प्रकृति हमारी जीवन साथी!

हम लोग जहां भी जाते हैं प्रकृति के गोद में ही जाते हैं, उससे दूर हम रह ही नहीं सकते। वह हमारे बिना भी अधूरे हैं, इसीलिए हमारी सुरक्षा भी उन्हें काम आती है। इन फारेस्ट में हजारों लाखों जीव जंतु वास करते हैं, इन फॉरेस्ट से सिर्फ मानव जीवन को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि हर छोटी सी छोटी जीव प्राणी को भी काफी प्रभावित करता है।
इसीलिए उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी है, इन फॉरेस्ट के बिना पूरी मानवता नष्ट हो सकती है। हमारे आदि मनुष्य आदिवासी जो जंगलों की संरक्षक है, उनकी सुरक्षा भी की जानी चाहिए। अगर आदिवासी नष्ट हो गए तो सारे फॉरेस्ट, और प्राकृतिक बीज, स्वदेशी बीज, नदी, झरने, पहाड़ सब कुछ नष्ट हो जाएंगे। इसीलिए विश्व भर के आदिवासी की सुरक्षा करना हर मानव का धर्म होना चाहिए।
क्योंकि उनके द्वारा ही प्रकृति के हर जीव-जंतु, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे संरक्षित हैं। अगर चींटी भी इस धारा से लुप्त होती है तो पूरी विश्व ब्रह्मांड पर असर करता है। हर जीव प्राणी का इस धरती पर काफी महत्व है। और यह बहुत ही विचारणीय है। इस पर हर एक जागरूक और चैतन्य लोगों को सोच विचार कर मंथन करना चाहिए।
हर शहर के आसपास पेड़ के साथ फॉरेस्ट होनी चाहिए, हर गांव के आसपास पेड़ के साथ फॉरेस्ट होने चाहिए, हर घर के जमीन के कोने में पेड़ होने चाहिए।
क्योंकि हमारे शरीर के 70% पानी है और इन फॉरेस्ट से बादल बनते हैं और फिर पानी की बरसात होती है। और इन्हीं बारिश से पानी शुद्ध होती है, सारी गंदगी घुल जाती है और फिर वातावरण स्वच्छ हो जाता है। और हर झील, नदी, तालाब उस बारिश के पानी से भर जाते हैं। किसानों के लिए स्वर्ग उतर आता है। साथ ही पशु-पक्षी, जीव-जंतु, पेड़-पौधे हर एक प्राणी झूम उठते हैं।
इन्हीं शुद्ध वातावरण में जब अनाज उगता है, और स्वस्थ दायक मानसिकता के लोग जब खेती करते हैं तो वह अनाज सोना डायमंड बन जाता है।
और फिर ऐसी शुद्ध वातावरण में रहने वाले लोग, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक स्वस्थ हुए लोग जब शुद्ध विचारों से खाना बनाते हैं, तो वह खाना परमात्मा का प्रसाद बन जाता है। और जो भी उस अन्न को ग्रहण करता है,तो उसके शरीर, मन और आत्मा पूरी तरह तृप्त हो जाती है। वह हर एक व्यक्ति आनंदित हो पाता है, साथ ही हर जीव-प्राणी स्वस्थ दायक अन्न को खाकर वह भी आनंदित हो रहे होते हैं। जिसके कारण वे सभी आपको पॉजिटिव तरंगे आपको दे रहे होते हैं। आशीर्वाद के रूप में, जिसे आप परमात्मा कहते हैं।
परमात्मा और कहीं नहीं, इन मंदिर घंटी घड़ियाल के पास नहीं बल्कि इन सभी जीव प्राणियों के कण-कण में समाहित है। यही प्रकृति के जीव प्राणी आपको ऊर्जावान बनाते हैं न कि आपके पत्थरों की मंदिर, और उन मंदिरों के पंडित, पुरोहित?
इसीलिए हर जागरूक और चैतन्य लोगों को हर एक जीव प्राणी को बचाने के लिए तत्पर रहना होगा। उनके संरक्षण का दायित्व इन्हीं के ऊपर है।
बाकी भेड़ों के समाज को तो इंजीनियर, डॉक्टर, साइंटिस्ट, आईपीएस, यूपीएस बन, सरकारी पूंजीवादी व्यवस्था के गुलाम की उगाही कर, प्रकृति को ध्वंस जो करना है।
आप सभी को हमारी शुभकामनाएं!
~ सरिता प्रकाश 🙏🌧️💧💚🐦🐝🌱🐝🐜🦉🦚🐧🐞🦋🦆🐛🌳🦩🌴🦜