धर्मयुद्ध (Crusade) एक महाझूठ: ऐसे युद्ध जो कभी धर्म के लिए थे ही नहीं

जब देश लुट रहा होता है, सार्वजनिक संपत्तियाँ माफियाओं को नीलाम किया जा रहा होता है….तब धर्म की दुहाई देने वाले कहीं नजर नहीं आते।
जब पूरे विश्व को फर्जी महामारी से आतंकित कर बंधक बनाकर सामूहिक बलात्कार किया जा रहा होता है, तब धर्म की दुहाई देने वाले धार्मिक कहीं नजर नहीं आते।
जब तीरथों, मंदिरों से लेकर स्कूल, कॉलेज, शादी ब्याह तक पर ताले लगा दिये जाते हैं लेकिन दारू के ठेके और राजनैतिक रैलियाँ बेलगाम चल रहे होते हैं, तब धर्म की दुहाई देने वाले धार्मिक कहीं नजर नहीं आते।
आखिर क्यों ?
क्योंकि धर्म का बेसिक ज्ञान ही नहीं तो धार्मिक हो कैसे सकते हैं ?
और जिन्हें धर्म का ही बेसिक न पता हो, वे भला धर्म के पक्ष में खड़े कैसे हो सकते हैं ?
पूजा-पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास, भजन-कीर्तन, मंदिर-मस्जिद और धार्मिक ग्रन्थों को धर्म मानकर जीने वाले आजीवन नहीं जान पाएंगे कि धर्म है क्या और धार्मिक होने का अर्थ क्या होता है।
महाभारत और धर्मयुद्ध का मिथक
मेरी दृष्टि में महाभारत का युद्ध हो या इसाइयों का Crusade, या इस्लामिक जिहाद बिलकुल वैसे ही युद्ध हैं, जैसे कॉंग्रेस और भाजपा का सत्ता के लिए चुनावी युद्ध। अब कॉंग्रेस के पक्ष में नारायणी सेना हो या भाजपा के पक्ष में, धर्म और धार्मिकता से कोई सम्बन्ध नहीं किसी का भी। क्योंकि सत्ता किसी की भी रहे, जनता तो माफियाओं की ग़ुलाम ही रहेगी।
जैसे आज भाजपा के पक्ष में दुनिया के सारे व्यापारी और उद्योगपति हैं। चन्दा भी भाजपा को ही सबसे अधिक दे रहे हैं लोग यह जानते हुए भी कि भाजपा शोषण कर रही है, जनता पर अत्याचार कर रही है देश की सार्वजनिक संपत्तियाँ नीलाम कर रही हैं।
क्या पांडव धर्म के पक्ष में थे?
महाभारत के युद्ध में कौरवों के पक्ष में सबसे बड़ी सेना थी, यह जानते हुए भी कि कौरव अधर्मी हैं, अत्याचारी हैं। यहाँ तक कि भीष्म, द्रोण, कर्ण जैसे समझदार और पराक्रमी योद्धा भी कौरवों के पक्ष में थे। तब कौरवों के पक्ष में होने का अर्थ था सबसे ताकतवर सत्तापक्ष के साथ होना। यहाँ धर्म और अधर्म से कोई संबंध ही नहीं था।
आज भाजपा और आरएसएस के पक्ष में होना बड़े शान की बात मानी जाती है, क्योंकि लोगों को लगता है कि वे बहुत ताकतवर हैं, दंगा करने और हत्या करने वालों तक को जेल से रिहा करवा देते हैं, जैसे कि बाबू बजरंगी, माया कोदनानी को बाइज्जत बारी करवा दिया। लोगों को लगता है कि हम चाहे कितने ही बड़े अपराध कर लें, भाजपा हमें बचा लेगी क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी संगठन आरएसएस की राजनैतिक शाखा है और फिर सत्ता में विराजमान है।
महाभारत का युद्ध पारिवारिक युद्ध था न कि धर्म और अधर्म का युद्ध। दुनिया में जितने भी युद्ध हुए हैं, वे सब सत्ता और स्वार्थ के युद्ध थे। भविष्य में भी जितने युद्ध होंगे, वे सब स्वार्थ और सत्ता के लिए होंगे। धर्म और अधर्म का युद्ध न कभी हुआ है, न कभी होगा।
कौरवों के पक्ष में सबसे बड़ी सेना खड़ी थी क्योंकि समाज का बड़ा हिस्सा सदैव ताकतवर के पक्ष में होता है ना कि धर्म के पक्ष में। इसका यह अर्थ नहीं कि पांडवों के पक्ष में जो खड़ा था वह धर्म के पक्ष में खड़ा था। पांडवों के पक्ष में खड़ा होना बिलकुल वैसा ही था उस समय, जैसे आज कॉंग्रेस या अन्य किसी विपक्षी पार्टी के पक्ष में खड़ा होना।
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