क्यों गर्व है आपको अपने शाकाहारी होने पर ?
क्या वास्तव में शाकाहारी लोग किसी प्राणी के कष्ट या मृत्यु का कारण नहीं बनते ?
समस्त पृथ्वी के समस्त प्राणी शाकाहारी हो जाएँ, तो क्या किसी पर अन्याय, अत्याचार नहीं होगा, किसी का शोषण नहीं होगा, किसी निर्दोष की हत्या नहीं होगी ?
सबसे पहले तो यह ध्यान दीजिये कि शाकाहारी होने के लिए अनिवार्य सामग्री आपके पास आ कहाँ से रही है ?
क्या आप स्वयं उगा रहे हैं या शॉपिंग मॉल से खरीद रहे हैं।
यदि आप शॉपिंग मॉल या बाजार से खरीद रहे हैं, तो क्या आप उन गरीब किसानों, आदिवासियों की दरिद्रता और भूख से मृत्यु का कारक नहीं बन रहे, जो सड़कों के किनारे ग्राहक की प्रतीक्षा में पूरे दिन बैठे रहते हैं ?
यदि आप पैकेट बंद खाद्यपदार्थ ले रहे हैं, तो क्या आप अपने परिवार को धीमा ज़हर देकर रोग व मृत्यु नहीं परोस रहे ?
आपके शाकाहारी होने से क्या आपमें इतना साहस आ पाया कि आप देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के विरुद्ध निर्भीकता से मुँह खोल सकें ?
जानना चाहता हूँ कि आपके शाकाहारी होने पर गर्व का कारण क्या है ?
ऐसा क्या महान कार्य कर दिया, या ऐसा क्या महान आविष्कार कर दिया, जिससे देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों से मुक्ति मिल गयी ?
क्या शाकाहारी लोग धर्म व जाति के नाम पर दंगा-फसाद, आगजनी और हत्याएँ नहीं करते ?
क्या शाकाहारी लोग बैंक घोटाले कर, सार्वजनिक सम्पत्तियाँ बेच व खरीदकर देश की जनता को लूटने और लुटवाने का कार्य नहीं कर रहे ?
क्या शाकाहारी लोग प्रायोजित महामारी का फर्जी सुरक्षा कवच चेपकर देश की जनता को बेमौत मरने के लिए विवश नहीं कर रहे ?
और जब इतने सारे कारणों से न जाने कितने गरीब, मासूम बेमौत मर रहे है, तो फिर आप कैसे कह सकते हैं कि आपकी थाली में किसी निर्दोष जीव हत्या का दाग नहीं है, किसी प्राणी का खून नहीं है ?
गर्व करने से पहले अपनी थाली में रखी सामग्रियों पर ध्यान दीजिये और पता करिए कि वह सब आपकी थाली तक पहुँचा कैसे ?
पता करिए कि कितने लोग शोषित हुए, कितनों की मौत हुई आपकी थाली तक शाकाहार पहुंचाने में ?
जब तक आप स्वयं नहीं उगाते अपना भोजन, तब तक आप किसी न किसी के शोषण और मृत्यु के भागी बन रहे हैं एक थाली शाकाहार के लिए।
यदि शाकाहारी होकर भी आप देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के विरुद्ध नहीं हैं तो आप भी उतने ही दोषी हैं, जितने कि मांसाहारी।
यदि आप प्रायोजित महामारी और उसके फर्जी सुरक्षा कवच के विरोधी नहीं हैं, तो आप भी उतने ही दोषी हैं, जितने कि मांसाहारी।