शैतान की ग़ुलाम तीन उँगलियाँ आपकी तरफ उठ जाएँगी

“भला आदमी तो कभी खाली भी बैठ जाए, बुरा आदमी बिलकुल खाली नहीं बैठ सकता। कुछ न कुछ करने की कोशिश जारी रहेगी।” – ओशो
बुरा व्यक्ति हो या आत्मा कर्मवाद के सिद्धान्त का अनुसरण करते हैं। भला व्यक्ति कर्मवाद पर इतना ध्यान नहीं देगा। वह संतुष्ट है तो अपनी धुन में मस्त रहेगा, अकेला बैठा बांसुरी बजाएगा या ध्यानस्थ बैठा होगा, या निष्क्रिय लेटा होगा किसी वृक्ष के नीचे। जबकि बुरा व्यक्ति बेचैन रहेगा, कुछ न कुछ उत्पात मचाएगा, कोई न कोई षड्यंत्र रचेगा। कुछ करने को ना मिले तो साम्प्रदायिक द्वेष व घृणा फैलाएगा, मस्जिद में सूअर का सर फेंकेगा और मंदिर में गाय का कटा सर। और फिर दोनों संप्रदायों को आपस में लड़ाकर दूर खड़ा ठहाके लगाकर हँसेगा।
कर्मवाद का ढ़ोल सबसे अधिक बुरी आत्माएं ही पीटती और पिटवाती हैं। क्योंकि यदि इंसान ध्यान में बैठ गया, तो दंगे कौन करेगा, हत्याएं, बलात्कार, आगजनी कौन करेगा, घोटाले और हेराफेरी कौन करेगा ?
और यह सब नहीं होगा, तो फिर शैतानों का साम्राज्य नष्ट हो जाएगा। फिर अमेरिका जैसे देश भी सोमालिया जैसा भूखा-नंगा देश बन जाएगा। क्योंकि फिर न हथियार बिकेंगे, न ही आणविक हथियारों पर देश की जनता का धन बर्बाद होगा।
इसीलिए दुष्ट आत्माएं दिन रात कार्य करती और करवाती रहती हैं अपने गुलाम संगठनों, संस्थाओं और सरकारों के माध्यम से। जबकि भली आत्माएं इस्कॉन जैसी संस्थाओं से जुड़कर हरे-रामा, हरे कृष्णा जाप करते हुए दुनिया भर में नाचते गाते घूमती हैं। ध्यान शिविरों में ध्यान कर रही होती हैं ताकि विश्व में सकारात्मक ऊर्जा फैले। भली आत्माएं कभी भी देश को लूटने और लुटवाने वालों का विरोध नहीं करतीं, क्योंकि वे जानती हैं कि यदि वे दुष्टों की तरफ एक उंगली उठाएंगी, तो तीन उँगलियाँ (शैतान की गुलाम सीबीआई, ईडी, आईटी) उठ जाएँगी और जीवन नर्क बन जाएगा।
इसीलिए बुद्ध पुरुषों ने कहा है, “दूसरों का दोष देखने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेना। दूसरों पर उँगलियाँ उठाने से पहले तीन उँगलियाँ (शैतान की गुलाम सीबीआई, ईडी, आईटी) का ध्यान कर लेना।”
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