क्या फिरंगियों के आने से पहले भारतीयों की औसत आयु 35 वर्ष हुआ करती थी ?

कहते है कि प्राचीन काल में इन्सानों की औसत आयु सौ वर्षों से अधिक हुआ करती थी और कुछ तो दस हज़ार वर्षों से भी अधिक ऐश्वर्य भोगते हुए जीते थे।
फिर वैज्ञानिक सोच के पढे-लिखों ने बताया कि वह सब अनपढ़ों, जाहिलों की मनगढ़ंत बकवास है। उन्हें अँग्रेजी नहीं आती थी, ना ही उनके देवी, देवताओं को अँग्रेजी आती थी, इसीलिए कुछ भी अनाप-शनाप गणना कर लेते थे।
तो अँग्रेजी जानने वालों ने बताया कि अँग्रेजी दवाएं और इलाज के भारत आने से पहले, यानि 70 वर्ष पहले तक भारतीयों की औसत आयु 35 वर्ष ही हुआ करती थी। कोई इक्का दुक्का 40-50 पार कर जाये तो अलग बात है। लेकिन अँग्रेजी जानने वाले वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित दवाओं और कैमिकल युक्त कृषि के कारण भारतीयों की आयु 70 वर्ष तक पहुंची। इसीलिए हर बच्चे को अँग्रेजी सीखना अनिवार्य है। अँग्रेजी नहीं सीखेगा, तो आयु घटकर वापस 35 पर आ जाएगी।
2019 से पहले बीमारियों से तड़प-तड़प कर मरते थे इंसान। फिर अँग्रेजी जानने वाले वैज्ञानिक सोच के पढ़े-लिखे वैज्ञानिकों ने प्रायोजित सुरक्षा कवच कर निर्माण किया और पूरे विश्व को बंधक बनाकर बलपूर्वक चेप दिया। अब लोग बिना बीमार पड़े, हँसते, खेलते, नाचते गाते दुनिया से विदा हो रहे हैं। इसलिए कहा जाता है विज्ञान और वैज्ञानिक सोच के पढ़े-लिखे महान होते हैं, क्योकि वे इन्सानों के कष्टों को समझकर निराकरण करते हैं।
लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आयी कि मेरी नानी, दादी 90 वर्ष से अधिक कैसे ज़िंदा रहीं और जब तक जीवित रहीं निरोगी रहीं, अपना काम स्वयं करती रहीं। जबकि वे तो बीमार होने पर घरेलू चिकित्सा से ही ठीक हो जाया करती थीं ?
उन्हें तो 35 वर्ष की आयु से पहले ही दुनिया से विदा हो जाना चाहिए था, जैसे आज प्रायोजित सुरक्षा कवच ले चुके बच्चे और युवा विदा हो रहे हैं ?
~ विशुद्ध चैतन्य
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