मैं कैसे कहूं कि मेरे बच्चे नहीं मैं अकेली हूं ?

इस विश्व ब्रह्मांड की हर एक जीव प्राणी हमारे अपने बच्चें हैं, मैं कैसे कहूं कि मेरे कोई बच्चे नहीं, ऐसा सोचना तो एक मां की ममत्व का अपमान होगा?
हर मनुष्य अपनी मानव जीवन के बच्चे को ही अपना बच्चा मानते हैं, जिसके कारण ही हर जीव प्राणी इस धरा से लुप्त हो रहे!
हमारे लिए किसी के भी मानव जीवन के बच्चे या किसी भी जीव प्राणी के बच्चे में कोई भेद नहीं, हम सब जीव प्राणी एक दूसरे की पूरक है।
इस सृष्टि की अगर एक चींटी भी नष्ट हो जाए, तो पूरा विश्व ब्रह्मांड ध्वस्त हो जाएगा!
हर जीव प्राणी को लेकर ही यह विश्व ब्रह्मांड एक्जिस्ट करता है। हम सबका भाई-बहनों से भी गहरा रिश्ता है, इन प्रकृति के जीव प्राणी के साथ!
हम मानव जीवन उच्च कोटि के होते हुए भी, हम सभी जीव प्राणियों के साथ भेद विभेदों में अटके हुए होते हैं, जिसके कारण हम अपने सामान्य मनुष्य जीवन से परिचित नहीं हो पाते।
परमात्मा कहीं और नहीं, परमात्मा की कोई और रूप नहीं, बल्कि परमात्मा तो इन सभी जीव प्राणियों के कण-कण के जीवन में समाहित रूप हैं। उन सभी के ऊर्जा धाराओं से समाहित तरंगे हमें मनुष्यत्व से शिवत्व होने को प्रभावित करती है।
हम हर एक जीव प्राणी असीम शक्तियों के भंडार है, हम असीम क्षमताओं के भंडार हैं। हम मानव शरीररी अपनी असीम क्षमताओं को, अपने सामान्य जीवन में यूज ही नहीं करते, जिसके कारण वह छीन भिन्न हो जाती है।
जैसे हमारी देखने की क्षमता असीम है, सुनने की क्षमता भी असीम है, पहचान की क्षमता असीम है, सुंघने की क्षमता भी असीम है, मस्तिष्क ज्ञान की क्षमता असीम है, काम करने की क्षमता असीम है, सोचने की क्षमता असीम है, चलने की की भी क्षमता असीम है।
पर मानव जीवन में गुलामी की जंजीरों में कैद लोग, जैसे पैसे के पीछे भागते हैं, दिमाग को गलत यूज करते, गलत सोचते, गलत बोलते, झूठ बोलते, गलत देखते, गलत सुनते, इसकी बावजूद भी घमंड में चूर होते लोगों का सब कुछ हाईजैक हो जाता है।
वे दिखावे में सब कुछ कर रहे होते हैं, उनकी अपनी जमींर मर जाती है, वे सिर्फ दूसरों की लिए हजार मुखौटे लगाए, खोखले दिमाग के लोग सिर्फ पुतले की तरह जिंदा होते हैं।
प्रकृति मां की धरा पर उन सभी जीव प्राणियों से एकत्व हुए बिना, मानुष से मनुष्यत्व नहीं हो सकता, और मनुष्यत्व से शिवत्व को प्राप्त होना तो दूर की बात है, जब सच में ही सकारात्मक नहीं है तो फिर अंदर जब्ज होने में तो कई जन्म लगेंगे।
इस सृष्टि के हर जीव प्राणी के प्रति शुभ दृष्टि के विचार रखने वाले लोग ही, आध्यात्मिक जीवन से परिपूर्ण हुए लोग हैं। और अपनी असीम क्षमताओं को प्रकृति की धरा पर स्वर्ग की परिकल्पना करने को तत्पर है वही आध्यात्मिक, नैतिक और धार्मिक व्यक्ति हैं।
इसीलिए प्रकृति के इस धरा में अमूल्य जीवन के कर्तव्यों से वंचित मानव इस धरती के नष्ट-विनष्टों का जिम्मेदार है और ध्वस्त हो रहे, उन सभी उत्तरदायित्वों से वंचित मानव, अपने मानव होने की क्षमता से परिपूर्ण, असीम प्रेम विश्व बंधुत्व अदा किए बिना, मानुष से मनुष्यत्व होना नामुमकिन और शिवत्व में प्रतिष्ठित होना तो दूर की बात है!
#स्त्री #स्त्रीत्व #नारी #बेटी #नारीशक्ति 💖💖💖💖💖
ओ मेरी💖मां तू तो प्रेम की मूरत हो, जो हर मातृत्व में बसती हो…
तू हर💖स्त्री में हंसती हो, तू मातृत्व जीवन की कश्ती हो…
हे💖स्त्री तू तो इस धरा की जननी हो, तू जीवनदायिनी हो…
हे💖मां तू इस धरा की जीती जागती आध्यात्मिक की मूरत हो, तू धर्म की पूरक हो, स्वास्थ्य की दवाओं की भंडार हो…
हे💖मां तू इस जीवन की हस्ती हो, तू भक्ति हो, तू प्रेम की पंक्ति, शब्दों की हर पंक्ति हो, तू दिव्य शक्तियों की भंडार हो, तू ही तो पूरी सृष्टि के कण-कण में समाहित हर बच्चों की आंचल की छांव हो!
तू ही💖प्रकृति की शुद्ध वातावरण की सार हो, चांद, तारे में चमकती आन बान शान हो और चमकते सितारों में जा बस्ती हो, तू ही इस जीवन की सार हो, निसार हो!
मां💖तो सबको गले लगाती है,सृष्टि के हर जीव-प्राणी हमारे ही बच्चे, मैं कैसे कहूं कि मेरे बच्चे नहीं मैं अकेली हूं?
हे💖स्त्री, हे💖मां तुम्हें बार-बार हर बार नमन! 💖🌱❣️💖🌱❣️💖🌱❣️💖🌱❣️💖🌱💖❣️💖❣️💖❣️
सरिता प्रकाश 🙏🌱✍️🐝🐞💧🐛🦉🕊️🦩🦋🌳🌴🐧🦆🦜🐦💚