जलकुम्भी (Water hyacinth) बना रहा है आत्मनिर्भर

आविष्कार हर रोज़ हो रहे हैं कहीं न कहीं। लेकिन हमारी नजर आविष्कार और आविष्कारकों पर तब तक नहीं पड़ती, जब तक विलायती लेबल नहीं लग जाता। हमारी मानसिकता ही ऐसी हो चुकी है कि कोई भारतीय आविष्कार कर दे, तो विश्वास ही नहीं होगा, लेकिन कोई विदेशी नाम आ जाये सभी को विश्वास हो जाएगा।

जलकुंभी हजारों वर्षों से नदियों, तालाबों में पनप रहे हैं, लेकिन इन्हें सिवाय कूड़ा कर्कट के और कुछ नहीं समझा किसी ने। अब कुछ युवाओं ने जलकुंभी में छुपा रोजगार और जादुई गुण खोज निकाला। आज कई लोगों के लिए जलकुंभी ईश्वरीय वरदान बन गया। कॉमेंट बॉक्स में लिंक दे रहा हूँ, अवश्य पढ़िएगा यदि आप बेरोजगार हैं, या फिर कमाई का अतिरिक्त साधन खोज रहे हैं।
कमाई का अच्छा जरिया हो सकता है बेकार समझा जाने वाला जलकुंभी
बहुत से बेरोजगार साधु-संन्यासी बनने निकल पड़ते हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार का कोई उपाय नहीं सूझता। और साधु-संन्यासी बनकर धंधा शुरू कर देते हैं या गुलामी। अर्थात वैश्य कर्म अपना लेते हैं या फिर शूद्रकर्म। क्योंकि निकले तो कमाने ही थे, तो ईश्वर, आध्यात्म, त्याग, बैराग के नाम पर कमा रहे हैं।
बचपन से यही समझाया सिखाया गया है कि सरकारी या किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिला तो जीवन सफल, अन्यथा एक असफल व्यक्ति। अर्थात यदि नौकर या गुलाम बने, तो ही तुम्हारी वेल्यू है और यदि स्वरोजगार कर रहे हो, तो जीवन व्यर्थ हो गया।
इसीलिए अधिकांश पढ़े-लिखे युवाओं को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाना व्यर्थ हो जाता है। क्योंकि उनका परिवार, समाज यही मानता है कि आत्मनिर्भरता अर्थात सरकारी या किसी बड़ी कंपनी की चाकरी या गुलामी।
यदि युवाओं के मन से यह गलत धारणा किसी प्रकार निकाली जा सके कि मानव का जन्म सरकारी माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों की चाकरी या गुलामी करने के लिए ही हुआ है, तो मेरा मानना है कि एक ऐसी क्रान्ति होगी, जिसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी।
और मैं अपने लेखन के माध्यम से इसी क्रान्ति का बीजारोपण कर रहा हूँ। मेरे जीते जी ना सही, मेरे मरने के हज़ार, दो हज़ार वर्ष बाद अवश्य मेरे बोये बीज अंकुरित होंगे और एक महान क्रांति घटित होगी।
सदैव स्मरण रखें: यदि आप बेरोजगार हैं, अपने परिवार के लिए धन कमाने की योग्यता नहीं है, तो विवाह न करें, विवाह कर लिया है, तो बच्चे पैदा ना करें। ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे आपका या आपके परिवार का कोई हित ना हो रहा हो। दुनिया में क्या चल रहा है, कौन क्या कर रहा है, किस फिल्म का बहिष्कार करना है, किसका नहीं, उक्रेन-रशिया युद्ध में कौन जीतेगा, कौन हारेगा, अमेरिका में मोदी का सम्मान 21 तोपों की सलामी देकर की जाएगी या 56 तोपों की……जैसे बड़े बड़े विषयों पर अपना दिमाग खर्च करने की बजाय, इस बात की चिंता कीजिए आप अपने परिवार को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए क्या कर सकते हैं।
मेरे जैसे निकम्मे, बेरोजगार, सरफिरे संन्यासियों को अपना आदर्श मत बनाइये। अपना आदर्श उन्हें बनाइये जो अपने परिवार को सुखी समृद्ध रखने में सफल हुए हैं।
~ विशुद्ध चैतन्य
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