भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है !

👉वे तो अपने संगठन, संस्था, रिलिजन, संप्रदायों में मस्त और आनंदित है!
👉वे तो अपनी मठाधीश, संत, महंत, और कथावाचकों की कथा में डुबकीयों में मस्त और आनंदित है। और अपने गुरुओं के बने बनाये, संगठनों पर कब्जा कर व्यवसाय केंद्र स्थापित कर उन सारे भेड़ों को विभेदों में बांटकर, जयकारे लगवा रहे!
👉वे तो अपनी सारी पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के दलाल बन लोग अपनी सारी शिक्षा व्यवस्थाओं में गुलाम की मैन्युफैक्चरिंग कर रहे है।इंजीनियर, डॉक्टर, साइंटिस्ट, मैनेजर, सीओं, यूपीएस, यूपीएससी, डीएम, डीएसपी, पुलिस, आर्मी, चौकीदार, सिपाही, सेक्रेटरी, कलर, नर्स की गुलामी में भी मस्त और आनंदित है!
👉वे तो अपने पिशाचवादी, पूंजीवादी, भाजपावादी, कांग्रेसवादी, अंबेडकरवादी, पुरोहितवादी, भजनवादी, महंतवादी, ढ़ोंगवादी, धार्मिकवादी, सैनिकवादी, आर्मीवादी, हिंदूवादी, मुस्लिमवादी, फुटबॉलवादी, क्रिकेटवादी, बॉलीवुडवादी, सरकारी-नौकरीवादी, पूंजीवादी-नौकरीवादी और नेतावादी की भक्ति की गुलामी में सभी शैतानी टीका ठोकर मस्त और आनंदित है!
🌳उन भेड़ों की भक्ति में चाहे जंगल जाए भाड़ में, पर्यावरण जाए भाड़ में, प्रकृति जाए भाड़ में, प्रकृति की शुद्धता जाए भाड़ में, प्रकृति के शुद्ध पानी जाए भाड़ में, प्रकृति की शुद्ध अनाज जाए भाड़ में, प्रकृति की स्वदेशी बीज जाए भाड़ में, जहरीले रासायनिक खेती से धरती की जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी जाए भाड़ में, हर छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े जो इस धरती के कृषि भूमि को उपजाऊ बनाती है वह भी जाए भाड़ में, ढोंग आधारित धार्मिकता, नैतिकता, आध्यात्मिकता में मस्त और आनंदित जो रहना है?
💧जहरीले रासायनिक खेती से हर जीव प्राणी नष्ट हो रहे, पानी जहरीला हो रहा, जंगलों की कमी की वजह से जमीन के पानी की गहराई पर गहराई होती जा रही। जहरीले रासायनिक खेती से प्रकृति के छोटे-छोटे जीव प्राणी के नष्ट होने से बाढ़, उल्कापात, प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही। सारी मीठी बारिश के पानी बाढ़ बनकर समुद्र में जा रही, न कि जमीन के अंदर समा पा रही। क्योंकि केंचुए, कीड़े, मकोड़े और केकड़े जमीन को उपजाऊ के साथ-साथ बारिश के पानी को जमीन की गहराइयों में पहुंचने में बहुत योगदान देते हैं। वे सभी लुप्त हो रहे हैं, जिसके कारण प्राकृतिक आपदा का बढ़ना एक आम बात सी होती जा रही। लेकिन भेड़ों की समाज को ढोंग आधारित धार्मिकता, नैतिकता, आध्यात्मिकता में मस्त और आनंदित जो रहना है?
🛑सारे भेड़ों के समाज अपनी ढोंग आधारित धार्मिकता, नैतिकता और आध्यात्मिकता में इस कदर खोए हुए हैं कि पूरी मानवता विवादों और विभेदो में बंटती जा रही, खंडित विखंडित होती जा रही, क्योंकि इतना ध्यान, साधना, पूजा, पाठ में इतना समाधिस्थ हैं कि इनकी ढोंग आधारित आध्यात्मिकता, नैतिकता, धार्मिकता फूट फूट कर बह रही, अलग-विलग थलग होती जा रही, विश्व बंधुत्व होने के लिए?
🛑हजारों सालों से अपने गुरुओं के आदर्श, निर्देश, यह नियम, ध्यान, साधना, उपवास, फलहार, सात्विक आहार, पूजा, पाठ, पांचजन्य, आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी चिकित्सा, प्राकृतिक चिकित्सा सारी ग्रंथ रट्टा मार कंठस्थ करने के बावजूद भी अपने गुरुओं की क्रांतिकारी गुण धर्म से वंचित रह गए, और साधारण सी सर्दी जुकाम में डर, भय और दहशत से पूंजीवादी शैतानी टीका ठोक लिए किस आधार पर?
इनकी कोई भी आध्यात्मिकता नैतिकता धार्मिकता उसे वक्त कम न? आई क्यों?
🛑क्योंकि सभी लगे हुए हैं अपने-अपने धर्म ग्रंथो को पढ़वाने में, अपने धर्म में शामिल करवाने में, अपने अपने पूजा पाठ करवाने में, जब सब उनके धर्म में शामिल हो जाएंगे तो फिर सब नैतिक बन जाएंगे? तभी सभी आध्यात्मिक बन जाएंगे? फिर सभी धार्मिक हो जाएंगे? तभी सभी क्रांतिकारी हो पाएंगे? तभी फिर विश्व बंधुत्व स्थापित हो जाएगा?
🛑क्योंकि उससे पहले क्रांतिकारी गुणधर्म किसी में भी घटित होने की कोई चांस नहीं है❗
🛑क्योंकि सब के सब निरर्थक, निर्लज, आलसी, दूसरों को थोपने वाले, पूंजीवादी अधीन गुलामी जिंदगी काटने वाले लोग क्रांतिकारी गुण धर्म से वंचित ही रह, अपने बच्चों की जिंदगी खत्री में डालकर उन्हें सारे कार्यभार छोड़कर, अपनी परमात्मा भरोसे इस धरा से चले जाएंगे। और खुद जिंदगी भर पूंजीवादी शैतानी सरकारी व्यवस्थाओं की गुलामी कर, उन बच्चों पर थोप कर, कहेंगे उनका भविष्य उज्जवल हो जाएगा❗
~ सरिता प्रकाश 🙏😀💧🌳🌱🐝🐞🐝🐛🦆🕊️🦜🐧🦚🦉🐦🦩
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