जाकी रही भावना जैसी प्रभू मूरत देखी तिन तैसी

अच्छाई और बुराई केवल दिमागी भ्रम है। यदि आप अच्छे हैं, तो सभी आपको अच्छे ही मिलेंगे। और बुरे हैं, तो सभी आपको बुरे ही मिलेंगे।
उदाहरण के लिए भले लोगों को कभी भी रिश्वतखोर पुलिसवाला नहीं मिलता। सरकारी अधिकारी, नेता या मंत्री कभी भी भले लोगों से रिश्वत नहीं मांगते। यहाँ तक कि महंगाई, भ्रष्टाचार कितना ही बढ़ जाये, भले लोगों के बजट और सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
भले लोग यदि डकैतों के चंगुल में फंस जाये, तो भी डकैत ससम्मान घर छोड़ आते हैं अपनी कार से और अपनी जेब से दो चार लाख भेंट कर देते हैं कि बच्चों को मिठाई खिला देना मामा की तरफ से।
प्रायोजित महामारी में लगे लॉकडाउन में भी भले लोगों का कुछ बुरा नहीं हुआ। उनके दारू के ठेके निर्बाध चलते रहे, राजनैतिक रैलियाँ धड़ल्ले से चलती रही।
जबकि बुरे लोगों की ज़िंदगी नर्क बनी रही है महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, शोषण और अत्याचार के कारण।
यदि आपको देश में महंगाई, भुखमरी, बेरोजगार, भ्रष्टाचार नजर आ रहा है, बिकता हुआ देश नजर आ रहा है, देश को लूटने और लुटवाने वाले नेता, पार्टियां और सरकारें नजर आ रही हैं। तो अपने दिमाग का इलाज करवाइए। क्योंकि ऐसा कुछ वास्तव में हो नहीं रहा, केवल आपके अपने दिमाग में खोट है, इसलिए यह सब दिखाई दे रहा है।
यह तो देश का सौभाग्य है कि मेरे जैसे कुछ ही लोग हैं, जिनके दिमाग में लोचा हुआ पड़ा है। वरना तो सारा देश ही थाली, ताली, बर्तन बजाकर नाच रहा है, क्योकि सभी के अकाउंट में 15-15 लाख आ गए थे, जिससे उन्होंने अपने दिमाग का इलाज करवा लिया।
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