हमारा प्राकृतिक स्वास्थ्य जीवन शैली और स्वतंत्र जीवन शैली जर्मनी में!

हम लोग जर्मनी रहकर भी अपने हाथों से प्राकृतिक खेती कर, बिना किसी नौकर, चाकर और मजदूर की मदद लिए, अपने हाथों से, बहुत ही प्रेम से प्राकृतिक लकड़ी के घर बनाकर, रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर, प्राकृतिक जीवन व्यतीत करते हैं। और हमेशा स्वस्थ रहते हैं, न कि फर्मा माफियाओं पर आधारित रहते हैं। हर कार्य अपने हाथों से करते हैं, यहां कोई किसी का नौकर नहीं। जैविक फार्म के बीच में बने खुद के हाथों के बनाए कुए की शुद्ध पानी के साथ साथ, प्राकृतिक अनाज, फल, सलाद, जूस और जेम सब कुछ खुद की शुद्ध प्राकृतिक चीजों से बनाई 100% विटामिन से भरपूर अन्न ही लेते हूहैं। न कि सुपर मार्केट से खरीद कर जहरीले रसायनिक अनाज खाते-पीते हैं।
हम अपने शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और अर्थनैतिक विकास की खुद जिम्मेदार है। हमारा जीवन पूंजीवादी गुलामी आधारित नहीं, बल्कि प्राकृतिक स्वतंत्र आधारित हमारे जीवन शैली है। हमारे शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए हमारा अन्न कैसा होना चाहिए, वह हम खुद चयन करते हैं। हमारे शरीर और मन पर किसी का कब्जा नहीं है। जिसके कारण हम पूरी तरह स्वतंत्र हैं।
25 सालों में कभी मेडिकल फार्मा इंडस्ट्री के माफियाओं पर डिपेंड रहने की जरूरत नहीं पड़ी, बल्कि पूरी तरह स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रहने की हमारी कोशिश होती है!
हम लोग यहां 25 सालों से कभी छोटी मोटी स्वास्थ्य की दिक्कतों पर एलोपैथिक लेने की जरूरत न पड़ी, बल्कि हम लोगों ने भारतवर्ष से लाकर होम्योपैथिक की सारी दवाओं की सेट लाकर हम लोगों ने रख लिया है। हम लोग अपने आप में चिकित्सक हैं। किसी भी अशिक्षित डिग्री धारी डॉक्टर की जरूरत नहीं है हमें। पूरी तरह स्वतंत्र और आत्मनिर्भर है हमें किसी भी पूंजीवादी सरकारी गुलामी व्यवस्था की जरूरत नहीं।
बल्कि जर्मनी के बहुत सारे ऐसी प्राकृतिक आयुर्वैदिक हर्बल दवाओं के पत्तों की जानकारी मैंने इकट्ठा की है, और उन सभी हर्बल पत्तों को सुखाकर पाउडर बनाकर भी, मैं अपने स्वास्थ्य की इम्युनिटी बूस्ट करने के कार्य में लगाती हूं। साथ ही अपने फार्म के फल बेरीज की जूस बनाकर, उसे साल भर स्टोर करके, अपनी इम्यूनिटी बूस्ट करने के कार्य में लगाती हूं। हमें किसी भी बाहरी अंतरराष्ट्रीय शैतानी पूंजीवादी सरकारी, फार्मा माफियाओं की जहरीली रासायनिक पदार्थ से उगाई, विटामिन के कैप्सूल्स और किसी भी दवाओं की हमें जरूरत नहीं पड़ती।
हम लोग इस प्रकृति के स्वर्ग भरी धरा में आज के ऋषि हैं, राजा है, प्रिंस है, मालिक है, अपनी स्वास्थ्य जीवन की मालकियत रखते हैं। हम किसी के गुलाम नहीं जो पैसे से खरीद कर शैतानी पूंजीवादी फार्मा माफिया को विश्व हथियार के लिए सपोर्ट करें, किसी बुनियाद पर भी नहीं करते हैं। हमें किसी पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के दलाल, ढोंगी साधु, संत, धूर्त बाबाओ की जरूरत नहीं, न ही इनकी किसी भी तरह के ढोंग आधारित अलौकिक शक्तियों की जरूरत है। हम तो प्राकृतिक व्यवस्था के हर जीव प्राणी के साथ जुड़कर अध्यात्म का सृजन करते हैं।
हम तो प्रकृति जीवीं हैं, हम तो प्राकृतिक सौंदर्य की स्वर्ग भरी धरा पर आधारित स्वतंत्र जीने की तमन्ना रखते हैं। और प्राकृतिक स्वास्थ्य जीवन की कला और रहस्य आधारित, स्वतंत्र चिकित्सा करने की पद्धति अपनाते हैं।
इसीलिए हम लोग पूरी तरह मस्त रहते हैं हां हार्ड वर्क जरूर करना पड़ता है, जिससे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य भी फिट रह सके!
कभी भी बाजार का कुछ भी नहीं खा सकते, क्योंकि हम तो वेजिटेरियन ठहरे। पर फिर भी हमें किसी भी तरह का दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है क्योंकि मैं आत्मनिर्भर हूं। यहां तो ऐसे भी 99% नॉनवेज ही मिलते हैं, जिसके कारण हमें और भी सब कुछ अपने हाथों से बनाने भी पड़ते हैं। जैसे –
👉चाहे बिस्किट हो,
👉चाहे केक हो,
👉समोसा हो,
👉चाहे रसगुल्ला हो,
👉चाहे जेम हो,
👉चाहे ब्रेड हो,
👉चाहे पिज़्ज़ा हो,
👉चाहे आलू की चिप्स हो,
👉चाहे अचार हो,
👉चाहे ढ़ोंसा, इडली हो,
👉चाहे फल और बेरी के जूस हो,
👉चाहे हर्बल टूथ पाउडर हो,
👉 चाहे चेहरे की क्रीम हो,
👉चाहे प्राकृतिक हर्ब्स हो,
👉चाहे कोई भी नमकीन खस्ता, सब कुछ अपने हाथों से बना कर रखती हूं,
👉चाहे खाने का हर एक प्रकार के व्यंजन ही क्यों न हो, मैं अपने हाथों से बनाये ही ज्यादा पसंद करती हूं!
👉पर अब तो आदत हो गई है करते करते पता भी नहीं चलता कि मैं इतनी सारी चीजें कर लेती हूं!
💚जिसके कारण हमारे अनाज में किसी के भी जहरीले नेगेटिव थॉट नहीं मिल पाते, उस सात्विक अन्न में!
💚ऊपर से प्राकृतिक अपने हाथों से उगाए, हमारी सोच पर आधारित पैदावार चार चांद लगा देते हैं!
💚और साथ ही अपने हाथों के बनाए, प्राकृतिक फार्म के बीच में शुद्ध कुएं का पानी ऊपर से, उसको ग्लास में रख कर सूरज की किरणों से एनर्जेटिक बना लेती हूं। तो पूरी हंड्रेड परसेंट विटामिन डी 6 महीने की विटामिन डी विंटर के पूर्ण हो जाती है!
💚जब भी छुट्टियों में या वीकेंड में कहीं जाती हूं तो अपने छोटे से पिकनिक के चूल्हे के साथ हमारा किचन भी साथ होता है, जिसके कारण मैं कहीं भी रेस्टोरेंट्स या होटलों में आधारित नहीं रहना पड़ता पूरी तरह स्वतंत्र रहती हूं!
💚 यहां तक हम कहीं भी स्टे भी करते हैं तो टेंट में या अपनी गाड़ी में करते हैं जिससे मैं खुले शुद्ध वातावरण में प्राकृतिक व्यवस्था से जुड़ी रहूं!
इसीलिए बता पाना मुश्किल है कि किन-किन चीजों से हम स्वस्थ और मस्त रहते हैं। हम तो अपनी प्रकृति के स्वर्ग भरी धरा में शुद्ध वातावरण और शुद्ध आहार बनाने की क्षमता खुद रखते हैं!
अगर अपने जीवन को ऊर्जावान बनाना है तो पहले प्रकृति की सुंदर व्यवस्था को भी स्वच्छ रखें, जैसे खुद की शरीर और मन की शुद्धता बनाकर रखते हैं, वैसे ही प्रकृति की सुंदरता को बरकरार रखें!
प्रकृति की सुंदरता बरकरार रखना कोई छोटा कार्य नहीं है। अपने हाथों से खेती करना भी कोई छोटा कार्य नहीं, अपने हाथों से किचन गार्डनिंग करना भी कोई छोटा कार्य नहीं है, बल्कि उसी प्रकृति की स्वर्ग की प्रतिष्ठा में ही पूरी मानवता का खुद का सम्मान छुपा है रहस्य छुपा है!
~ सरिता प्रकाश 🙏🥰💚🌱💧