भारतीय पहले ब्राह्मणों और क्षत्रियों के गुलाम थे फिर…

फिरंगियों के लिखे इतिहास कहते हैं कि हम भारतीय पहले ब्राह्मणों और क्षत्रियों के गुलाम थे। फिर मुगलों के गुलाम बने, फिर फिरंगियों के गुलाम बने।
फिर हम स्वतन्त्र हो गए एक दिन, साम्प्रदायिक दंगों में अपनों की हत्याएँ करके इस्लाम मुक्त भारत बनाने के लिए। लेकिन इस्लाम मुक्त भारत बनता, उससे पहले ही कॉंग्रेस ने गुलाम बना लिया।
लेकिन क्या आज भी हम स्वतंत्र हैं ?
नहीं आज भी गुलाम हैं हम फिरंगियों के और आरएसएस, भाजपा, बामसेफ व अन्य सभी राजनैतिक, साम्प्रदायिक, जातिवादी पार्टियां, संगठन आदि सब आर्मी हैं फिरंगियों के। और आश्चर्य होगा आपको कि उपरोक्त किसी भी पार्टी, संगठन, संस्था में एक भी ब्राह्मण या क्षत्रिय नहीं है। जो मालिक और अधिकारी बने बैठे हैं, वे सभी वैश्य हैं, दलाल हैं और जो बिना कोई प्रश्न किए सर झुकाकर आदेशों का पालन कर रहे हैं, वे सभी शूद्र हैं।
वैश्यों और शूद्रों को देश से कभी प्रेम था ही नहीं, उन्हें तो केवल दौलत से प्रेम है और दौलत के लिए वे अपने देश के गद्दारों का साथ देने में रत्तीभर भी संकोच नहीं करेंगे।
यदि मेरी बात का विश्वास नहीं, तो आप माफियाओं का गिरोह यानि राजनैतिक, साम्प्रदायिक और जातिवादी पार्टी, संगठन और सरकारों पर नजर डालिए। क्या इनमें कहीं कोई नज़र आता है अपने देश के प्रति निष्ठावान, समर्पित ?
क्या उपरोक्त किसी भी गिरोह में आपको एक भी ब्राह्मण और क्षत्रिय नजर आ रहा है जो फिरंगियों द्वारा परोसी गयी प्रायोजित महामारी और उसके फर्जी सुरक्षा कवच के विरुद्ध मुँह खोलने का दम रखता हो ?
नहीं मिलेगा क्योंकि वैश्य और शूद्र गुणी व्यक्ति प्राकृतिक रूप से अधर्म व अन्याय के विरुद्ध नहीं होता। ना ही देशभक्त होता है और ना ही देश की जनता का हितैषी होता है। प्रमाण है आईएएस, आईपीएस व अन्य सरकारी अधिकारी, नेता और मंत्री। ये लोग या तो दलाल होते हैं या फिर स्लेव यानि गुलाम।
यदि देश में ब्राह्मणों का राज होता, या क्षत्रियों का राज होता तो क्या देश यूँ ही बिना लड़े फिरंगियों का गुलाम बन सकता था ?
क्या यह संभव था कि फर्जी महामारी का आतंक फैलाकर कोई देश भारत की जनता को पशु-पक्षियों की तरह पिंजरे में कैद कर सकता था ?
दुर्भाग्य यह है कि भारत में ब्राह्मण और क्षत्रिय अब अंतिम सांसें गिन रहे हैं, क्योंकि भारत की सत्ता और समाज पर वैश्यों और शूद्रों का आधिपत्य है। और ये लोग देश को बर्बाद होने से रोक पाने में अक्षम हैं, क्योंकि विदेशी बड़ी आसानी से इन्हें अपना गुलाम बना लेते हैं मेगसेसे जैसे अंतर्राष्ट्रीय पुरुसकार देकर, स्विस बैंक में अकाउंट खुलवाकर और अन्य कई प्रकार के प्रलोभन देकर। शूद्रों को पाँच किलो राशन और फ्री का बिजली, पानी देकर आजीवन गुलाम बनाकर रखा जा सकता है और प्रमाण आपके सामने है।
आज मेरे जैसे जितने भी देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के विरुद्ध हैं, वे भी केवल इसलिए, क्योंकि उनके भीतर अभी भी ब्राह्मण या क्षत्रिय का खून उबाल मार रहा है। वरना तो वे भी देश व जनता को लूटने व लुटवाने वालों के गुलामों की तरह हिन्दू-मुस्लिम खेल रहे होते, मंदिर-मस्जिद खेल रहे होते और हर संभव प्रयास करते गोदी मीडिया की तरह जनता को व्यर्थ के विषयों में उलझाए रखने का।
इसीलिए ब्राह्मणों और क्षत्रियों को गरियाने से पहले अवश्य देख लें, कि आपका अपना समाज क्यों विरोध नहीं कर पा रहा देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का। क्यों आपका समाज उन लोगों का सहयोग नहीं कर पा रहा, जो इनके विरुद्ध आवाज़ उठा रहे हैं ?
कृपया ध्यान दें: यहाँ उन शूद्रों और वैश्यों को ब्राह्मण या क्षत्रिय नहीं कह रहा जो ब्राह्मण और क्षत्रिय का लेबल चिपकाए घूम रहे हैं। यहाँ वास्तविक ब्राह्मण और क्षत्रियों की बात कर रहा हूँ और ये भी अब गिने चुने ही बचे हैं।
~ विशुद्ध चैतन्य
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