान रहे हैं, अंधविश्वासों से मुक्त समझ रहे हैं और पण्डित पुरोहितों, पुजारियों और चमत्कार के नाम पर तमाशा दिखाने वाले बाबाओं, साधु-संतों को ढोंगी, पाखंडी अंधविश्वास फैलाकर लूटने वाला मान रहे हैं, तो कृपया अपने गिरेबान पर अवश्य झाँकिए।
आप लोगों में और चमत्कार का तमाशा दिखाने वाले बाबाओं में रत्ती भर भी कोई अंतर नहीं है। दोनों ही जनता को मूर्ख बनाकर लूट रहे हैं, या फिर लुटेरों का सहयोग कर रहे हैं।
सबसे बड़ा ढोंग और पाखण्ड तो ब्रह्मचर्य, समाज और देश सेवा के नाम पर होता है
सभी धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु वासनाओं के विरुद्ध रहे, सभी ने वासना मुक्त समाज बनाने का प्रयास किया। सभी चाहते थे कि ऐसा समाज बने, जिसमें सेक्स, कामुकता ना हो, सभी सेक्स से मुक्त हो जाएँ। सभी चाहते थे कि लोग विवाह आदि के चक्कर में ही ना पड़ें, बल्कि संभोग से हमेशा के लिए दूर हो जाएँ।
और परिणाम यह हुआ कि सेक्स बिकने लगा बाज़ारों में। स्त्रियाँ बिकने लगीं, पुरुष बिकने लगे। सारा समाज ही सेक्स का शत्रु हो गया और यदि स्त्री-पुरुष एकांत में पकड़े गए तो जिंदा जला देने में भी परहेज नहीं करते। क्योंकि सेक्स महापाप बन गया, सेक्स आध्यात्मिक उत्थान में बाधक बन गया, परमात्मा, मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग का काँटा बन गया।
लेकिन क्या कभी सोचा है किसी ने कि ये दुनिया और इस दुनिया के लोग क्या वास्तव में ईश्वर, परमात्मा को पाना चाहते हैं ?
ये दुनिया के लोग आध्यात्मिक होना चाहते हैं ?
सत्य तो यह है कि कोई भी ना तो परमात्मा में रुचि रखता है, न ही आध्यात्म में। यहाँ तक कि धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु और बाबाओं की रुचि भी ऐश्वर्य, वैभव, दिखावों और सेक्स में है। सभी एक ही दिशा में दौड़ रहे हैं और वह माफियाओं के छत्र-छाया में जीते हुए दुनिया के वे सभी ऐश्वर्य और सुख भोगना, जो स्वर्ग में ही मिल सकते हैं। अर्थात जो स्वर्ग में उपलब्ध है, वह सब पृथ्वी पर भी भोगा जा सकता है, यदि शैतान यानि माफिया और लुटेरों का आशीर्वाद प्राप्त हो जाये।
मुझे तो ऐसा लगता है कि गौतम बुद्ध से लेकर ओशो तक, जीतने भी आध्यात्मिक धार्मिक गुरु आए, सभी माफियाओं के द्वारा ही ट्रेंड किए गए हैं। इन्होंने वही सिखाया जो माफिया चाहते थे कि जनता अनुसरण करें। अर्थात इन गुरुओं ने सिखाया वासना से दूर रहो, माफियाओं और लुटेरों के विरोध और विरोधियों से दूर रहो, मैं सुखी तो जग सुखी के सिद्धान्त पर जीयो, जब देश और जनता लुट-पिट रही हो, तब ध्यान करो, भजन करो, रोज़ा, नमाज, व्रत उपवास करो और ईश्वर और मोक्ष प्राप्ति के उपाय खोजो। इन्होंने सिखाया कि पुरुष हो तो स्त्री से दूर रहो, स्त्री हो तो पुरुष से दूर रहो…क्योंकि सेक्स आध्यात्मिक उत्थान में बाधक है।
लेकिन यही सब ज्ञान इन्होंने माफियाओं को नहीं दिया उल्टे उनके सामने स्वयं नतमस्त्क हो गए। उन्हीं के बनाए रुपयों के पीछे भागते रहे, उन्हीं से दान लेकर अपनी आजीविका चलाते रहे।
सदैव स्मरण रखें: यदि भूखे हो, तो भूख मिटाने के उपाय खोजो, भजन कीर्तन, ध्यान, भजन करने से भूख नहीं मिटने वाली। ऐश्वर्य और सेक्स को भोगे बिना ना तो स्वर्ग की प्राप्ति होगी, ना ईश्वर की। क्योंकि सेक्स और ऐश्वर्य भी ईश्वर की देन है और अप्राकृतिक ब्रह्मचर्य शैतानों द्वारा बनाया गया है।
अप्राकृतिक ब्रह्मचर्य वह जीवन शैली है, जिसमें सेक्स ना हो, ना प्रेम हो, ना स्वादिष्ट व रुचिकर भोजन हो। और जो अरुचिकर है, जो अप्राकृतिक है उस उपाय, उस जीवन शैली से ना तो मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है और ना ही ईश्वर की।
~ विशुद्ध चैतन्य
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