ढोंगी-पाखण्डी हैं समाज और सरकारें !
ढोंगी-पाखण्डी समाज और लोगों की पहचान क्या है ?
धार्मिक ग्रंथो को पढ़ेंगे, लेकिन धर्मानुसार आचरण नहीं करेंगे।
गुरुओं को पुजेंगे, गुरुओं की नकल करेंगे, लेकिन गुरुओं के दिखाये सद्मार्ग पर नहीं चलेंगे।
नैतिकता और धार्मिकता की बड़ी-बड़ी बातें करेंगे लेकिन अनैतिक और अधार्मिक नेताओं और राजनैतिक पार्टियों को वोट देंगे, सत्ता-सौंपेंगे।
यह बिलकुल वैसे ही पाखण्ड है, जैसा महाभारतकाल में कौरवों और पांडवों ने किया था।
भीष्म, द्रोण, कर्ण उन कौरवों के पक्ष में खड़े थे, जिन्होंने भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण किया, लाक्षागृह दहन का षड्यंत्र किया, हर प्रकार का छल, प्रपंच किया।
युधिष्ठिर को धर्मराज माना जाता था, लेकिन उस धर्मराज ने अपनी पत्नी और भाइयों को जुए में दाँव पर लगा कर घोर अधर्म व अनैतिक कार्य किया।
तो आप कितने ही बड़े शास्त्रों के ज्ञाता हो, कितने ही बड़े कानून और संविधान के विशेषज्ञ हों, यदि आप अधर्म और अधर्मियों के पक्ष में हैं, यदि आप अपराधियों और माफियाओं के पक्ष में हैं, यदि आप देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों के पक्ष में हैं, यदि आप साम्प्रदायिक, जातिवादी द्वेष व घृणा फैलाकर दंगे-फसाद, आगजनी, हत्या, बलात्कार करवाने वालों के पक्ष में हैं, तो आप ढोंगी-पाखंडी ही नहीं, महा धूर्त, मक्कार, नीच और नास्तिक व्यक्ति हैं।