हे मेहनती किसान तुम ही सरकार, तुम ही भगवान, अपनी अहमियत पहचान, तुम गुलाम नहीं !

हे मेहनती किसान अपनी मेहनत के दम पर, खुद को न बेंच अपनी अहमियत और अपनी महत्वाकांक्षाओं का मूल्य न लगाकर, प्रकृति के साथ घुलमिल कर अपनी अहमियत को बढ़ा!
*अंतराष्ट्रीय पूंजीवादी शैतानी व्यवस्था के गुलाम मैनुफैक्चरिंग करने वाली धूर्त दलाल फेंकू, फूंकों और फैको वाली सरकार को फेकों यार, देश की जनता सड़, गल , पच रही समझो यार!*
चाहे कोई भी राजनीतिज्ञ हो, सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं और मानवता को गुलाम बनाते हैं, ये सभी हम मानवता की सरकार नहीं, बल्कि हम जागरूक और चैतन्य जनता ही सरकार है!
*हे मेहनती किसान तुम ही सरकार हो, तुम ही भगवान हो, तुम ही मालिक है, तुम ही देश के पथ प्रदर्शक हो, प्रकृति के रक्षक और सुरक्षक हो, और पूरी मानवता के अन्नदाता!*
हे मेहनती किसान सरकार, तुम किसान पुत्र- पुत्री कृषि को उद्योग का दर्जा देने हेतु हर गांव, हर कस्बों के जागरूक और चैतन्य किसानों द्वारा, तुम कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करों, उसे व्यवस्थित करों और उच्च कृषि शिक्षा, कुटीर उद्योग आधारित शिक्षा की व्यवस्था करों!
जनता ही सरकार है, प्रकृति मां के रक्षक मेहनती किसान ही सरकार है, देश का हर वह मेहनती स्वतंत्रत विचारक ही सरकार है, देश का हर एक व्यक्ति कला के आधार पर, आत्मनिर्भरता से जीने वाला व्यक्ति ही सरकार है, और स्वतंत्र जीवन का हकदार है!
हे देशवासियों शिक्षित करों, अन्नदाता ही सरकार है, तुम आत्मनिर्भर बनों और मानसिक गुलामी की जकड़ी जंजीरों को तोड़ तुम उससे मुक्त हो जाओं, क्योंकि तुम्हारे बिना यह सारे राजनीतिकरण अधूरे हैं!
हे प्रकृतिवादी किसानों तुम कृषि की उच्च स्वतंत्र व्यवस्था स्थापित करों, देश के कोने-कोने में छोटे-बड़े कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दों, हर गांव को कुटीर उद्योग आधारित व्यवस्था कर आत्मनिर्भर करो, तुम ही इस धरती के मालिक, भगवान और सरकार हो!*
हे मेहनती किसान ही मलिक सरदार हो, तुम प्राकृतिक खेती से अनाज पैदावार स्वास्थ्य दायक विटामिन से भरपूर अनाज पैदा करने की क्षमता रखते हो, कॉटन की उन तैयार कर धागे तैयार करते हो, धागे तैयार कर कपड़े तैयार कर पूरी मानवता को शरीर ढकने की क्षमता रखते हो!
हे मेहनती किसान तुम ही मानवता की सरकार हो, तुम ही मानवता की आंखों की रोशनी हो, तुम ही विश्व की मानवता की पेट की भूख की प्रज्वलित आग बुझाने की क्षमता रखते हो, न कि गुलामों की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली और गुलाम आधारित जीवन जीने को मजबूर करने वाली, ये पूंजीवादी शैतानी राजनीतिज्ञ सरकार है बिल्कुल नहीं!
हे जागरूक और चैतन्य मानव समाज यह पूंजीवादी शैतानी सरकारे नहीं बल्कि मानवता की शिकंजो में फंसी गले की फंदे बनी, खुद के गले में अटकी और मांस के टुकड़ों में फंसी ये खुद की लाचारी में लिपटी, ये खुद को जबरदस्ती सरकार मानती है। क्योंकि मानवता की लाचारी, भूखी और बेबसी के टुकड़ों पर पलती है ये पूंजीवादी शैतानी सरकारे। यह जितना हम जितनी खून के आंसू रोते हैं उन्हें तड़पता देख, यह जितना दुख दर्द है और उन खूनी कष्टों के मोहलल्त पर जीने की शान और तमन्ना रखती है पूंजीवादी शैतानी सरकार है वही उनका खाना है!
इसीलिए हे मानव तुम अपने आप में स्वतंत्र हो जाओ, और अपनी आत्मनिर्भरता के साथ प्रकृति से जुड़कर, कृषि से जुड़कर अपनी कुटीर उद्योग के आधार पर स्वतंत्र व्यवस्था बना लो, और अपने जीवन को मिनिमाइज कर लो, और यह तुम्हारा बाल बाका भी नहीं कर सकते!
हे जागरूक और चैतन्य प्रकृतिवादी जीवन अपना लो, और इन पूंजीवादी शैतानी व्यवस्था की सारी बने प्रोडक्ट को चूल्हे में झोंक दो और अपनी खुद की बनाई कुटीर उद्योग आधारित प्राकृतिक स्वास्थ्य आधारित प्रोडक्ट को अपने जीवन में अमल कर लो, तभी पूंजीवादी शैतानी व्यवस्थाओं कि सांसे रुकेंगी, हम जब तक इनकी प्रोडक्ट को खरीदने रहेंगे यह विश्व में अपनी शैतानी एजेंडे चलते रहेंगे, पूरी मानवता के लिए युद्ध करते रहेंगे!
हे मेहनती प्रकृतिवादी प्रकृति खेती करने वाले किसान तुम ही प्रकृति की रक्षक हो, पूरी पर्यावरण की प्रकृति व्यवस्था की शुद्ध वातावरण की पहचान हो, शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, शुद्ध अनाज की व्यवस्था करने वाले तुम ही मानवता की भगवान हो, और पूरी मानवता को स्वास्थ्य दायक जीवन प्रदान करने वाले भगवान हो!
हे मेहनती किसान तुम अपनी स्वतंत्र आत्मनिर्भरता को पहचानो, तुम कुटीर उद्योगों की खान हो, तुम आत्मनिर्भर स्वतंत्र व्यवस्था की बखान हो, तुम कुटीर व्यवस्था आधारित जीवन शैली अपनाने की देश की आन-बान-शान हो, तुम सभी अपने मालिकाना हक के सरकार हो, न कि गुलाम हो!
हे मेहनती किसान तुम पूंजीवादी शैतानी सरकार राजनीतिज्ञ के भीख पर क्यों आधारित हो जाते हो?
वे तो तुम्हारी टुकड़े पर पलने वाले भिखारी हैं। तुम्हारे बिना तो एक पल भी जिंदा न रह सके हैं। उनका खाना कपड़ा तुम्हारी मोहलतों पर आधारित है!
लेकिन भी तुम्हें भिखनंगा कर चुके हैं, तुम गरीब मजदूर किसानों को 5 किलो चावल दाल की भीख देकर, तुम पर ही शासन करते हैं, तुम भूखे नंगे किसानों को गरीबी में तब्दील कर सब्सिडी के आधार पर तुम्हारे गुरुर को तोड़ते हैं ये यह पूंजीवादी शैतानी सरकारे!
अरे हे मेहनती किसानों अपनी आत्मरक्षा करो, अपनी आत्मनिर्भरता को बल दो, अपनी अराजनीतिक व्यवस्था आधारित कुटीर उद्योगों की व्यवस्था करो, प्राकृतिक की स्वतंत्र व्यवस्था के आधार पर, कुटीर उद्योगों को प्रेरणादायक बनाकर आत्मनिर्भर स्वतंत्र हो जाओ।तुम्हारे जीवन उज्ज्वल है, भविष्य तुम्हारे हाथ में है न कि पूंजीवादी सरकारों के हाथ में, क्योंकि तुम ही मालिक तुम ही भगवान हो, तुम ही सरकार हो, इस प्रकृति की धरा में तुम पूरी मानवता की आन बान शान हो, हम भी तुम्हें प्रणाम करते हैं!
*सरिता प्रकाश*🙏✍️🌱
