सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड है क्या?

धर्मांधता ने तो विश्व का जो बेड़ागर्क किया वह किया ही, लेकिन वैज्ञानिक सोच के पढ़े-लिखों ने विज्ञान के नाम पर जो अंधविश्वास फैलाया और आज जिसके चपेट में समस्त विश्व है, वह धर्मांधता से कई गुना अधिक घातक है।
और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की धर्म, जातियों के नाम पर फैले अंधविश्वास और विज्ञान के नाम पर फैले अंधविश्वास दोनों के कारक माफिया और स्वार्थ, लोभ और भय से ग्रस्त कायर जनता है।
प्राचीन काल में धर्मों के ठेकेदार ईश्वर के नाम पर नियम कानून लागू करते थे और जो विरोध करता था या प्रश्न उठाता था, उसे मार-पीट कर चुप करवा दिया जाता था, या फिर ईशनिन्दा का आरोप लगाकर मौत के घाट उतार दिया जाता था।
आधुनिक काल में विज्ञान और चिकित्सा के ठेकेदार विरोध करने वालों या प्रश्न उठाने वालों की सोशल रीच घटा देते हैं, या पोस्ट डिलीट कर देते हैं, या फिर लिखने बोलने पर ही प्रतिबंध लगा देते हैं। जैसे की फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब आदि नियमित रूप से कर रहे हैं सोशल कम्यूनिटी स्टैंडर्ड की दुहाई देकर।
सोशल कम्यूनिटी स्टैंडर्ड क्या है ?
माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों को लाभ पहुंचाना, जनता को बरगलाए रखना कॉमेडी शो दिखाकर, पैसे कमाने के उपाय बताकर, चुटुकुले सुनाकर, मनोरंजन करके, भक्ति गीत सुनाकर और हिन्दू, मुस्लिम, क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेल खेलकर।
जबकि माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों के षडयंत्रों के विरुद्ध कुछ भी कहना या बोलना सोशल कम्यूनिटी स्टैंडर्ड के विरुद्ध है।
माफियाओं और लुटेरों के षडयंत्रों के विरुद्ध बोलना या लिखना सोशल कम्यूनिटी स्टैंडर्ड के विरुद्ध क्यों और कब से हो गया ?
यह तब से चला आ रहा है, जब से धर्म और जाति के नाम पर धंधा और राजनीति शुरू हुई। उसके बाद न्याय, चिकित्सा, सेवा आदि भी माफियाओं के अधीन आ गए, क्योंकि जनता ने स्वतन्त्रता से अधिक महत्व दिया परतंत्रता को।
आज माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों की चाकरी और गुलामी करने वालों को सर्वाधिक सम्मानित व्यक्तित्व माना जाता है। आज हर माता-पिता का सपना होता है कि उनकी संताने भले शिक्षित, धार्मिक और विवेकवान ना बनें, लेकिन रट्टामार पढ़ाई कर अच्छे मार्क्स लाये और सरकारी या गैर सरकारी माफियाओं की चाकरी/गुलामी करके अपने ही देश व जनता को लुटवाने में सहयोगी बनकर परिवार का नाम रोशन करे।
अब चूंकि विश्व की अधिकांश जनसंख्या परतंत्रता को ही आदर्श जीवन शैली मानती है और माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों को अपना आदर्श और मालिक मानती है, तो स्वाभाविक है कि सोशल मीडिया स्टैंडर्ड वही होगा जो माफिया और देश व जनता के लुटेरे चाहेंगे। जनता को भी कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि स्वार्थियों, लोभियों की भीड़ का अपना कोई स्टैंडर्ड होता नहीं।
इसीलिए लुटेरे लूटने के नए-नए उपाय खोजते रहेंगे और जनता भेड़ों, बत्तखों की तरह कसाइयों को अपना शुभचिंतक मानकर जीएगी।

मेरे जैसे कुछ सरफिरे जनता को जगाने के चक्कर में अपनी आईडी सस्पेंड करवाएँगे, या सुबह-सुबह जगाने वाले मुर्गों की तरह दुनिया से विदा कर दिये जाएंगे।
~ विशुद्ध चैतन्य
Support Vishuddha Chintan
