राक्षस, दानव और देवता काल्पनिक नहीं, वास्तविक लगने लगे हैं

बचपन से सुनता आया हूँ कि राक्षसों/दानवों और देवताओं में युद्ध हुआ करता था | राक्षसों के विषय में कहा जाता था कि उनके सींग हुआ करते थे उअर बड़े बड़े दांत हुआ करते थे | वे कच्चा माँस खाया करते थे……
आज बैठे बैठे गूगल इमेज पर Indian Tribe सर्च कर लिया तो यह तस्वीर मिली मुझे | यह नागालेंड के कोयांक आदिवासियों के एक पारंपरिक नृत्य समारोह का दृश्य है |

अब हम आते हैं देवताओं और राक्षसों पर | राक्षस जंगली हुआ करते थे और देवता स्वर्णाभूषणों से लदे हुए राजा या राजकुमार ही हुआ करते थे और आज भी हैं | कहा जाता है कि राक्षस हमेशा इंद्र की सत्ता हथियाने के लिए स्वर्ग पर हमला करते रहते थे | जंगलों में तपस्या कर रहे ऋषि तपस्वियों को ये राक्षस परेशान किया करते थे |
अचानक यह सोच उभरी कि कहीं राक्षस कोई और नहीं, आदिवासी ही रहे हों और देवता कोई और नहीं धनी वर्ग, राजा या राजुमार ही रहे हों ?
जिस प्रकार आजकल हम देख ही रहे हैं कि कैसे सोनिया, मोदी आदि की मूर्तियाँ बनाकर मंदिरों में सजाने का चलन है और उन मंदिरों में मोदी या सोनिया की आरती गाने से मनोकामना भी पूरी होने लगती है…. तो शायद वैसा ही तब भी हुआ हो ?
जैसे आज कोयले, खनिजों व सोने के लालच में झारखण्ड की भूमि हथियाई जा रही है और आदिवसियों को नक्सली बता कर मारा जा रहा है, वैसे ही उस समय उन्हें राक्षस बता कर मारा जाता रहा हो ?
जैसे आज आदिवासियों के मारे जाने पर किसी मानव के मन में कोई दुःख नहीं होता, वैसे ही तब भी रहा हो ?
नक्सलवाद भी सरकारी शह पर ही पनप रहा हो, ठीक वैसे ही जैसे हिंदूवादी संगठन के लोगों ने पाकिस्तानी झंडा पहरा कर मुस्लिमों पर आरोप लगाने का प्रयास किया था लेकिन उसका खुलासा हो गया | वरना तो मुस्लिमों के घर जलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते ये देवताओं के दूत |
न जाने क्यों अब राक्षस, दानव और देवता काल्पनिक नहीं, वास्तविक लगने लगे हैं | तब के देवता और अब के देवताओं में कोई भेद नहीं नजर आ रहा | आज भी अदानी-अम्बानी-जिंदल जैसे देवता हैं जो बहुत ही ताकतवर हैं | वे चाहें तो किसी को भी अपनी शक्ति से गायब करवा सकते हैं | आज भी बहुत से ऐसे देवता हैं, जो अपने गवाहों को हमेशा के लिए चुप करवा देते हैं बिना अपनी जगह से हिले | आज भी ऐसे बहुत से देवता है जो करोड़ों रूपये हजम कर लेते हैं बिना डकार लिए | आज भी ऐसे देवता हैं जो पुष्पक विमान से दुनिया की सैर करते हैं…. तो राक्षस हुए आदिवासी, देवता हुए धनी व शाशक वर्ग…. तो दानव और असुर कौन थे ?
देवता तो माँसाहार करते नहीं थे, आदिवासी ही करते थे… शायद इसलिए इनका वध करना पुण्य माना जाता रहा और आज भी यही परम्परा चल रही है |
क्या आप लोग मेरी सहायता करेंगे समझने में कि मैं गलत तो नहीं सोच बैठा ?
~विशुद्ध चैतन्य
कोयांक आदिवासियों का विडियो इस लिंक पर देखें:
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