सोने की चिड़िया बनाने वाले देश में मानवता अन्नहीन दिनहीन क्यों!

प्रकृति मां ने इस धरती को कहीं से भी दरिद्र नहीं बनाया, फिर भी भारतवर्ष में ऐसी निपीड़ित, भूखी, नंगी, गरीबी, लाचारी और दरिद्रता आई कैसे?
इसका कारण है देश की काले अंग्रेज ये पूंजीवादी व्यवस्था, जो पूरी मानवता को लूट खसोट कर खून चूस रही। ये किसानों की बिचौलिया और हर एक वह व्यक्ति जो कृषि को घाटे का सौदा मानता है।
क्योंकि पढ़ा, लिखा, डिग्री धारी, अशिक्षित लोग हर एक गरीब किसान, मजदूर के कलाकारी और मेहनत पर नीचता और गरीबता का सर्टिफिकेट देता है। कुछ ऐसे धूर्त लोग कहते हैं प्रकृति प्रेम से और खेती कर पैसे नहीं कमाए जा सकते।
पर यही धूर्त व्यवसायीकरण के लोग जब इनके सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, और इन्हें लगता है कि खेती से कमाई ही मोटी कमाई हो सकती है तो फिर जहरीले और जेनेटिक मॉडिफाइड बीजों द्वारा खेती करने की पद्धति अपनाने को सोचते हैं। जिससे वे अपनी धूर्त मानसिकता के कारण ज्यादा से ज्यादा अनाज की पैदावार कर पूरी मानवता को अस्वस्थ करते हैं।
यही लालची और धूर्त मानसिकता की भुक्खड़ लोग जिन्हें प्रकृति से प्रेम नहीं, ऐसे ही लोग पर्यावरण नष्ट करते हैं। साथ ही खेतों में जहरीले अनाज की पैदावार बढ़ाने हेतु हजार तरह के रसायनिक खाद पदार्थों को यूज करते हैं। हर एक मानव प्रजाति को कुपोषित कर, हजार बीमारियों से पीड़ित कर, उसे फार्मा माफियाओं पर आधारित बना, भूखा, नंगा, गरीब और भीख मांगा बना रहा।
जिन्हें भी परमात्मा के बनाए प्रकृति की सुंदर व्यवस्था से प्रेम है, वे कभी भी इस धरा पर जहरीले रसायन से किसी भी पैदावार को उगाने में सीने दर्द महसूस करता है। ऐसे प्राकृतिक प्रेमी लोग पैसों की खातिर अपनी जमीर दांव पर नहीं लगाते हैं।
ऐसे जागरूक और चैतन्य व्यक्ति परमात्मा की असीम क्षमताओं से अपनी धरती पर स्वर्ग की प्रतिष्ठा करते हैं। हर एक पेड़ पौधे, जीव जंतु और हर एक छोटे सी छोटे जीव-प्राणी पर दया की दृष्टि रखते हैं और उनकी सुरक्षा करते हैं।
ऐसे प्रकृति प्रेमी सिर्फ अपने देश से ही प्रेम नहीं करते बल्कि पूरे विश्व ब्रह्मांड के हर जीव प्राणी से प्रेम करते हैं। उनका प्रेम असीम होता है। ऐसे लोग सिर्फ अपने परिवार अपने बच्चों से ही प्रेम नहीं करते बल्कि हर जीव प्राणी, पशु पक्षी, पेड़ पौधे, इस छोटे सी छोटे जीव से उनका आत्मिक प्रेम होता है।
ऐसी प्रकृति प्रेमी कृषि से जुड़ते हैं खेती करते हैं तो उनका जुड़ाव उन खेतों से पैसे उगाने की सोच नहीं होती है। उनको पता होता है जब हम प्रकृति से प्रेम करते हैं, उनकी सुरक्षा करते हैं, उनके प्रति दया और ममत्व रखते हैं तो प्रकृति भी भरपूर अनाज की पैदावार करने की क्षमता रखती है। ऐसे लोग प्रकृति से जुड़कर स्वास्थ्य दायक आनंददायक जीवन व्यतीत करते हैं और पूरी तरह संतुष्ट महसूस करते हैं।
बिल्कुल प्रकृति के अंदर असीम क्षमताएं और हर गुणों से भरपूर है। वह जितनी इस धरती पर अन्न पैदा करने की शक्ति रखती है, उतना कोई भी जहरीले इंडस्ट्रियल अनाज पैदा करने की शक्ति नहीं रखती बल्कि प्रकृति को नष्ट करने की शक्ति रखती है।
जिसके कारण प्रकृति भी उथल-पुथल हो जाती है उन जहरीले अप्राकृतिक रासायनिक खेती से।
जहर मुक्त प्रकृति प्रेमी अन्नदाता ही भगवान और जहर युक्त कृषक ही राक्षस!
जब जमीन के अंदर के छोटे-छोटे कीड़े मकोड़े केकड़े, और केंचुए नष्ट हो जाते हैं। उस जहरीले पदार्थों से तो, विश्व भर में प्राकृतिक मां इस धरा प्राकृतिक आपदाएं लाती हैं। बाढ़ सुनामी जैसी भयंकर से भयंकर आपदाएं आती है।
मैं उन अप्राकृतिक कृषकों से कुछ कहना चाहती हूं, जिनको प्रकृति से प्रेम ही नहीं, उनको खेती करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोग कृषक नहीं राक्षस है, मानवता के भक्षक हैं, न की सुरक्षक।
जो इस प्रकृति की धारा में प्रेम की बीज नहीं बो सकते और मानवता को जीवनदान नहीं दे सकते, उनको किसी भी जीवों को मारने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे किसान ढ़ोंग के आधार पर जो कृषक बनते हैं या खेती कर पैसे कमाना चाहते हैं, उनका कोई अधिकार नहीं है धरती को नोचने का और कुरेदने का?
ऐसे लोग महा राक्षस होते हैं जो परमात्मा के प्रकृति की धरा को नष्ट करने हेतु कृषि को चुनते हैं, और उनमें उन्हें जीव-निर्जीव प्राणी के प्रति दर्द और पीड़ा ही नहीं महसूस होते।
और जो पर्यावरण अनुकूल खेती करते हैं या कृषक बनते हैं, ऐसे प्रकृति प्रेमी, प्रकृति सुरक्षित, हर जीवों के रक्षक होते हैं। उन्हें हर जीव प्राणी के प्रति दर्द, पीड़ा और कष्ट ज्यादा महसूस होती है। जो हर एक जीवों के प्रति दया ममत्व से परिपूर्ण होते हैं, ऐसे लोग इस धरा के मां और पिता के तरह निस्वार्थ रक्षक होते हैं। ऐसे लोग मानव के रूप में हर जीवों के दाता देव कहलाते हैं और अन्नदाता कहलाते हैं।
ऐसे लोगों में मानव रूप में, मनुष्त्व से, देवत्व और शिवत्व में परिणत होने की क्षमता लेकर जो मानव आते हैं, इस धरा में मानवता के कल्याण हेतु उनका जन्म इस धरा में हुआ होता है। ऐसे लोग सदाहरण विचार और सदाहरण कार्य के लिए नहीं आते हैं, बल्कि ऐसे लोग महान उद्देश्य और कार्य को पूर्ण करने के लिए आते हैं।
जो मानव रूप से, देव इस धरा में बनने लग जाते हैं, उनके अंदर परमात्मा की नजरों की तरह देखने की क्षमता और नजरिया, गुणधर्म और शुभ दृष्टि पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। साथ ही जिनमें सबों के प्रति प्रेम, दया और करुणा होती है वही आध्यात्मिकता के पात्र है। और उनमें परमात्मा के सारे गुण उसमें समाहित होने लग जाते हैं, क्योंकि ऐसे देव योग्य व्यक्ति से परमात्मा दूर रहे नहीं सकते!
धर्म, धार्मिकता, नैतिकता और आध्यात्मिकता भरे लोग वह नहीं, जो सिर्फ मंदिरों में पत्थरों पर गुनगुनाते है, और ग्रन्थों का उच्चारण करने की काबिलियत रखते हैं। बल्कि आध्यात्मिक वह व्यक्ति है जो पूरी मानवता की जीवन दाता के रूप में उनके सुरक्षक और संरक्षण होते है।
इसीलिए ऐसे देव योग्य मनुष्य को विकसित करने के लिए प्राकृतिक खेती की उच्च शिक्षा भारतवर्ष में उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जिससे छोटे-छोटे बच्चे यह सीख सके समझ सके की प्रकृति के साथ किस तरह अत्याचार किया जा रहा है। और हम जीवन के अनाज के बीजों साथ किस तरह जेनेटिक मोडिफाइड किया जा रहा, और उससे मानवता को कितना नुकसान और भरपाई करना पड़ेगा।
इस प्राकृतिक शिक्षा के माध्यम से बच्चों को प्राकृतिक खेती के साथ टेक्निकल खेती यानी की मशीनरी खेती के द्वारा कम शारीरिक मेहनत से उच्च पैदावार, अच्छी स्वदेशी बीजों का चयन कर, रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर, हर छोटे-छोटे कीड़ों को बचाने के लिए हॉर्टिकल्चर की व्यवस्था की शिक्षा, हर फल, सब्जी और अनाज के गुणवत्ता को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाकर, मानवता के स्वास्थ्य हेतु और प्राकृतिक शिक्षा पद्धति की उच्च शिक्षा ज्ञान प्राप्त करने हेतु भारतवर्ष में प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय खोले जाने चाहिए।
“हम शिक्षित वर्ग के मानव समाज ही इस धरा पर स्वर्ग की प्रतिष्ठा करने की क्षमता रखते हैं, हमसे ही मानवता के आशाएं और इच्छाएं जुड़ी है, हम ही मानवता के उज्जीवक और उत्प्रेरक है!”
सोने की चिड़िया बनाने वाले देश में मानवता अन्नहीन दिनहीन क्यों?
आओ चले प्रकृति से प्रेम करें, निश्चल मन से और निस्वार्थ नजरों से अपार प्रेम करें, उनकी सुख-दुख में शामिल हो और उनके कष्टों को उभार, उनकी शोषण पर अपार खुल कर विचार व्यक्त करें, और अपने जीवन में स्वतंत्र उच्च विचार भरें!
सरिता प्रकाश🙏✍️💧🌱💚☘️🥰🦆🦩🦋🐞🐧🦚🦉🐜🦢🦜🐝।