एक जिंदगी और मौत से हर किसी की मुलाकात होती है

मरते तो सभी है अपनी जिंदगी में, हर पल मर रहे होते हैं। और ऐसे भी 39 की उम्र के बाद हर एक व्यक्ति की शरीर जीर्णश्रृण होनी शुरू हो जाती है। हर एक नकारात्मक व्यक्ति अपने शरीर के हर पल, हर दिन, हर एक व्यक्ति कण-कण से मर रहे होते हैं।
और अगर आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लिए, अपने जीवन की असीम क्षमताओं के साथ प्रकृति से जुड़कर अपने धर्म और कर्म से फलीभूत होकर, आत्मनिर्भर स्वतंत्र जीते हैं, तो आपकी कण-कण सकारात्मक ऊर्जा से हर पल ऊर्जावान हो रहे होते हैं। और जीवंत हो रहे होते हैं, जिसके कारण आप अपने जीवन में, मर कर भी अमर हो जाते हैं।
अगर आप अपनी जिंदगी में अच्छी तरह ठीक से शांति और आनंद से जिए होते हैं, तो मौत भी आपकी शांति और आनंद से होती है बल्कि कुछ खास लोगों की तो यहां तक इच्छा मृत्यु भी होती है।
जो अपनी जिंदगी के हर एक उस पल को शांति और आनंद पूर्णरूपेण जियें होते है, तो वहीं व्यक्ति अपनी जिंदगी में अच्छी तरह मौत के हर पल को शांतिपूर्ण और आनंद से गुजार, इच्छा मृत्यु को भी प्राप्त कर लेते हैं।
अगर अपनी जिंदगी में लोग अशांति भरी जिंदगी जिए होते हैं तो उनकी मौत भी अशांति से भरी नाच रही होती है। उस नाम, शौहरत, के आगे निकलने की दौड़ में, धन, दौलत, घमंड, घर, महल, मकान, मकाम के पीछे भागते भागते, मौत के उस हर पल को पूरी तरह फड़फड़ा रहे होते हैं।
“जिंदगी में आपकी जैसी जीवन शैली जैसी होगी, वैसे ही आपकी जीवन की मृत्यु शैली भी वैसे ही होगी, न कि कुछ खास!”
उस मौत के हर पल को हर एक एहसास दे जाएगी कि आप कौन थे, और आपने अपनी जिंदगी कैसी गुजारी।
“जब आप प्रकृति के साथ घुलमिल कर भाई बहनों से रिश्ता स्थापित कर जीते हैं, तो आप अपने जीवन में पूरी तरह संतुष्ट और तृप्त होते हैं, साथ ही आनंदित होते हैं!”
कभी आपने भी देखा होगा कि जिंदगी और मौत के पल को, कि कुछ लोग फड़फड़ाते हुए आते हैं, और कुछ लोग तड़पते और फड़फड़ाते हुए, इस धरा से विदा हो जाते हैं।
और बहुत से ऐसे लोग शांतिपूर्ण आनंददायक जन्म लेते हैं और शांतिपूर्ण आनंद दायक मौत में भी शांत और तृप्ति हुए चले जाते हैं आसपास के पड़ोस को भी पता नहीं रख पाता।
और बहुत से लोग मौत के बाद फड़फड़ाते हुए तड़पते हुए लोग जब जाते हैं, वह यह एहसास दिलाता है कि आप अपनी जिंदगी में सही तरीके से जिंदगी नहीं जी पाए। आपने कुछ बहुत बड़ी चूक कर दी, या कहे तो आप जीवन में चूक कर गए, अधूरा छोड़ गए, उसको लेकर अपने काफी पीड़ा महसूस होती है।
इसीलिए हे मानव, अपने मानव जीवन को परिपूर्ण करने हेतु इस धरा पर प्रकृति से जुड़कर जिए, अपने जीवन की असीम क्षमताओं को इस धरा पर, खुद को उनमें खोकर, महसूस कर, हर एक पल को मानवता में लूटा कर जिए। विश्व ब्रह्मांड के हर एक जीव प्राणी के प्रति शुभ दृष्टि शुभ विचार कर जिए!
ओशो ने बिल्कुल सही कहा है कि
“आदमी यूं ही जीवन गवाता है और सोचता यह है कि कैसा दुर्भाग्य है,
कैसा अभागा हूं,
किन अभिशप्त घड़ियों में में पैदा हुआ,
कैसे थे ग्रह नक्षत्र मेरे खराब?
न ग्रह-नक्षत्र खराब थे, न घड़ियां बुरी थी,
तुम उतनी ही क्षमता लेकर पैदा होते हो, जितना कोई भी बुद्ध कभी पैदा हुआ है,
लेकिन क्षमता की तलाश नहीं करते और दौड़ते फिरते हो बाहर, पूछते हो औरों से अपना पता।
अपना पता पूछना हो तो आंख बंद करो।
अपना पता पूछना हो तो विचार बंद करो।
अपना पता पूछना हो तो मारो गहरे से गहरी डुबकी अपने में।
उतरो भीतर!
वहीं से रसधार मिलेगी ध्यान का इतना ही अर्थ है।
निर्विचार हो जाने की कला है, और जिसके हाथ में निर्विचार होने की कल आ गई, सोने की कुंजी आ गई, जो सब ताले खोल दे।
इसीलिए मैं भी बार-बार यही कहती हूं हे मानव, अपने असीम क्षमताओं को पहचानो। हर किसी में बहुत सारे गुणधर्म है, और अपने गुरुओं के भी बहुत सारे दिए हुए क्रांतिकारी गुण धर्म है, उन्हें अपने जीवन में उतरे व्यावहारिक बने।
न कि सिर्फ गुरु की जय जय कर, उनकी फोटो की पूजा कर, या उनकी मूर्ति स्थापित कर, जय जयकारे लगाकर अपने जीवन को गवायें, या उनके नाम की जय जयकार में जिंदगी गुजार दे, बल्कि उनके क्रांतिकारी गुणधर्म अपना कर इस धरा को स्वर्ग बना ले।
क्योंकि हम सभी असीम क्षमताओं से परिपूर्ण है, एक साधारण सी चिड़िया भी आकाश में इतनी ऊंची उड़ान भर सकती है, वह भी बिना पेट्रोल के तो फिर हम सब भी अपने आप में कुछ खास है, परमात्मा की असीम शक्तियों के भंडार हैं हम सब!
प्रकृति से जुड़कर विश्व बंधुत्व स्थापित कर ले, सभी जीव जंतु हर एक प्राणी से एकता स्थापित कर भाई बहनों सा रिश्ता बना, सब में शुभ विचार भरे, इसीलिए प्रकृति का सम्मान करें, हर एक स्त्री का सम्मान करें, हर एक मातृत्व का सम्मान करें, हर एक मां का सम्मान करें!
सरिता प्रकाश🙏✍️🌱💚🐞🐝🦋🕸️🐜🐌🐟🐧🦃🦚🦩🦆🦢🕊️🦜🦉🦅🐥🐤🐣🐔🐓🐦🐄🐎🐸🐼🐵