विश्वभ्रमणकारी महान जुमलेबाज चक्कर-भर्ती सम्राट
कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। एक महान देश हुआ करता था और उसपर विश्वभ्रमणकारी महान जुमलेबाज चक्कर-भर्ती सम्राट शासन किया करता था। उसके राज में हर कोई इतना अमीर था कि महंगाई क्या चीज होती है, कोई जानता तक नहीं था।
उस देश के लोग बहुत पढ़ाकू थे, दिन भर पढ़ते रहते थे लिखते रहते थे। उनमें से कई के पास दर्जनों कीमती विलायती डिग्रियाँ थीं जो उन्होने भारी-भरकम कीमत देकर खरीदी थी।
वह देश इतना सुखी और समृद्ध था कि वहाँ की जनता ने बेरोजगारी, भुखमरी आदि का नाम तक नहीं सुना था। कोई जानता ही नहीं था कि बेरोजगारी और भुखमरी होती क्या है, रोजगार क्या होता है। सभी दिन भर सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते रहते थे, सेलफ़ी पोस्ट करते रहते थे, रील्स बनाते रहते थे।
एक दिन शत्रु देश ने उस महान देश पर आक्रमण करने का मन बनाया। लेकिन उस देश की सेना ने आक्रमण करने से हाथ खड़े कर दिये, क्योंकि उस देश का बच्चा-बच्चा जानता था कि महान देश में हर कोई पढ़ा-लिखा है। यदि सेना ने आक्रमण करने की कोशिश की तो वहाँ की जनता अँग्रेजी में इतनी गालियां देगी, कि भागते नहीं बनेगा।
तब शत्रु देश के राजा ने खबर फैलाई महान देश में कि जो भी पढ़ा लिखा है, उसे सरकारी नौकरी देगा, मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिलेगी और विदेश में सेटल होने का अवसर मिलेगा।
पहले तो किसी की समझ में नहीं आया कि नौकरी होती क्या है। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि नौकरी वह महान कार्य है, जिसके लिए मानव का जन्म हुआ है। जो इंसान नौकरी करता है, उसे अप्सराएँ मिलती हैं, हूरें मिलती हैं, लक्जरी कारें मिलती हैं, और भी अनगिनत ऐश्वर्य भोगने मिलता है, तो सभी नौकरी के लिए लाइन लगाकर खड़े हो गए।
जब सभी नौकरी की लाइन पर खड़े हो गए, तब शत्रु देश के राजा ने आक्रमण कर दिया। महान देश के राजा को पता ही नहीं चला कि शत्रु देश ने आक्रमण कर दिया, क्योंकि वह तो विश्वभ्रमण पर निकला हुआ था नौलखा सूट दिखाने।
उसी देश में एक अनपढ़ रहता था। उसने जनता को जगाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन जनता को तो नौकरी की लत लग गयी थी। कोई अपनी नौकरी खतरे में नहीं डालना चाहता था। तो अनपढ़ बेचारा अकेला लड़ा और मारा गया।
शत्रु देश का राजा बिना युद्ध किए ही महान देश को अपना गुलाम बना लिया और प्रायोजित महामारी का प्रायोजित सुरक्षा कवच बेच-बेच कर अमीर बनता चला गया।
इस प्रकार महान देश की महान जनता गुलाम बन गयी और गुलामी को ही जीवन का उद्देश्य मानकर जीने लगी। जनता ने उस अनपढ़ योद्धा की स्मृति में एक महान प्रतिमा बनाई और रोज सुबह शाम घंटे घड़ियाल बजाकर पूजा अर्चना करने लगी।