Artificial Sweetener: घातक है मधुमेह (Diabetic) रोगियों के लिए

साइंस जर्नल सेल (Cell) में प्रकाशित इस स्टडी के अनुसार, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स ( artificial sweeteners) शरीर में सूक्ष्म जीवों के स्तर यानि बॉ़डी माइक्रोबीज सिस्टम (micro-organisms in human body) पर कुछ इस तरह का प्रभाव डालते हैं कि उससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बहुत बढ़ सकता है। जैसा कि शक्कर में ब्लैंक कैलोरीज होती है और इसीलिए इससे मोटापे का खतरा बढ़ता है।
इसीलिए, लोग अक्सर उन चीजों का सेवन करना पसंद करते हैं जिनमें शक्कर की जगह उनके लो-कैलोरी विकल्पों (sugar substitutes) का इस्तेमाल किया जाता है।
ऐसे ही दो पर्याय हैं-सैचरीन (saccharin) और एस्पार्टेम (aspartame) जो आमतौर पर केक, टूथपेस्ट, च्यूइंग गम, बोतलबंद ड्रिंक्स (fizzy drinks) और रेडी टू कूक मील्स में भोजन को मीठा स्वाद देने के लिए मिलाए जाते हैं।
हालांकि, इन स्वीटनर्स के निर्माताओं द्वारा लम्बे समय से यह दावा किया जाता रहा है कि इनके सेवन से किसी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है या उनका ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। लेकिन, नयी स्टडी के डेटा से यह संकेत मिलते हैं कि लोगों को इनका सेवन अधिक सावधानी के साथ करना चाहिए।
स्टडी के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का सेवन करने के बाद गट बैक्टेरिया इन्हें प्रतिक्रिया देते हैं। इस स्थिति के चलते शरीर में ग्लाइसेमिक रिस्पॉन्स में बदलाव दिखायी दिए जो डायबिटीज से जुड़ी गड़बड़ियों की वजह बनते हैं।
इसी तरह शुगर-फ्री या अन्य प्रकार की कृत्रिम शक्कर का सेवन करने से वयस्कों में ग्लूकोज टॉलरेंस (glucose tolerance) का स्तर भी प्रभावित होता हुआ दिखायी दिया।
यदि अप्राकृतिक मिठास यानि स्वीटनर का त्याग कर, प्राकृतिक स्वीटनर Stevia का प्रयोग करें, तो पूरा परिवार मधुमेह से मुक्त रह सकता है आजीवन।

Stevia को सामान्य बोलचाल में मीठी तुलसी भी कहते हैं। यह तुलसी के पौधे जैसा पौधा होता है और इसकी पत्तियाँ शुगर फ्री के स्थान पर प्रयोग की जा सकती हैं।
बाजार में इसकी पत्तियाँ आसानी से उपलब्ध हैं। आप चाहें तो इसका पौधा अपने घर आँगन या बालकनी में लगा सकते हैं।
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