योगा दिवस और पर्यावरण दिवस पर ढ़ोंग!

सुंदर अहो भाग्य हमारे कि ऐसी नज़र और भाव को हम महसूस कर पा रहे।
इसने निःस्वार्थ सेवा कर महान कार्य किया है, ऐसे ही निःस्वार्थ प्रेम और सेवा भाव करने वाले, महान व्यक्ति ही महान कार्य करने कि क्षमता रखते है।
और किसी में औकात नहीं। जिनकी नजर अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास से ज्यादा पैसा कमाने हैं, वे अपने जीवन में भुक्तभोगी बनते हैं और वे उन्हें हर कार्य में उन्हें धंधा नजर आते हैं।
ऐसे व्यक्ति में कभी भी सुक्ष्म गुण, इतनी गहराई से, किसी भी जीव प्राणी के प्रति निःस्वार्थ प्रेम और सेवा भाव पनप ही नहीं सकता।
ऐसे ही महान व्यक्ति, ध्यान में डूबा व्यक्ति, समाज का अग्रगामी है, न कि हर कार्य में दिखावा और प्रसिद्धियों में डुबे और खो जाने वाला भुक्तभोगी हैं।
जैसे *#पर्यावरण_दिवस* के ही सारे भुक्तभोगियों की दिखावटी प्रेम और सेवा की बाढ़ उमड़ आती है।
जैसे *#अध्यात्म_की_नींव_योग’* को #योगा_दिवस बना, पूरे विश्व में दिखावटी *#जिमनास्टिक #योगा* की बाढ़ ला दिया हैं। विश्व भर के *#योगा_सेंटर* के इन व्यवसाय केंद्रों के रूप में बजार बना, अच्छा खासा प्रचार किया जाता है।
और ये भेड़ों का समाज योगा दिवस का सारा श्रेय मोई जी देते हैं?
पर इन भेड़ों को नहीं पता कि यह पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था, विश्व भर में योगा व्यवसाय केंद्र खोल कितना मानव स्वास्थ, आध्यात्मिकता, नैतिकता और धार्मिकता विकसित की है?
इसीलिए तो पूरी पूंजीवादी सरकारों ने मानवता को स्पॉन्सर्ड प्रायोजित सरकारी महामारी की सुई चेपवा दिया। फिर कहां चली गई थी इनकी स्वास्थ्य की इम्यूनिटी क्षमता और आध्यात्मिकता की इम्यूनिटी क्षमता?
स्वास्थ्य योगा केंद्र #जिम सेंटर की तरह योगा सेंटर पूरे विश्व भर में बहुत बड़ा व्यवसाय का रूप ले लिया है।
इन बाजारू योगा व्यवसाय केंद्र के सेंटरों से, मानव के शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और आध्यात्मिक स्वास्थ्य से कोई लेना-देना नहीं।
इन विश्व भर के योगा व्यवसाय केंद्रों के रहते पूरी मानव प्रजाति डरी सहमी, वृत्तियों से घिरी पड़ी है, क्योंकि उस योगा से आध्यात्मिकता नैतिकता और मौलिकता से कोई लेना-देना नहीं।
हां *#योग* से काफी कुछ लेना-देना है पर इसे गहराई से विश्व भर के व्यवसायिक योगा सेंटर अभी तक समझ भी नहीं पायी। अगर समझ में आती तो योगा का व्यवसाय केंद्र नहीं खोला जाता, इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है।
और अगर इन मूर्ख और भेड़ों की समाज को योग की परिभाषा ठीक से समझ में आती, और लोग उसे सही तरीके से करते हैं तो आज डरे सहमे, भय वृत्ति से घिरे, शोषणकारी, भ्रष्टाचारी , अनैतिकता की बाढ़ न होती समाज में।
पर लोग योगा दिवस और पर्यावरण दिवस में बाढ़ लाकर, दिखावटी साबित करना चाहते हैं कि हम कुछ करते हैं, हम पर्यावरण के लिए सोचते हैं, स्वास्थ्य के लिए सोचते हैं और फोटो खिंचवा कर फेसबुक पर पोस्ट करते हैं।
इसीलिए दिखावटी के चक्कर में पर्यावरण नष्ट हो रहा, #योग योगा बन विश्व भर में योग दिवस के नाम पर योगा सेंटर बड़े-बड़े व्यवसाय केंद्र चलाए जा रहे हैं।
और पूंजीवादी शैतानी सरकारी स्वास्थ्य के नाम पर स्पॉन्सर्ड सरकारी महामारी सुई चेपकर, विश्व भर में साबित कर दिया, कि तुम लोग भेड़ों की भीड़ हो, भेड़ ही रहोगे। और हम गड़ेड़िए के पीछे तुम सारे मुर्ख भेड़ जीवन भर दौड़ते रहोगे। हम जैसा चाहे तुम्हें जीवन भर नचाते रहेंगे और तुम भेड़ जीवन भर, अपनी भगवान की भक्ति कम हमारी भक्ति करते रहोगे।
इसीलिए आपने देखा नहीं, किस तरह तुम हमारे लिए थाली, ताली पीटते रह गए, ओर हम तुम जैसे भेड़ों को स्पॉन्सर्ड सरकारी झूठी महामारी की टीका ठोक दिए, और तुम सारे भेड़ अब विश्व भर में रोज कार्डियरेस्ट और हार्ड अटैक से नाचते गाते, गिरते मिलोगे।
यही दुर्भाग्य है आज की मानव समाज का जो समझने को तैयार नहीं, कि किस तरह पूंजीवादी शैतानी सरकारे शोषण और भ्रष्टाचार का नंगा नाच सरेआम कर रही, और पढ़े-लिखे मूर्ख अशिक्षित डिग्री धारियों को कुछ समझ में नहीं आना।
विश्व भर में नष्ट हो रहे अन्न, जल, धरती, हवा और जंगलों पर पर्यावरण दिवस मना ढ़ोंग किया जा रहा है,
और स्वास्थ्य,अध्यात्मिकता, नैतिकता और धार्मिकता नष्ट हो रही योगा दिवस के नाम पर ढ़ोंग किया जा रहा?
सरिता प्रकाश 🙏