प्रकृति के प्रत्येक रुप में कुछ न कुछ अद्भुत तो है ही
नमस्कार हमारी भाइयों और बहनों मैं अपनी शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और अर्थ नैतिक विकास के लिए, परमात्मा की बनाई पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक व्यवस्था को संवार, उसमें ही अपनी जीवन की खूबसूरती को निखार, सात्विक जीवन का आधारभूत केन्द्र और स्वतंत्र जीवन शैली मानती हूं!
इसीलिए मैं अपने स्वास्थ्य जीवन को भी बरकरार रखने के लिए, पर्यावरण अनुकूल सात्विक आहार के साथ-साथ, अपनी दिनचर्या में प्राकृतिक सौन्दर्य चीजों को ही, अपने जीवन में इस्तेमाल कर, प्राकृतिक व्यवस्था को भी बरकरार रखती हूं।
१. जिसके लिए एलोवेरा के पौधे भी अपने घर में रखती हूं। उसके पत्तों के कुछ टुकड़ों को छिलके उतार कर उसके पेस्ट को मशीन में पीस कर, अच्छे से पेस्ट बना लेती हूं। फिर उसमें सुखी नीम के पत्ती के पाउडर 1 टीस्पून और 4 टीस्पून एलोवेरा के पेस्ट मिलाकर फ्रिज में रख देती हूं। फिर उसे सुबह शाम उंगलियों से दांतों में मसाज करती हूं। इससे मसूड़े से खून का निकलना दांतों की हर तरह की बीमारी, दांतो के दर्द के सारे परेशानियों से निजात दिलाता है। और तो और दांतों की चमक और साफ-सुथरे में निखार लाता है।
साथ ही दांतो के मस्कुड़े और दांतो की चमक के लिए महीने में दो बार सरसों तेल आधे चम्मच, चुटकी भर हल्दी और उसमें चुटकी भर नमक लेकर उंगलियों से अच्छी तरह मसाज कर ले। यह भी दांतो को चार चांद लगा देता है।
२. बालों के लिए भी एलोवेरा बहुत ही फायदेमंद होता है साथ ही कंडीशनिंग का काम करता है।
३. और चेहरे पर लगाने से भी कोई क्रीम की जरूरत नहीं होती।
इस तरह से बहुत सी प्राकृतिक चीजें इस धरती पर उपलब्ध है, जिसके कारण आप प्राकृतिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए बिना रासायनिक चीजों से अपनी दिनचर्या बना सकते हैं। जैसे क्रीम, साबुन, सर्फ भी आप प्राकृतिक यूज कर सकते हैं। यहां तक आप इंटरनेट के माध्यम से प्राकृतिक सौंदर्य के लिए और घरेलू उपयोगी प्राकृतिक चीजों के हजारों टिप ले सकते हैं।
प्राकृतिक चीजों के अपनी दिनचर्या में यूज करने से आपको काफी फायदे हैं अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के स्वास्थ्य बने रहने से, उससे आपके नए संस्कार नहीं बनते। क्योंकि आप उस प्रकृति की सौंदर्य धारा को नष्ट नहीं कर रहे। जहां आप प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करते हैं उसका आपको दुष्परिणाम झेलना पड़ता है।
“प्रकृति के प्रत्येक रुप में कुछ न कुछ अद्भुत तो है”।
“जब से मैंने खुद को प्रकृति की रंगों में रंग दिया,तबसे मैं भी उन रंगों में रंग अनमोल हो गई और परमात्मा के रंगों में घुल-मिल सी गई”।
“इसीलिए खुद को बदल डालो, उस प्रकृति की व्यवस्था के अनुकूल न कि प्रकृति को स्वार्थी व्यवस्था के अनुकूल”।
इसलिए आप सभी अपने जीवन में प्राकृतिक अनुकूल जीवन स्वस्थ जिये, जो भी प्राकृतिक चीजें जो बिना रसायनिक पदार्थों से बने हैं जो प्रकृति में घुल मिल जाए ऐसी अपनी दिनचर्या में चीजें यूज़ करनी चाहिए।
रासायनिक आहार से लेकर टूथपेस्ट, क्रीम, लिपस्टिक, परफ्यूम, साबुन, शैंपू , कप़ड़े में काफी प्लास्टिक का व्यवहार होता है वह हमारे पर्यावरण के लिए घातक है बल्कि हर एक जीव-जंतु , पेड़-पौधे, कीड़े-मकोड़े और मानव स्वास्थ्य कल्याण के लिए घातक है।
इन सारे प्लास्टिक और रासायनिक पदार्थों द्वारा मनुष्य पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं। आज पूरी सृष्टि में मनुष्य के राक्षसी प्रवृत्ति ने, अकल्याण की स्वार्थी भावना द्वारा, आज खुद को ही नष्ट किया है। जिसके कारण पानी, हवा और मिट्टी के साथ साथ इंसान भी जहरीले होते जा रहे हैं।
जब परमात्मा ने पहले से ही इस सृष्टि को और हर एक मनुष्य को अपने हाथों से इतना खूबसूरत बनाया है, तो फिर कुछ भी ऐसा रासायनिक चीजें लगाकर, जबरदस्ती उस सुंदरता पर थोपना, परमात्मा के सुंदरता पर दाग लगाना हुआ, उंगली उठाना हुआ।
हमारी काले, गोरे, गेहूंआ रंग, दबा हुआ रंग, जैसा भी हो चाहे वह टेढ़ा, मेढ़ा, भेंगा चेहरा ही क्यों न हो, वह हमारे जन्म और कर्म के अनुकूल परमात्मा से मिला है। सब कुछ हमें अपने जीवन में किए गए प्रकृति के साथ अत्याचार का फल है या अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ किया गया अत्याचार का फल है।
चाहे आपकी शरीर और मन जैसा भी मिला हो अपने मन को कुंठित न बनाएं, बल्कि अपने मन को काफी उच्च स्थान दें। अपने मन के हर गुण को निखारे। अपने इस धरती के अमूल्य जीवन को सार्थक करें, संतुष्ट करें, प्रकृति के साथ जुड़ कर आत्मनिर्भर बने, प्रकृति के साथ घुल मिलकर जीने से आपके सारे भेद मिट जाएंगे।
इसीलिए हर एक परमात्मा की दिए शरीर मन और आत्मा के कण-कण का सम्मान करें, स्वास्थ्य दायक प्रकृति व्यवस्था के साथ आशीर्वाद का टीका आपको लगा हुआ है। उनकी कृपा की बरसात हर पल आप पर हो रही। आप भयमुक्त रहे, स्वतंत्र रहे, आपकी जीवन और मृत्यु जन्म लिखित है। आपके अंदर बैठे अंतरात्मा में ही परमात्मा का वास स्थान है। हम उनसे दूर रह नहीं सकते। सिर्फ आप ही नहीं किसी भी जीव प्राणी से भी दूर रही नहीं सकते। क्योंकि वह हर सांस में बसते हैं। उन्होंने आपको हर गुण से सुसंपन्न होने की क्षमता दे रखी है। उस सौंदर्य और सुंदरता पर खुश रहे और आनंदित रहे और उनमें समर्पित रहे, वही जीवन की निखार है। आपका हंसता हुआ मुस्कुराता हुआ चेहरा से आप ऊर्जावान हो उठते हो, ऐसे उस प्रफुल्लित चेहरे में परमात्मा नजर आने लगते हैं।
यह खूबी कोई ब्यूटीशियन नहीं दे सकती, और न ही कोई कॉस्मेटिक दे सकती है, और न ही कोई मॉडल के रूप में आपकी सुंदरता दे सकती है। न ही कोई डॉक्टर आपको वह सुंदरता लौटा सकता है। जो आपके अंदर कण-कण में ऊर्जा विद्यमान है, वह सब परमात्मा का स्वरूप है। उसके होने पर ही आप इस धरा पर है। जिसके कारण ही आपकी नजर हर कुछ देख लेती है, हर ऐसी चीजें सुन लेती है, जो औरों के कानों में नहीं गुंज पाती और हर उन गहराइयों को भाप लेती है, जो और भी नहीं भाप पाते और जब अंतरात्मा से आप प्रफुल्लित हो जाते हो। क्योंकि उस पल को वे ही पूरी तरह आप में समाहित और विद्यमान होते हैं।