अतिथि या मुख्य-अतिथि होना अब गर्व की बात नहीं रही

#ChiefGuest अर्थात मुख्य-अतिथि के रूप में जब कोई आमंत्रित करता था, तब बड़ा गौरवान्वित हुआ करता था। ऐसा लगता था कि शायद कोई वास्तव में मेरे लेखो या विचारों से प्रभावित होकर मुझे आमंत्रित कर रहा है।
लेकिन जल्दी ही भ्रम टूट गया और समझ में आया कि आमंत्रित करने वाले और वहाँ उपस्थित भीड़ को ना तो मेरे विचारों से कोई लेना देना है, ना ही मुझसे। वे तो मेरा भगवा देखकर मुझे आमंत्रित कर रहे हैं और अपेक्षा करते हैं कि मैं भागवत कथा सुनाऊँ, सत्यवान सावित्री की कथा सुनाऊँ, या कोई भजन कीर्तन करूँ। भगवाधारी होने का अर्थ इससे अधिक और कुछ नहीं उनके लिए।
आज सुबह भी मुझे निमंत्रण था एक स्कूल के समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने के लिए। कल फल मिठाई लेकर निमंत्रण देने आए थे, लेकिन मैंने इंकार कर दिया विनम्रता से। उन्हें बुरा तो अवश्य लगा, लेकिन मैं अब दूसरों को खुश करने के लिए नहीं जी रहा। अब सारी दुनिया मुझसे नाराज हो जाये तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। जो दुनिया माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों की चापलूसी और चाकरी करके स्वयं को धन्य मानती हो, ऐसी दुनिया मेरी शत्रु भी हो जाये तो स्वयं को भाग्यशाली समझूँगा।
इतने बरसों के अनुभवों के बाद समझ चुका हूँ कि मेरे विचारों से किसी को कोई लेना देना है। वे तो भगवाधारी को यह समझकर बुलाते हैं कि आरएसएस, हिन्दूपरिषद या बजरंगदल का सदस्य होगा, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेगा, गैर हिंदुओं के विरुद्ध नफरत फैलाएगा, बच्चों को सिखाएगा कि नफरत करो, आगजनी करो, अपने ही देश को लूटने और लुटवाने वालों को वोट दो…..आदि इत्यादि।
आज हिन्दुत्व का अर्थ हो गया है दिन रात डीजे और लाउडस्पीकर पर शोर मचाकर हिन्दुत्व की रक्षा करना। साम्प्रदायिक द्वेष और घृणा फैलाना, अपने ही देश को लूटने और लुटवाने वालों की जय-जय करना और ऐसा कोई कार्य न करना, जिससे अपने ही समाज के गरीबों, शोषितों की सहायता व सुरक्षा हो पाये माफियाओं से।
ऐसे घटिया हिन्दुत्व की रक्षा करने में मेरी कोई रुचि नहीं। और यह भगवा जो धारण किया है मैंने, यह सूर्य का प्रतीक है किसी घटिया हिन्दू संगठन या संस्था का नहीं। इसीलिए मेरा भगवा देखकर मुझे संघी, बजरंगी या हिन्दुत्व के ठेकेदार गिरोह का सदस्य समझने की भूल ना करें।
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