क्या माफियाओं के भक्त और Zombies कभी देशभक्त और धार्मिक हो सकते हैं ?

पहले मैं मानता था कि यदि मेरे लिखने से एक भी व्यक्ति के जीवन में रूपान्तरण आता है, तो मेरे जीवन का उद्देश्य सफल हो गया।
लेकिन फिर समझ में आया कि जब सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन के लिए धर्मांतरित होकर इस्लाम, जैन, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई, कॉंग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, अंबेडकरवादी, गांधी-वादी, माओवादी, मार्क्सवादी जैसे बड़े-बड़े समाज, सम्प्रदाय, पार्टियाँ बनाकर भी माफियाओं और लुटेरों की गुलामी की अपनी पुश्तैनी लत से मुक्त नहीं हो पाये, तो फिर किसी एक व्यक्ति के रूपांतरित हो जाने से भला क्या लाभ होने वाला ?
वह एकलौता रूपांतरित व्यक्ति भी मेरी तरह बेबस और लाचार कर दिया जाएगा माफियाओं की गुलाम भेड़ों, भेड़ियों और #Zombies के द्वारा। सिवाय बैठकर तमाशा देखने के और कुछ नहीं कर पाएगा वह रूपांतरित व्यक्ति।
यदि सोशल मीडिया पर माफियाओं के विरुद्ध लिखेगा, तो सोशल मीडिया पोस्ट डिलीट कर देगा, पोस्ट की रीच घटा देगा, आईडी सस्पेंड कर देगा। सड़क पर निकलेगा विरोध करने, तो माफियाओं की गुलाम पुलिस लाठी चार्ज करेगी, या उठाकर जेल में डाल देगी।
चलो फिर भी आप नहीं सुधरे और विरोध करते हुए पुलिस की गोली से, या जोम्बियों #Zombies की भीड़ द्वारा मारे गए, यानि मोबलिंचिग हो गई…..तो लाभ क्या होगा ?
आपके मरने के बाद आपकी प्रतिमा बनाकर फूल माला डाल देंगे, दर्शन के टिकट लगाकर बिजनेस शुरू हो जाएगा, कमाने वाले आपके नाम पर लाखों करोड़ों कमाएंगे, और भेड़ और भेड़िया टिकट लेकर आपके दर्शन करने आएंगे। लेकिन सुधरेगा कोई नहीं।
तो किसी एक व्यक्ति को सुधारने का भूत भी उतर गया अब। अब किसी को नहीं सुधारना चाहता, केवल शांत एकांत जीवन जीना चाहता हूँ।
नरपिशाचों का खून जिन पर पड़ चुका है, वे सब ज़ोम्बी बन चुके हैं और Zombies का कोई इलाज नहीं बना आजतक। Zombies अपना ही घर, अपने ही लोगों को लुटवाकर, अपने ही देश को जलाकर होली खेलेंगे और समझेंगे कि उनसे बड़ा देशभक्त और धार्मिक इस दुनिया में कभी पैदा ही नहीं हुआ।
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