यदि पूर्वज महान नैतिक व धार्मिक थे तो वंशज अनैतिक और अधार्मिक क्यों हो गए ?

क्या आपको इस बात पर गर्व है कि आपके धार्मिक ग्रंथों में महान विचार और शिक्षाएं लिखी गई हैं?
क्या आपको इस पर गर्व है कि आपके धार्मिक ग्रंथों को महान संतों ने या स्वयं ईश्वर ने लिखा या लिखवाया है?
क्या आपको गर्व है कि आपके पूर्वज नैतिक, धार्मिक और महान व्यक्तित्व के धनी थे?
जरा सोचिए!
- क्या पहले के समय में आज जैसी सुविधाएं उपलब्ध थीं?
- क्या पहले गूगल, यूट्यूब, फेसबुक, स्मार्टफोन, 4G जैसी तकनीकों का उपयोग होता था?
- क्या आपके पूर्वज अंग्रेजी भाषा जानते थे?
- क्या आपके पूर्वज या ईश्वर-अल्लाह ने कभी कॉन्वेंट स्कूलों में शिक्षा प्राप्त की थी?
जब उनके पास ऐसी कोई आधुनिक सुविधाएं नहीं थीं, फिर भी वे महान बन गए, तो इसका कारण क्या था? जब उन्हें अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं था, फिर भी वे आदर्श समाज का निर्माण कर सके, तो इसकी जड़ें कहां थीं? जबकि आज, आपके पास सारी आधुनिक सुविधाएं, शिक्षा, और साधन मौजूद हैं, फिर भी आप महान क्यों नहीं बन पाए?
क्यों?
यदि आपके पूर्वज नैतिक और धार्मिक रूप से महान थे और उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथ आज भी पूजनीय हैं, तो यह गर्व का नहीं, बल्कि आत्ममंथन का विषय है कि आप और आपका समाज समय के साथ नैतिक और सांस्कृतिक रूप से नीचे क्यों गिरता चला गया।
होना तो यह चाहिए था कि आपके पूर्वजों की महानता का विस्तार होता और आप उनसे कहीं अधिक उन्नत और श्रेष्ठ बनते। लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। यह सवाल उठता है कि ऐसा क्यों हुआ?
एक कड़वा सत्य
आपके धार्मिक ग्रंथों की महानता, आपके पूर्वजों के गौरवशाली इतिहास, और उनके नैतिक आदर्शों से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। जो मायने रखता है, वह है आपका वर्तमान और आपका समाज।
- क्या आप और आपका समाज वर्तमान में नैतिक और आदर्श जीवन जी रहे हैं?
- क्या आप अधर्म और अनैतिकता के खिलाफ खड़े होने का साहस रखते हैं?
- क्या आप धूर्त और मक्कार नेताओं का बहिष्कार करने का साहस रखते हैं?
यदि इन सवालों का उत्तर नकारात्मक है, तो मान लीजिए कि आपका इतिहास चाहे जितना भी गौरवशाली रहा हो, वर्तमान की दुर्गति यह सिद्ध करती है कि आप उस महानता को बनाए रखने में असफल रहे हैं।
स्मरण रखें
यदि आप और आपका समाज वर्तमान में महान नहीं हैं, तो यह मानना होगा कि या तो आपकी पूर्वजों की महानता एक मिथक थी, या उनकी संतानों ने उनके आदर्शों को समझने और अपनाने में अयोग्यता दिखाई। यह एक चेतावनी है कि यदि वर्तमान समाज में नैतिकता और धर्म के प्रति आस्था पुनः स्थापित नहीं की गई, तो भविष्य और भी अधोगामी हो सकता है।
निष्कर्ष
अपने अतीत की महानता का ढिंढोरा पीटने से अधिक महत्वपूर्ण है अपने वर्तमान को महान बनाना। यह तभी संभव होगा जब आप अपने विचारों, आचरण, और समाज के प्रति जिम्मेदारी को गंभीरता से लेंगे।
~ विशुद्ध चैतन्य
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