आइए, सकारात्मक हो जाएँ – क्योंकि होइहे वही जो माफिया रची राखा !

आइये सकारात्मक हो जाएँ क्योंकि होइहे वही जो राम रची रखा !
दुनिया के सभी गुरुओं ने यही सिखाया कि केवल अपना भला सोचो और मैं सुखी तो जग सुखी के सिद्धान्त पर जियो। सकारात्मक रहो और लुटने दो खेत, जंगल, नदी, तालाब। होने दो बर्बाद देश की युवा और भावी पीढ़ियों को। बन जाने दो देश को सीरिया, ईराक, लेबनान, अफगान और श्री-लंका।
क्योंकि होइहे वही जो राम रची रखा !
और ये राम कौन है जिसने पूरे देश को माफियाओं और लुटेरों की बपौती बना डाला ?
वही जो #depopulation #GreatReset #NWO #agenda चला रहे हैं, जो प्रायोजित महामारी लॉंच करके गुलाम टीवी चैनल्स और सरकारों के माध्यम से जनता को आतंकित करके प्रायोजित सुरक्षा कवच लेने के लिए बाध्य करते हैं। और इनके गुलाम जनता को बर्गलाने के लिए राममंदिर बनवाते हैं।
मंदिरों, तीरथों में बैठे देवी-देवता भी प्रायोजित महामारी से आतंकित होकर फरार हो जाते हैं मंदिरों, तीरथों पर ताला लगाकर। क्योंकि ये देवी देवता भी माफियाओं के ही गुलाम होते हैं और उन्हीं के इशारों पर चलते हैं। माफिया ही तय करते हैं कि कब वे जनता के हितों के लिए कार्य करें, और कब मंदिर, तीर्थ पर ताला लगाकर फरार हो जाएँ।
इसीलिए आइये सकारात्मक हो जाएँ, भजन कीर्तन करें, रोज़ा-नमाज करें, व्रत-उपवास करें, घंटी, घड़ियाल बजाएँ…..क्योंकि होइहे वही जो राम रची राखा।
अपराधियों को सत्ता सौंपें ताकि बैंकों में जमा जनता का पैसा लूटकर अपराधियों के रिश्तेदार और यार, दोस्त विदेशों में सेटल हो जाएँ नीरव, माल्या, चौकसी, अदानी की तरह।
मेरे साथ समस्या यह है कि सकारात्मक नहीं हो पाया बचपन से लेकर आजतक। जब भी सकारात्मक होने का मन करता है, तभी कोई न कोई ऐसी घटना घट जाती है कि नकारात्मक हो जाता हूँ। और आश्चर्य तो यह कि मैं हमेशा सकारात्मक लोगों से ही घिरा रहा, फिर भी नकारात्मकता से मुक्त नहीं हो पाया। दुनिया मुझे समझाती रही कि होइहे वही जो राम रची राखा, इसीलिए मूक-बघिर बन जाओ हमारी तरह और ऐश करो सरकारी अधिकारियों की तरह। लेकिन मैं सकारात्मक नहीं हो पाया।
परिणाम यह हुआ कि मैं भेड़चाल में दौड़ नहीं पाया और भीड़ से अलग-थलग हो गया। आज मेरे ही वे साथी जो बहुत आगे निकल गए, माफियाओं के गुलाम बन गए मुझपर हँसते हैं और कहते हैं, “हमारा कहना माना होता तो आज यूं एकाँकी जीवन न जीना पड़ता। तुम्हारे पास भी हर वह खुशियाँ होतीं, जो देश व जनता के लुटेरों और उनके गुलामों के पास है।
शायद मेरी नियति ही यही है। ईश्वर ने मेरी किस्मत में यही लिखा है। क्योंकि मुझे गुलामी करना नहीं सिखाया, मुझे मूक-बघिर बनकर जीना नहीं सिखाया। और सबसे बड़ी बात यह कि मुझे सभ्य और सकारात्मक बनकर जीना नहीं सिखाया। इसीलिए मैं असामाजिक हूँ, एकाँकी हूँ, भीड़ और भेड़चाल से बिलकुल अलग हूँ।
होइहे वही जो राम रची रखा का अर्थ मैं यह समझता था कि जो ईश्वर चाहता है वही होता है। लेकिन अब समझ में आने लगा है कि जो माफिया और उनके गुलाम चाहते हैं वही होता है।
खैर…..माफियाओं और उनके गुलामों को सकारात्मकता मुबारक, क्योंकि होइहे वही जो शैतान रची राखा !!!
~ विशुद्ध चैतन्य
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