धर्म और विज्ञान: सत्य की दो धाराएँ या दो धंधे ?

धर्म की आढ़ में गौतम बुद्ध, महावीर, जीसस आदि के नाम, नौकरियों को महान कर्म और स्वरोजगार, कृषि को निकृष्ट कर्म बताकर जनता को कायर और गुलाम मानसिकता का बनाया गया।
और जब नागरिक गुलामी और चाकरी को ही जीवन का उद्देश्य मानकर जीने लगी, अपने खेत, भूमि बेचकर नौकरियों के पीछे भागने लगी, तब विज्ञान और आधुनिकता के नाम पर प्राकृतिक संपदाओं, संसाधनों पर मूलनिवासियों का अधिकार छीनकर माफियाओं और लुटेरों को सौंपा गया जनता की ही चुनी हुई सरकारों द्वारा।
तो आइये समझते हैं क्या अंतर है विज्ञान और धर्म में।
कहते हैं नास्तिक लोग कि धर्म अपंग व्यक्ति को दया का पात्र बनाता है, लेकिन विज्ञान ऐसे लोगों को भी सक्षम बना सकता है। यही अंतर है धर्म और विज्ञान के बीच।
और ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि नास्तिकों को भी नहीं पता कि विज्ञान क्या है और धर्म क्या है।
समस्या तो यह है कि अनपढ़ तो अनपढ़, पढ़े-लिखे बड़े-बड़े डिग्रीधारियों, शास्त्रों के ज्ञाता शास्त्रियों, वेदों के ज्ञाता पंडितों, वेदी, द्विवेदी, त्रिवेदी, चतुर्वेदियों तक को यही पढ़ाया गया है कि विज्ञान और धर्म परस्पर विरोधी शब्द हैं।
पढ़े-लिखों को पढ़ाया गया कि किसी मत-मान्यता, परम्परा, किताब या व्यक्ति पर आधारित सम्प्रदाय को धर्म कहते हैं। और जो तकनीकी, मशीनों पर विश्वास करता है और मत-मान्यताओं, परम्पराओं, देवी-देवताओं, पूजा-पाठ, कर्मकांड का विरोध करता है, उसे विज्ञान कहते हैं।
जबकि सत्य यह है कि धर्म और विज्ञान कभी भी परस्पर विरोधी नहीं रहे। जो कर्म या व्यवहार व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के हितों के लिए किया जाता है वह धर्म कहलाता है। और जो कर्म व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को हानि पहुँचाता है जैसे कि राष्ट्रीय संसाधनों, संस्थानों की नीलामी, साम्प्रदायिक द्वेष, घृणा पर आधारित राजनीति, दंगा-फसाद, आगजनी, मोबलिंचिंग आदि….अधर्म कहलाता है।
वहीं किसी भी विषय का विधिवत (Systematic) प्रयोगों द्वारा अर्जित ज्ञान और आविष्कार विज्ञान कहलाता है…फिर चाहे वह जलेबी, समोसा, दोसा, पराँठा जैसे साधारण आविष्कार ही क्यों ना हों।
जिस प्रकार धर्म के नाम पर धंधा होता है, समाज को बरगलाया जाता है, लूटा और लुटवाया जाता है, ठीक उसी प्रकार विज्ञान के नाम पर भी धंधा होता है, बरगलाया जाता है, लूटा और लुटवाया जाता है। जैसे कि प्रायोजित महामारी का आतंक फैलाकर विज्ञान ने समस्त मानव जाति को बंधक बनाकर लूटा, लुटवाया, बेमौत मारा #newworldorder #depopulationagenda के अंतर्गत।
धर्म की आढ़ में गौतम बुद्ध, महावीर, जीसस आदि के नाम पर जनता को कायर और गुलाम मानसिकता का बनाया गया। और विज्ञान और आधुनिकता के नाम पर प्राकृतिक संपदाओं, संसाधनों पर मूलनिवासियों का अधिकार छीनकर माफियाओं और लुटेरों को सौंपा गया जनता की ही चुनी हुई सरकारों द्वारा।
दुर्भाग्य से धर्म और विज्ञान के ज्ञाता भी आज तक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित इतना साधारण सा सत्य नहीं समझ पाये !
~ विशुद्ध चैतन्य
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